एससी/एसटी एक्ट में बदलाव को लेकर सरकार की ओर से सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की गई रिव्यू पिटीशन का विरोध करते हुए अखिल भारतीय हिंदू महासभा ने शनिवार को पीएम नरेंद्र मोदी के नाम खून से खत लिखा.
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नई दिल्ली: एससी/एसटी एक्ट में बदलाव को लेकर सरकार की ओर से सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की गई रिव्यू पिटीशन का विरोध करते हुए अखिल भारतीय हिंदू महासभा ने शनिवार को पीएम नरेंद्र मोदी के नाम खून से खत लिखा. हिंदू महासभा की ओर से मांग की गई कि एससी/एसटी एक्ट में बदलाव पर केंद्र सरकार ने जो पुनर्विचार याचिका दायर की है, उसे वापस लिया जाए. उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ में विरोध प्रदर्शन करते हुए कार्यकर्ताओं ने कहा कि यदि ऐसा नहीं होता है तो वे दिल्ली के रामलीला मैदान में विरोध प्रदर्शन करते हुए गंजे हो जाएंगे.
सुप्रीम कोर्ट ने 20 मार्च के अपने फैसले में अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम के कुछ प्रावधानों को नरम बनाया था, ताकि इस कानून के तहत झूठे मुकदमों में फंसा कर ब्लैकमेल किए जाने के मामलों को रोका जा सके. इसे लेकर देशभर में हिंसक प्रदर्शन हुए थे. जिसके बाद सरकार की ओर से इस हिंसा का हवाला देते हुए सुप्रीम कोर्ट में रिव्यू पिटीशन दाखिल की थी. इस याचिका में सरकार की ओर से मामले में अविलंब सुनवाई की मांग की गई थी. हालांकि, कोर्ट ने तुरंत सुनवाई से इनकार कर दिया था.
कानून बनाना संसद का काम
इसी याचिका में केंद्र सरकार की ओर तर्क दिया गया था कि, जिस याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने फैसला दिया था उसमें सरकार कोई पार्टी नहीं थी. केंद्र ने कहा है कि यह कानून संसद ने बनाया था. कानून बनाना संसद का काम हैं. आपको बता दें कि SC/ST एक्ट पुनर्विचार याचिका पर दो जजों की बैंच सुनवाई करेगी.
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याचिका में केंद्र ने कहा, सरकार का मानना हैं कि सुप्रीम कोर्ट तीन तथ्यों के आधार पर ही कानून को रद्द कर सकती है. ये तीन तथ्य है, कि अगर मौलिक अधिकार का हनन हों, अगर कानून गलत बनाया गया हो और अगर किसी कानून को बनाने का अधिकार संसद के अधिकार क्षेत्र में नहीं आता हो. इसके साथ ही सरकार की ये भी दलील है कि कोर्ट ये नहीं कह सकता है कि कानून का स्वरूप कैसा हो, क्योंकि कानून बनाने का अधिकार संसद के पास है.
Aligarh: Members of Akhil Bharatiya Hindu Mahasabha wrote a letter to PM Modi with their blood, demanding the withdrawal of the review petition filed by the center on the SC/ST Act, say in case that is not done they 'will conduct protests by going bald at Delhi's Ramlila Maidan.' pic.twitter.com/6xeaNX5FXY
— ANI UP (@ANINewsUP) April 7, 2018
इसके साथ ही केंद्र ने यह भी दलील दी कि किसी भी कानून को सख्त बनाने का अधिकार भी संसद के पास ही हैं. केंद्र सरकार ने अपनी याचिका में कहा है कि समसामयिक आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए कैसा कानून बने ये संसद या विधानसभा तय करती है.