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नई दिल्ली : उत्तरप्रदेश में सपा और कांग्रेस के गठजोड़ को परिवार की सत्ता को बचाने के लिए ‘युवराजों’ का गठबंधन करार देते हुए भाजपा ने मंगलवार को कहा कि यह मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के विकास के दावों की हवा निकाल देता है और उनकी हताशा को प्रदर्शित करता है।
भाजपा के राष्ट्रीय सचिव श्रीकांत शर्मा ने संवाददाताओं से कहा कि प्रस्तावित गठबंधन इन दोनों दलों का भाजपा को सत्ता से आने से रोकने के लिए हताशा में उठाया गया कदम है लेकिन लोग कामकाज के आधार पर चलने वाली राजनीति के लिए वोट देंगे और प्रतिद्वन्द्वियों के वंशवाद की राजनीति और जाति के गुणा भाग को खारिज करेंगे।
उन्होंने कहा, ‘सपा को विधानसभा में बहुमत है और अखिलेश यादव बहुमत की सरकार चला रहे हैं लेकिन वे कांग्रेस और रालोद से गठबंधन करना चाहते हैं जो उनकी हताशा को प्रदर्शित करता है। अखिलेश यादव को अपनी हार का एहसास हो गया है और उनको लगने लगा है कि लोगों ने उनके पांच वषरे के कुशासन को खारिज करके भाजपा के पक्ष में मन बना लिया है।’
शर्मा ने कहा, ‘अखिलेश के साथ कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी और रालोद नेता जयंत चौधरी आ रहे हैं ताकि वे अपने परिवार की सत्ता को बचा सकें। यह युवराजों का गठबंधन है।’ उल्लेखनीय है कि कांग्रेस ने आज घोषणा की कि वह आसन्न चुनाव में सपा के साथ गठजोड़ करेगी। अखिलेश यादव ने भी इसी तरह के विचार व्यक्त किये हैं। इस प्रस्तावित गठबंधन में अजीत सिंह की रालोद को भी संभावित घटक के रूप में देखा जा रहा है।
श्रीकांत शर्मा ने कहा कि लोग राज्य में एक परिवार के शासन से क्षुब्ध हो चुके है और वे निश्चित तौर पर तीन परिवारों को खारिज करेंगे। उन्होंने कहा,‘यह अजब विरोधाभास है कि एक तरफ मुख्यमंत्री दावा करते हैं कि वे विकास के एजेंडा पर लड़ रहे हैं तो दूसरी तरफ बहुमत की सरकार होने के बावजूद वे गठबंधन कर रहे हैं। यह उनके दावों की हवा निकाल देता है।’ भाजपा नेता ने कहा कि भाजपा केंद्र सरकार के सुशासन को सामने रखते हुए चुनाव लड़ेगी और यह भी बतायेगी कि किस प्रकार भाजपा शासित राज्यों में दोहरे अंकों की विकास दर है।
उन्होंने कहा कि सपा और रालोद के सहयोग से संप्रग सरकार 10 वर्षों तक चली और 2014 के लोक सभा चुनाव में लोगों ने इन्हें खारिज कर दिया।