राम मंदिर निर्माण के लिए केंद्र करे भूमि का अधिग्रहण : आरएसएस
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राम मंदिर निर्माण के लिए केंद्र करे भूमि का अधिग्रहण : आरएसएस

आरएसएस ने कहा था कि हाईकोर्ट ने अपने निर्णय में यह स्वीकार किया था कि उपरोक्त स्थान रामलला का जन्म स्थान है. 

आरएसएस लगातार राम मंदिर निर्माण के मुद्दे पर केंद्र सरकार से निर्णय लेने की मांग करता रहा है. (फाइल फोटो)

नई दिल्ली: अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण पर जोर देते हुए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) ने एक बार फिर से केंद्र सरकार से मांग की है कि राम मंदिर निर्माण के लिए सरकार को भूमि का अधिग्रहण करने की जरूरत है. इसके लिए अगर कानून बनाना पड़े तो, सरकार को कानून पास करना चाहिए. गौरतलब है कि आरएसएस लगातार राम मंदिर निर्माण के मुद्दे पर केंद्र सरकार से निर्णय लेने की मांग करता रहा है. आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने भी 18 अक्टूबर को सरकार से अपील की थी कि वह कानून बनाकर अयोध्या में राम मंदिर निर्माण का रास्ता साफ करे. 

राम मंदिर का मुद्दा हिंदू और मुस्लिम समुदाय तक सीमित नहीं- मनमोहन वैद्य 
आरएसएस ने बुधवार को केंद्र से 1994 में सुप्रीम कोर्ट में तत्कालीन कांग्रेस सरकार द्वारा किये गए वादों को पूरा करने का अनुरोध किया. संघ ने कहा कि तत्कालीन सरकार इस बात पर सहमत हो गयी थी कि यदि बाबरी मस्जिद बनाने से पहले वहां मंदिर होने के साक्ष्य पाये गये तो वह हिन्दू समुदाय का साथ देगी. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के सह सरकार्यवाह मनमोहन वैद्य ने कहा कि उत्तरप्रदेश के अयोध्या में राम मंदिर बनाने का मुद्दा हिंदू और मुस्लिम समुदाय तक ही सीमित नहीं है.

जबरन अधिग्रहित जमीन पर नमाज अदा नहीं की जा सकती- वैद्य
वैद्य ने कहा, ''न्यायालय ने कहा था कि नमाज के लिए मस्जिद जरूरी नहीं है और सड़कों पर भी नमाज अदा की जा सकती है. इसके अलावा जबरन अधिग्रहित जमीन पर नमाज अदा नहीं की जा सकती. अदालत ने यह भी कहा है कि यह (जमीन का अधिग्रहण) धार्मिक कृत्य नहीं है.'' उन्होंने दावा किया कि 1994 में कांग्रेस के शासन के दौरान सॉलिसिटर जनरल ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा देकर कहा था कि अगर सबूत मिलता है कि मंदिर को ढहाकर मस्जिद का निर्माण हुआ था तो, सरकार हिंदू समुदाय की भावनाओं के साथ है. 

सरकार जमीन अधिग्रहण कर मंदिर निर्माण के लिए सौंपे- आरएसएस
वैद्य ने कहा, ''अब हमारे पास सबूत हैं...साथ ही मुद्दा बिना फैसले के अदालत में लंबे समय से लंबित है. अब मुद्दा बस जमीन अधिग्रहण करने और मंदिर निर्माण के लिए इसे सौंपने का है.'' आरएसएस नेता ने कहा कि मुद्दा हिंदुओं और मुसलमानों या मंदिर अथवा मस्जिद तक ही सीमित नहीं है बल्कि देश की गरिमा को बहाल करने का है. उन्होंने कहा, ''सरकार को अब 1994 में किये गए वादों को पूरा करना चाहिए.''

