जब भी शिवसेना-बीजेपी रिश्ते बिगड़ते, वाजपेयी कहते- 'प्रमोद जरा देखिए क्या मसला है'
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जब भी शिवसेना-बीजेपी रिश्ते बिगड़ते, वाजपेयी कहते- 'प्रमोद जरा देखिए क्या मसला है'

शिवसेना सांसद संजय राउत ने कहा,‘यहां तक कि एक प्रधानमंत्री के रूप में वाजपेयी ठाकरे के साथ संपर्क में रहते थे और हमेशा विभिन्न मुद्दों पर विचार-विमर्श करते थे.’ राउत ने कहा कि वाजपेयी के ठाकरे के साथ सुखद और सौहार्दपूर्ण संबंध थे.

अटल बिहारी वाजपेयी और बाल ठाकरे अच्छेे मित्र थे. इन दोनों को जोड़े रखने में प्रमोद महाजन का बड़ा रोल था.

मुंबई: मौजूदा वक्त में बीजेपी और शिवसेना के रिश्ते कुछ ठीक नहीं हैं और अटल बिहारी वाजपेयी का निधन हो गया है. ऐसे में अटल बिहारी वाजपेयी और बाल ठाकरे के रिश्तों का जिक्र होना स्वभाविक है. पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी और शिवसेना प्रमुख बाल ठाकरे एक-दूसरे का बेहद सम्मान करते थे और इस वजह से दोनों पार्टियों के बीच गठबंधन बेहद आसान रहा. शिवसेना सांसद संजय राउत ने कहा,‘यहां तक कि एक प्रधानमंत्री के रूप में वाजपेयी ठाकरे के साथ संपर्क में रहते थे और हमेशा विभिन्न मुद्दों पर विचार-विमर्श करते थे.’ राउत ने कहा कि वाजपेयी के ठाकरे के साथ सुखद और सौहार्दपूर्ण संबंध थे.

पूर्व केंद्रीय मंत्री प्रमोद महाजन को राज्य में इस तरह के पहले गठबंधन के लिए बीजेपी का शिल्पकार माना जाता था. राउत ने याद किया,‘दोनों दलों के बीच मतभेदों का समाधान ठाकरे और महाजन की अध्यक्षता वाली समन्वय समिति की बैठकों में किया जाता था.’ वरिष्ठ पत्रकार अंबरीश मिश्रा ने कहा, ‘ वाजपेयी हमेशा महाजन को कहते: आप संभाल लो और महाजन समस्याओं के समाधान के लिए ठाकरे के आवास मातोश्री जाते.’ 

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शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने कहा, ‘मेरा दिल यह मानने के लिए तैयार नहीं है कि अटल जी हमारे बीच नहीं रहे. वह हमारे दिलों में है. वह एक साधारण व्यक्ति और मासूम राजनेता थे.’

शिवसेना के वरिष्ठ नेता मनोहर जोशी ने कहा कि वाजपेयी ‘सभी के साथ दोस्ताना’ थे. हालांकि बालासाहेब ठाकरे और वाजपेयी स्वभाव से अलग अलग थे लेकिन उनके बीच एक समान बात उनका विनोदी स्वभाव और काव्य दिमाग था.’

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मनोहर जोशी ने लोकसभा अध्यक्ष बनने का श्रेय वाजपेयी को दिया
वरिष्ठ शिवसेना नेता मनोहर जोशी ने 2002 में उनके लोकसभा अध्यक्ष बनने का श्रेय आज तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को दिया. मुम्बई से पूर्व लोकसभा सदस्य जोशी ने कहा कि वह वाजपेयी के सहयोग के कारण ही इस प्रतिष्ठित पद पर आसीन हो पाए . आज वाजपेयी का निधन हो गया.

उन्होंने एक मराठी चैनल से कहा, ‘मैंने सोचा था कि लोकसभा अध्यक्ष बन पाना असंभव है. मैंने कभी इसके बारे में नहीं सोचा था. लेकिन बीजेपी खासकर वाजपेयी के रुख ने मेरी मदद की.’

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उन्होंने कहा, ‘यदि उन्होंने वह दृढ़ रुख नहीं अपनाया होता तो मैं अध्यक्ष नहीं बन पाता. इतना ही नहीं, मैं बीजेपी और वाजपेयी के सहयोग से ही महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री की कुर्सी तक पहुंच पाया.’

अस्सी वर्षीय जोशी राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) सरकार के दौरान वर्ष 2002 से 2004 तक लोकसभा के अध्यक्ष थे . उस सरकार में शिवसेना राजग की सहयोगी थी. 

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वर्ष 1995-99 तक महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री रहे जोशी से जब पूछा गया कि वह कैसे 1995 में मुख्यमंत्री की कुर्सी पर पहुंचने के लिए बीजेपी को जिम्मेदार मानते हैं तो उन्होंने कहा, ‘जब भी कोई इतना बड़ा निर्णय लिया जाता है तो यह पार्टी प्रमुख द्वारा लिया जाता है. पहला श्रेय उसे ही जाता है. जिन लोगों ने मुझे यह पद हासिल करने में मदद की, उनमें बीजेपी भी है. मैंने उस संदर्भ में यह बात कही (वाजपेयी को श्रेय दिया.)’

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