आखिर क्यों परशुराम ने अपने ही मां की काट दी थी गर्दन

भगवान परशुराम ऋषि जमदग्नि और रणुका के चौथी संतान थे

परशुराम को न्याय का देवता माना जाता था वो अपने माता-पिता के आज्ञाकारी पुत्र थे

एकबार राजा चित्ररथ को देख ऋषिपत्नी के हृदय में विकार उत्पन्न हो गया. ऋषि जमदग्नि ने जब पत्नी की यह विकारग्रस्त दशा देखी तो उन्हें सब ज्ञात हो गया.

जिसकी वजह से ऋषि बेहद क्रोधित हो गए जिससे परशुराम के अग्रजों को माता के वध का आदेश दिया लेकिन मां से मोहवश उनके किसी भी पुत्र ने उनके आज्ञा का पालवन नहीं किया

ऋषि जमदग्नि शस्त्र विद्या और शस्त्रों के ज्ञाता भगवान परशुराम को आज्ञा दी कि वो अपनी मां का वध कर दें

पिता का आदेश पाते ही परशुराम ने अपनी मां का सिर धड़ से अलग कर दी

अपनी आज्ञा का पालन होते देख भगवान परशुराम के पिता ऋषि जमदग्नि अपने पुत्र से बेहद प्रसन्न हुए

पिता को प्रसन्न देख परशुराम ने पिता से माता को पुन: जीवित करने का वरदान मांगकर अपनी मां को नवजीवन प्रदान किया

अपने पुत्र की तीव्र बुद्धि देखकर अतिप्रसन्न ऋषिपिता ने परशुराम को दिक्दिगन्त तक ख्याति अर्जित करने और समस्त शास्त्र और शस्त्र का ज्ञाता होने का आशीर्वाद दिया

पिता के कहने पर अपनी मां का वध करने के वजह से उन्हें मातृ हत्या का पाप भी लगा उन्हें अपने इस पाप से मुक्ति भगवान शिव की कठोर तपस्या करने के बाद मिली

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