सोमनाथ चटर्जी : दक्षिणपंथी परिवार के बेटे से ऐसे बने वामपंथ के सिपाही, जानिए जीवन के 10 घटनाक्रम
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सोमनाथ चटर्जी : दक्षिणपंथी परिवार के बेटे से ऐसे बने वामपंथ के सिपाही, जानिए जीवन के 10 घटनाक्रम

सोमनाथ चटर्जी का जन्म एक ऐसे परिवार में हुआ, जहां पहले से दक्षिणपंथ की जड़ें मजबूत थीं. लेकिन इन सबके बावजूद वह वामपंथ की ओर मुड़े और चार दशकों तक भारत में उसका सबसे बड़ा चेहरा रहे.

सोमनाथ चटर्जी : दक्षिणपंथी परिवार के बेटे से ऐसे बने वामपंथ के सिपाही, जानिए जीवन के 10 घटनाक्रम

नई दिल्ली : पश्चिम बंगाल और देश की वामपंथ की राजनीति में सोमनाथ चटर्जी का नाम हमेशा सबसे पहली पंक्ति में लिया जाएगा. लेकिन वामपंथ के इस बड़े सिपाही का जन्म एक ऐसे परिवार में हुआ, जहां पहले से दक्षिणपंथ की जड़ें मजबूत थीं. लेकिन इन सबके बावजूद वह वामपंथ की ओर मुड़े और चार दशकों तक भारत में उसका सबसे बड़ा चेहरा रहे.

1. सोमनाथ चटर्जी का जन्म 25 जुलाई 1929 को बंगाली ब्राह्मण परिवार में असम के तेजपुर में हुआ था. पिता का  नाम निर्मल चंद्र चटर्जी और मां का नाम वीणापाणि देवी था.

2. उनके पिता वकील और राष्ट्रवादी हिंदू जागृति के समर्थक थे. पिता निर्मल चंद्र चटर्जी अखिल भारतीय हिंदू महासभा के संस्थापकों में से एक थे.

3. 1948 में कम्यूनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया पर जब नेहरू सरकार ने बैन लगा दिया, उस समय पार्टी के कई नेता जेल में बंद कर दिए गए. तब सोमनाथ चटर्जी के पिता ने ऑल इंडिया सिविल लिबर्टीज यूनियन का गठन किया और वामपंथी नेताओं की रिहाई के लिए बड़ा प्रदर्शन किया. इस दौरान ही उनकी मित्रता ज्योति बसु से हुई. हालांकि वैचारिक रूप से दोनों में मतभेद थे.

4. सोमनाथ चटर्जी की शिक्षा तत्कालीन कलकत्ता और ब्रिटेन में हुई. उन्होंने कोलकाता के प्रेसिडेंसी कॉलेज में भी पढ़ाई की. उन्होंने ब्रिटेन में मिडिल टैंपल से लॉ की पढ़ाई करने के बाद कलकत्ता हाईकोर्ट में प्रैक्टिस की. इसके बाद उन्होंने राजनीति में आने का फैसला किया.  

5. सोमनाथ चटर्जी 1968 में सीपीएम के साथ जुड़े. 2008 तक पार्टी से जुड़े रहे. 1971 में वह पहली बार सांसद चुने गए. वह 10 बार लोकसभा सदस्य के रूप में चुने गए थे.

6. सोमनाथ चटर्जी की धर्मपत्नी श्रीमती रेणु चटर्जी थीं. उनके एक पुत्र और दो पुत्रियां हैं. उनकी पत्नी का पहले ही निधन हो चुका है.

7. 2004 में 14वीं लोकसभा में वे 10वीं बार निर्वाचित हुए. साल 1989 से 2004 तक वे लोक सभा में सीपीआईएम के नेता भी रहे. वह 35 साल तक सांसद रहे. इसके लिए उन्हें साल 1996 में उत्कृष्ट सांसद पुरस्कार से नवाजा गया.

8. 2008 न्यूक्लियर डील के मुद्दे पर कांग्रेस की यूपीए सरकार से वामपंथी पार्टियों ने समर्थन वापस ले लिया. जिस दिन सरकार के भविष्य पर वोटिंग हुई, उस दिन सोमनाथ चटर्जी ने सरकार के पक्ष में वोट दिया और उनकी पार्टी ने उन्हें पार्टी से निकाल दिया.
 
9. 2005 में वह तब विवादों में घिर गए, जब झारखंड विधानसभा के वोट ऑफ कॉन्फिडेंस पर सुप्रीम कोर्ट के निर्णय की उन्होंने आलोचना की. उन्होंने कहा, कोर्ट ने इस मामले में अपने अधिकारों का उल्लंघन किया है. उस समय विपक्ष ने उनके इस्तीफे की मां की.

10. उन पर विपक्ष ने तब इस्तीफे की मांग कर डाली जब उन पर लाभ के पद का आरोप लगा. उनके बारे में कहा गया कि वह लोकसभा स्पीकर के साथ साथ शांतिनिकेतन श्रीनिकेतन डेवलपमेंट अथॉरिटी के चेयरमैन भी हैं.

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