सतलोक आश्रम के प्रमुख रामपाल बरी, लोगों को बंधक बनाने का था आरोप
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सतलोक आश्रम के प्रमुख रामपाल बरी, लोगों को बंधक बनाने का था आरोप

18 नवंबर 2014 को सतलोक आश्रम के प्रमुख संत रामपाल और अन्य लोगों के खिलाफ सरकारी ड्यूटी में बाधा पहुंचाने और रास्ता रोककर बंधक बनाने के मामले थे, जिनमें कोर्ट ने उन्‍हें बरी कर दिया.

मंगलवार को रामपाल के खिलाफ दो मामलों में फैसला आना है. (फोटो साभार DNA)

नई दिल्‍ली : हरियाणा के बरवाला स्थित सतलोक आश्रम के संचालक रामपाल के मामले में हिसार कोर्ट ने अपना फैसला दे दिया है. अदालत ने दो मामलों की सुनवाई करते हुए संत रामपाल को बरी कर दिया है. जज मुकेश कुमार ने हिसार जेल में बने विशेष कोर्ट रूम में मामले की सुनवाई की थी. सुनवाई वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए हिसार सेंट्रल जेल नंबर एक में हुई थी. कोर्ट का फैसला आने के बाद किसी तरह का तनाव न फैले, इसके मद्देनजर एहतियात के तौर पर हिसार में धारा 144 लागू की गई थी. दो मामलों में बरी होने के बाद भी संत रामपाल अभी भी जेल में ही रहेंगे. अभी उनसे जुड़े और भी मामलों की सुनवाई चल रही है.

इससे पहले हिसार कोर्ट ने 29 अगस्त तक के लिए फैसला टाल दिया था. बीते बुधवार को संत रामपाल के खिलाफ दर्ज एफआईआर नंबर 201, 426, 427 और 443 के तहत पेशी हुई थी. अदालत ने एफआईआर नंबर 426 और 427 का फैसला सुरक्षित रख लिया था. 18 नवंबर 2014 को सतलोक आश्रम के प्रमुख रामपाल और अन्य लोगों के खिलाफ सरकारी ड्यूटी में बाधा पहुंचाने और रास्ता रोककर बंधक बनाने के ये दो मामले हैं.

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एक मुकदमे में रामपाल समेत पांच अन्य लोग और दूसरे मुकदमे में रामपाल समेत छह अन्य लोग आरोपी हैं. रामपाल के खिलाफ मुकदमों की सुनवाई हिसार की सेंट्रल जेल वन में बनाई गई स्पेशल कोर्ट में चल रही थी. दरअसल रामपाल की हिसार कोर्ट में पेशी के दौरान भारी तादाद में रामपाल के समर्थक पहुंच जाते थे, जिससे पुलिस को कानून व्यवस्था बनाए रखने और इन लोगों को काबू करने में काफी मशक्कत करनी पड़ती थी. इसी वजह से हिसार की सेंट्रल जेल में ही एक स्पेशल कोर्ट बनाकर इन मामलों की सुनवाई चल रही है.

जानिए कौन हैं रामपाल
रामपाल का जन्म हरियाणा के सोनीपत के गोहाना तहसील के धनाना गांव में हुआ था. पढ़ाई पूरी करने के बाद 1977 में रामपाल को हरियाणा सरकार के सिंचाई विभाग में जूनियर इंजीनियर की नौकरी मिल गई. इसी दौरान उनकी मुलाकात स्वामी रामदेवानंद महाराज से हुई. रामपाल उनके शिष्य बन गए और कबीर पंथ को मानने लगे.

नौकरी से इस्‍तीफा
कबीर पंथ की तरफ रामपाल का रुझान होने के बाद उन्‍होंने 21 मई 1995 को नौकरी से इस्‍तीफा दे दिया. इसके बाद वह सत्‍संग करने लगा. कमला देवी नाम की एक महिला ने करोंथा गांव में उन्‍हें आश्रम के लिए जमीन दे दी. 1999 में रामपाल ने सतलोक आश्रम की नींव रखी.

स्वामी दयानंद पर कमेंट के बाद बवाल
साल 2006 में स्वामी दयानंद द्वारा लिखित एक किताब पर संत रामपाल की तरफ से टिप्‍पणी किए जाने के बाद बवाल हो गया था. आर्यसमाज ने इस रामपाल की इस टिप्‍पणी पर ऐतराज जताया. इसके बाद दोनों के समर्थकों के बीच हिंसक झड़प हुई. घटना में एक शख्स की मौत भी हो गई. इसके बाद एसडीएम ने 13 जुलाई, 2006 को आश्रम को कब्जे में ले लिया. रामपाल और उनके 24 समर्थकों को गिरफ्तार कर लिया.

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