बिहार में अब एससी/एसटी श्रेणी को भी मिलेंगे महादलित श्रेणी के फायदे
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बिहार में अब एससी/एसटी श्रेणी को भी मिलेंगे महादलित श्रेणी के फायदे

राज्य में महादलितों के विकास के लिए महादलित विकास मिशन द्वारा चलाई जा रही सभी योजनाओं का लाभ एससी और एसटी वर्ग के लोगों को भी मिलेगा.

बिहार के सीएम नीतीश कुमार (फाइल फोटो- डीएनए)

पटनाः बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने आज कहा कि राज्य में ‘ महादलितों ’ के लिए बनी सभी योजनाओं का लाभ अब अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति वर्ग के लोगों को भी मिलेगा. नीतीश ने कहा , “ हमने फैसला किया है कि राज्य में महादलितों के विकास के लिए महादलित विकास मिशन द्वारा चलाई जा रही सभी योजनाओं का लाभ एससी और एसटी वर्ग के लोगों को भी मिलेगा. ” उन्होंने कहा कि सभी योजनाएं चाहे वह घर बनाने के लिए जमीन देना हो या दशरथ मांझी कौशल विकास योजना हो - सभी का लाभ एससी और एसटी श्रेणी के तहत आने वाले लोगों को भी दिया जाएगा. 

  1. बिहार में महादलितों में सबसे ज्यादा मुसहर और पासी जाति के लोग हैं
  2. मुसहर आबादी 21 लाख 12 हजार के करीब है, पासी 7 लाख से 11 हजार है
  3. महादलितों में घासी जाति की संख्या सबसे कम, गया सबसे ज्यादा महादलित

साथ ही उन्होंने घोषणा की कि एक ‘ चौकीदार ’ के आश्रित को वही नौकरी मिल सकती है अगर वह उसकी सेवानिवृत्ति से पहले आवेदन करे तो. नीतीश ने चौकीदारों के मानदेय को 3,000 रुपये से बढ़ाकर 7,000 रुपये सालाना करने की भी घोषणा की. शनिवार को की इस घोषणा के साथ ही पासवान ( दुषाध समुदाय ) जिन्हें महादलित श्रेणी से अलग किया गया था वह अब फिर से इस श्रेणी में शामिल हो गए. नीतीश ने यह घोषणा बी आर आंबेडकर की जयंती के मौके पर आयोजित दलित सेना के राष्ट्रीय सम्मेलन में की. दलित वोटबैंक को साधने के लिए क्‍या BJP खेलेगी नीतीश वाला कार्ड?

आपको बता दें कि 3 अप्रैल को ऐसी खबर आई थी कि बिहार सरकार महादलित शब्द को खत्म करने की तैयारी में है. सरकार के मंत्री महेश्वर हजारी ने इस बात की जानकारी देते हुए कहा था कि बिहार में अब सिर्फ अनुसूचित जाति रह जाएगा. साथ ही उन्होंने कहा था कि 14 अप्रैल को आंबेडकर जयंती के अवसर पर सीएम नीतीश कुमार इसकी घोषणा कर सकते हैं. महेश्वर हजारी के मुताबिक, 'महादलित से पासवान समाज उपेक्षित महसूस कर रहा था. हम पहले से सरकार से इसे ख्तम करने की मांग कर रहे थे. मुख्यमंत्री ने हमारी मांग पर विचार किया.' उन्होंने कहा कि संविधान में महादलित नाम का कोई शब्द है ही नहीं.

अनुसूचित जाति-जनजाति कल्याण विभाग से प्राप्त जानकारी के मुताबिक बिहार में महादलितों में सबसे ज्यादा मुसहर और पासी जाति के लोग शामिल हैं. मुसहर जाति की आबादी जहां 21 लाख 12 हजार को करीब है वहीं, पासी जाति के लोगों की संख्या लगभग सात लाख 11 हजार है. महादलित में सबसे कम संख्या घासी जाति के लोगों की है. बिहार में उनकी आबादी मात्र 674 है. जिलों के लिहाज से गया में सर्वाधिक महादलित रहते हैं. यहां इनकी संख्या 6 लाख 64 हजार के करीब है. इसके बाद नवादा, पटना और पूर्णिया आदि में रहते हैं.

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