सारा जोसेफ ने अकादमी पुरस्कार लौटाया, सच्चिदानंदन ने अकादमी पद छोड़े
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सारा जोसेफ ने अकादमी पुरस्कार लौटाया, सच्चिदानंदन ने अकादमी पद छोड़े

केरल के साहित्य जगत में तूफान लाते हुए प्रख्यात मलयाली नारीवादी उपन्यासकार सारा जोसेफ ने लेखकों पर हाल में हुए हमले पर चुप्पी का विरोध करते हुए अपना साहित्य अकादमी पुरस्कार लौटाने का शनिवार को फैसला किया, जबकि कवि के. सच्चिदानंदन और अपनी लघुकथा के लिए मशहूर लेखक पी. के. परक्कादावू ने साहित्य अकादमी की सदस्यता छोड़ने का निर्णय किया।

तिरूवनंतपुरम : केरल के साहित्य जगत में तूफान लाते हुए प्रख्यात मलयाली नारीवादी उपन्यासकार सारा जोसेफ ने लेखकों पर हाल में हुए हमले पर चुप्पी का विरोध करते हुए अपना साहित्य अकादमी पुरस्कार लौटाने का शनिवार को फैसला किया, जबकि कवि के. सच्चिदानंदन और अपनी लघुकथा के लिए मशहूर लेखक पी. के. परक्कादावू ने साहित्य अकादमी की सदस्यता छोड़ने का निर्णय किया।

सारा को अपने उपन्यास ‘आलाहाउदे पेनमक्कल’ (सर्वपिता ईश्वर की बेटियां) के लिए इस प्रतिष्ठित पुरस्कार से नवाजा गया था।

मलयाली उपन्यासकार ने कहा कि वह जल्द ही कूरियर के जरिए साहित्य अकादमी पुरस्कार की नकद राशि और प्रशस्ति पत्र वापस भेज देंगी।

सारा ने त्रिशूर से पीटीआई-भाषा को बताया, ‘मोदी सरकार के सत्ता में आने के बाद देश में जीवन के सभी क्षेत्रों में खतरनाक स्थिति बनाई गई है। धार्मिक सद्भाव और देश की धर्मनिरपेक्षता जबर्दस्त रूप से खतरे में है।’ मलयाली लेखिका ने कहा कि तीन लेखकों की पहले ही हत्या की जा चुकी है जबकि अंधविश्वास के खिलाफ जंग चला रहे कन्नड़ लेखक के. एस. भगवान को साम्प्रदायिक ताकतों से जान का खतरा है। लेकिन मोदी सरकार लेखकों और कार्यकर्ताओं तथा समाज के अन्य तबके के लोगों के बीच बढ़ते डर को कम करने के लिए कुछ नहीं कर रही है।

विरोध जता रहे लेखकों की जमात में शामिल होते हुए प्रसिद्ध कवि सच्चिदानंदन ने साहित्य अकादमी की सभी समितियों से इस्तीफा दे दिया और कहा कि यह संस्था लेखकों के साथ खड़ा होने और अभिव्यक्ति की आजादी बुलंद करने में अपने कर्तव्यों के निर्वहन में ‘विफल’ रही है।

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