जब श्री जयेंद्र सरस्‍वती हुए अचानक 'अदृश्‍य'...आज तक नहीं उठा उस राज से पर्दा
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जब श्री जयेंद्र सरस्‍वती हुए अचानक 'अदृश्‍य'...आज तक नहीं उठा उस राज से पर्दा

1987 में पहली बार जयेंद्र सरस्‍वती सुर्खियों में तब आए जब एक दिन अचानक वह अपने मठ से लापता हो गए. मठ में अपना सामान छोड़कर वह चले गए थे. उनकी जब तलाश शुरू हुई तो वह तीन दिन बाद कर्नाटक के तालाकावेरी में मिले.

कांचीपुरम पीठ के शंकराचार्य श्री जयेंद्र सरस्‍वती का 82 साल की उम्र में निधन हो गया.(फाइल फोटो)

कांचीपुरम पीठ के 69वें शंकराचार्य जयेंद्र सरस्‍वती का 82 साल की उम्र में निधन हो गया है. अब उनके उत्‍तराधिकारी विजेंद्र सरस्‍वती इस पीठ के 70वें शंकराचार्य होंगे. तमिलनाडु के तिरूवरूर जिले में जन्‍में जयेंद्र सरस्‍वती जब महज 19 साल के थे तो उनको परम आचार्य चंद्रशेखर सरस्‍वती का उत्‍तराधिकारी चुना गया था. उत्‍तराधिकारी चुने जाने के करीब 40 सालों बाद 1994 में वह पीठ के 69वें शंकराचार्य बने.

  1. जयेंद्र सरस्‍वती को 19 साल की उम्र में पीठ का उत्‍तराधिकारी बनाया गया
  2. चंद्रशेखर सरस्‍वती के बाद 1994 में पीठ के शंकराचार्य बने
  3. अब विजेंद्र सरस्‍वती पीठ के 70वें शंकराचार्य होंगे

सुर्खियों में
1987 में पहली बार जयेंद्र सरस्‍वती सुर्खियों में तब आए जब एक दिन अचानक वह अपने मठ से लापता हो गए. मठ में अपना सामान छोड़कर वह चले गए थे. उनकी जब तलाश शुरू हुई तो वह तीन दिन बाद कर्नाटक के तालाकावेरी में मिले. इस दौरान उनके द्वारा चुने गए उत्‍तराधिकारी विजेंद्र सरस्‍वती को मठ के दैनिक धार्मिक कार्यकलापों के लिए इंचार्ज बनाया गया. हालांकि इतना लंबा वक्‍त बीतने के बावजूद आज तक यह पता नहीं चल सका कि वह अचानक क्‍यों लापता हो गए?

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शंकररमन मर्डर केस
उसके बाद 2004 में जयेंद्र सरस्‍वती उस वक्‍त फिर चर्चा में आए जब मठ के मैनेजर शंकररमन की हत्‍या हो गई. इस मर्डर केस में जयेंद्र और विजेंद्र सरस्‍वती पर आरोप लगे थे. दरअसल शंकररमन के साथ विवाद उस वक्‍त उत्‍पन्‍न हुआ जब 2000 में जयेंद्र सरस्‍वती चीन जाने वाले थे, तो शंकररमन ने उनका विरोध किया. शंकररमन ने कोर्ट के हस्‍तक्षेप से उनकी विदेश यात्रा रोकने की कोशिश की. शंकररमन का तर्क था कि यदि कोई हिंदू समुंदर पार करता है तो वह अपने धर्म से विमुख माना जाता है. कांची मठ का शंकरराचार्य होने के नाते जयेंद्र सरस्‍वती को यह बात ज्‍यादा बेहतर पता होनी चाहिए. इस विवाद के उपजने के कारण जयेंद्र सरस्‍वती को अपनी यात्रा स्‍थगित करने के लिए बाध्‍य होना पड़ा.

उसके बाद शंकररमन को मठ में प्रवेश से प्रतिबंधित कर दिया गया. नतीजतन शंकररमन ने जयेंद्र सरस्‍वती को खुला खत लिखकर उन पर मठ में अपने पद के दुरुपयोग का आरोप लगाया और उनको मठ से बाहर निकाले जाने के खिलाफ कोर्ट में जाने की धमकी दी. 2004 में देबराज स्‍वामी में पांच लोगों ने शंकररमन की हत्‍या कर दी. हालांकि लंबी कानूनी लड़ाई के बाद 2013 में जयेंद्र और विजेंद्र सरस्‍वती को बाइज्‍जत बरी कर दिया गया.

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अयोध्या में राम मंदिर के लिए जयेंद्र सरस्वती ने की पहल
जयेंद्र सरस्वती भले ही तमिलनाडु में रहते थे, लेकिन वे भी चाहते थे कि अयोध्या में राम मंदिर बने. इसके लिए उन्होंने कोशिश भी की. साल 2003 में पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की ओर दिए गए एक भाषण को माने तो जयेंद्र सरस्वती ने अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए काफी कोशिश की थी. जयेंद्र सरस्वती ने विभिन्न पक्षों के साथ बातचीत के जरिए राम मंदिर निर्माण के रास्ते निकालने की कोशिश की.

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जयललिता सरकार में जयेंद्र सरस्वती की गिरफ्तारी के तरीके पर उठे थे सवाल
साल 2001 में जयललिता जब तमिलनाडु की मुख्यमंत्री बनी थीं तो शपथ ग्रहण समारोह में जयेंद्र सरस्वती को आध्यात्मिक गुरू के तौर पर बुलाया था. साल 2004 में जयललिता के मुख्यमंत्री रहते हुए जयेंद्र सरस्वती को बड़ी बेअदबी के साथ गिरफ्तार किया गया था. बताया जाता है कि कार्तिक का महीना शुरू होने वाला था. इसे देखते हुए जयेंद्र सरस्वती आंध्र प्रदेश के महबूबनगर में त्रिकाल संध्या पूजन की तैयारी कर रहे थे. उन्हें पूरी रात जागकर पूजा करनी थी. इसी दौरान तमिलनाडु की तत्कालीन सीएम जयललिता के आदेश पर जयेंद्र सरस्वती को पूजा के बीच से पुलिस गिरफ्तार करके चेन्नई ले आई थी.

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