फिल्ममेकर विशाल भारद्वाज शुक्रवार को 'जी जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल' के दूसरे दिन जयपुर पहुंचे थे.
Trending Photos
जयपुर : संजय लीला भंसाली की फिल्म पद्मावत के खिलाफ देशभर में हो रहे विरोध-प्रदर्शन से उनके साथी फिल्म निर्माता विशाल भारद्वाज 'उदास और डरे' हुए हैं. जी जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल से इतर मीडिया से बातचीत करते हुए उन्होंने फिल्म पर टिप्पणी करने से तो इंकार कर दिया, क्योंकि उन्होंने फिल्म देखी नहीं है, लेकिन विरोध-प्रदर्शनों को लेकर उन्होंने सरकार से अनुरोध किया कि वे इस पर उचित और निर्णायक कार्रवाई करें. दरअसल, फिल्ममेकर विशाल भारद्वाज शुक्रवार को 'जी जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल' के दूसरे दिन यहां पहुंचे थे.
विशाल भारद्वाज ने कहा, 'यह दुखद है कि भारतीय फिल्मों को निशाना बनाया जा रहा है. सबसे डरावनी बात यह है कि प्रदर्शनकारी कानून को अपने हाथ में लेते हुए ऐसा कर रहे हैं. मैं उम्मीद करता हूं कि राज्यों की सरकारें इतनी मजबूत हों कि वह सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाजवूद कानून का उल्लंघन कर रहे ऐसे लोगों पर सख्त कार्रवाई कर सकें'.
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने राजस्थान, मध्यप्रदेश, गुजरात और हरियाणा की सरकारों द्वारा लगाए गए बैन को हटाते हुए फिल्म पद्मावत का रास्ता साफ कर दिया था. सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा ने कहा था कि कानून व्यवस्था देखना राज्यों का काम है और केवल इस आधार पर फिल्म की रिलीज को नहीं रोका जा सकता.
पढ़ें- Zee JLF 2018 : करणी सेना की धमकी, राजस्थान में नहीं होगी प्रसून जोशी की एंट्री
भारद्वाज ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट और सेंसर बोर्ड द्वारा फिल्म को मंजूरी दिए जाने के बाद ऐसा कोई कारण नहीं बनता कि हिंसात्मक प्रदर्शन की अनुमति दी जाए. उन्होंने कहा, 'भले ही करोड़ों लोग सड़कों पर उतर आएं, लेकिन अगर सुप्रीम कोर्ट ने कह दिया है कि इसमें (फिल्म पद्मावत) कुछ भी आपत्तिजनक नहीं है तो फिर हम हिंसात्मक विरोध-प्रदर्शन की अनुमति नहीं दे सकते. हिंसक प्रदर्शन करने का किसी को भी अधिकार नहीं है. बच्चों से भरी स्कूल बसों पर पत्थरबाजी हो रही है. गांधी की धरती पर ये कैसा प्रदर्शन है?'
गौरतलब है कि राजस्थान की राजपूत करणी सेना इतिहास से छेड़छाड़ के नाम पर शूटिंग के दौरान से ही फिल्म पद्मावत का विरोध कर रहे हैं. वे आरोप लगा रहे हैं कि फिल्म में इतिहास से छेड़छाड़ किया गया है. इसके बाद पूरे देश में इस फिल्म का विरोध हुआ. विशाल भारद्वाज ने कहा, 'इससे पहले भी लोगों की भावनाएं आहत हो चुकी हैं. लेकिन अब ऐसे लोगों को देशभक्त बताया जा रहा है. इन लोगों को संस्थाएं ही पत्थर फेंकने के लिए उकसा रही हैं.
ये भी पढ़ें- Zee JLF 2018 की हुई 'मधुर शुरुआत', पांच दिन लगातार बहेगी साहित्य की सरिता
राजस्थान से शुरू हुआ विरोध देशभर में फैल गया है. बढ़े विरोध के बाद गुजरात, राजस्थान, मध्यप्रदेश और हरियाणा ने इस फिल्म पर बैन लगाने तक का फैसला कर लिया था. हालांकि सुप्रीम कोर्ट की दखल के बाद आखिरकार गुरुवार को यह फिल्म रिलीज हो चुकी है. वहीं मल्टीप्लेक्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया ने कहा है कि राजस्थान, गुजरात, मध्य प्रदेश और गोवा में इस फिल्म की स्क्रिनिंग नहीं की जाएगी. इस एसोसिएशन से देश की 75 प्रतिशत मल्टीप्लेक्स मालिक जुड़े हैं.