हाईकोर्ट ने स्वीकारा कि यह रामलला का जन्मस्थान है- RSS
वहीं, एक अन्य बयान में आरएसएस ने कहा था कि सुप्रीम कोर्ट इस मामले में जल्द फैसला करे. यदि कुछ कठिनाई हो तो, सरकार कानून बनाकर मंदिर निर्माण के मार्ग की सभी बाधाओं को दूर करे तथा श्रीराम जन्मभूमि न्यास को भूमि सौंपे. संघ के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख अरुण कुमार ने अपने बयान में कहा था कि हाईकोर्ट ने अपने निर्णय में यह स्वीकार किया था कि उपरोक्त स्थान रामलला का जन्म स्थान है. उन्होंने दावा किया कि तथ्य और प्राप्त साक्ष्यों से भी यह सिद्ध हो चुका है कि मंदिर तोड़कर ही वहां कोई ढांचा बनाने का प्रयास किया गया और पूर्व में वहां मंदिर ही था.

सीएम योगी भी सुप्रीम कोर्ट के सुनवाई टालने के फैसले से दिखे असंतुष्ट 
बता दें कि यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने अयोध्या में राम मंदिर-बाबरी मस्जिद जमीन विवाद मामले के सुप्रीम कोर्ट में टलने और उसके बाद संतों की राम मंदिर निर्माण की बढ़ती मांग पर मंगलवार (30 अक्टूबर) को ट्वीट किया था. उन्होंने ट्वीट किया था कि अयोध्या में श्रीराम जन्मभूमि से जुड़ा हुआ मामला माननीय उच्चतम न्यायालय में विचाराधीन है. समय पर मिला न्याय, उत्तम न्याय माना जाता है. न्याय में देरी कभी-कभी अन्याय के सामान हो जाता है. 

संतों से की धैर्य रखने की अपील
अपने दूसरे ट्वीट में सीएम योगी ने कहा कि संतों को पूरे धैर्य के साथ श्रीराम जन्मभूमि के समाधान की दिशा में होने वाले उन सभी सार्थक प्रयासों में सहभागी बनना चाहिए, जिससे देश में शांति और सौहार्द की स्थापना हो तथा भारत के सभी संवैधानिक संस्थाओं के प्रति सम्मान का भाव सुदृढ हो. उन्होंने एक वीडियो ट्वीट कर कहा था कि देश की न्यायपालिका के प्रति सबका सम्मान है और हम सभी उन संवैधानिक बाध्यताओं से बंधे हैं. माननीय उच्चतम न्यायालय श्रीराम जन्मभूमि का शीघ्र समाधान निकाले.

जल्द से जल्द हो इस पर फैसला- सीएम योगी
उन्होंने कहा कि उन्हें लगता है कि ये संक्रमण काल चल रहा है. संतों को पूरे धैर्य के साथ इस समस्या के पूरे समाधान के लिए सार्थक प्रयासो में आगे बढ़ना चाहिए. जिससे इस देश में शांति और सौहार्द की स्थापना हो. और भारत की संवैधानिक संस्था के प्रति सम्मान का भाव हो. सीएम ने कहा कि वह तो चाहते हैं कि जल्द से जल्द इस समस्या का समाधान हो. क्योंकि श्रीराम जन्मभूमि, अयोध्या उत्तर प्रदेश में है. उत्तर प्रदेश में कानून व्यवस्था, सुरक्षा का दायित्व हमारे ऊपर है. हम लोग इस दायित्व को बखूबी निभाएंगे.

जनवरी तक के लिए टल गई है राम मंदिर की सुनवाई
आपको बता दें कि सुप्रीम कोर्ट में सोमवार (29 अक्टूबर) को अयोध्‍या विवाद पर होने वाली सुनवाई टल गई है. सोमवार को चीफ जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस केएम जोसफ की बेंच ने इस मामले को अगले साल जनवरी के लिए टाल दिया है. सुप्रीम कोर्ट अब जनवरी में मामले की सुनवाई की अगली तारीख तय करेगा. 

(इनपुट भाषा से भी)

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