मॉब लिंचिंग पर सुप्रीम कोर्ट की दो टूक, कोर्ट के आदेश का सख्ती से पालन करें राज्य
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मॉब लिंचिंग पर सुप्रीम कोर्ट की दो टूक, कोर्ट के आदेश का सख्ती से पालन करें राज्य

कोर्ट ने इस पर सभी राज्यों से अमल करने को कहा है. मामले की अगली सुनवाई दो हफ्ते बाद होगी. 

मॉब लिंचिंग पर सुप्रीम कोर्ट की दो टूक, कोर्ट के आदेश का सख्ती से पालन करें राज्य

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने एक हफ्ते में राज्यों से मॉब लिंचिंग को लेकर कोर्ट के आदेश पर अमल करने का आदेश दिया है. याचिकाकर्ता की वकील इंदिरा जयसिंह ने कोर्ट से कहा कि सुप्रीम कोर्ट के पुराने फैसले में राज्यों व केन्द्र सरकार को आदेश दिया गया था कि सरकारें मॉब लिंचिंग के खिलाफ प्रचार प्रसार करें, लेकिन सरकारें ऐसा नहीं कर रही हैं. कोर्ट ने इस पर सभी राज्यों से अमल करने को कहा है. मामले की अगली सुनवाई दो हफ्ते बाद होगी. 

दरअसल, दिल्ली, हिमाचल प्रदेश, अरुणाचल प्रदेश, तेलंगाना मिजोरम, दादर नगर हवेली, दमन दीव, नागालैंड और मणिपुर राज्यों (UTs) ने अब तक कोर्ट के दिशानिर्देश पर अमल नहीं किया है. पिछली सुनवाई में कोर्ट ने उन राज्यों को एक हफ्ते का समय दिया था, जिन्होंने कोर्ट के दिशा-निर्देश का अब तक पालन नहीं किया है. कोर्ट ने राज्यों को चेतावनी देते हुए कहा था कि कोर्ट के फैसले को 13 सितंबर लागू किया जाए, नहीं तो राज्यों के गृह सचिव को तलब किया जाएगा. वहीं सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया था कि उसने इस मसले ओर कानून बनाने पर विचार करने के लिए मंत्रियों के एक समूह का गठन किया है. अब तक सुप्रीम कोर्ट के आदेश के पालन करने को लेकर केंद्र सरकार, 9 राज्य और एक केंद्र शासित प्रदेश अनुपालन रिपोर्ट दाखिल कर चुके हैं.

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इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने सभी राज्यों से मॉब लिंचिंग की घटनाओं को रोकने के लिए क्या कदम उठाए गए हैं, इस बारे में अनुपालन रिपोर्ट दाखिल करने को कहा था. आपको बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में केंद्र और राज्य सरकारों को दिशा-निर्देश जारी किया था. कोर्ट ने मॉब लिंचिंग और गौरक्षा के नाम पर होने वाली हत्याओं को लेकर कहा था कि कोई भी नागरिक कानून अपने हाथ में नहीं ले सकता. डर और अराजकता की स्थिति में राज्य सरकारें सकरात्मक रूप से काम करें. कोर्ट ने संसद से यह भी कहा था कि वो देखे कि इस तरह की घटनाओं के लिए कानून बन सकता है क्या?

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गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और राज्य सरकारों को दी गई गाइडलाइन जारी करने को कहा था और अगले 4 हफ्तों में कोर्ट में जवाब पेश करने के नर्देश भी दिए थे.सुप्रीम कोर्ट ने जाति और धर्म के आधार पर लिंचिंग के शिकार बने लोगों को मुआवजा देने की मांग कर रही लॉबी को भी बड़ा झटका दिया था.चीफ जस्टिस ने वकील इंदिरा जयसिंह से असहमति जताते हुए कहा था कि इस तरह की हिंसा का कोई भी शिकार हो सकता है सिर्फ वो ही नहीं जिन्हें धर्मा और जाति के आधार पर निशाना बनाया जाता है. हालांकि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद भी राजस्थान के अलवर जिले के रामगढ़ थाना क्षेत्र के लालवंडी गांव में गो तस्करी के आरोप में कुछ कथित गोरक्षकों ने रकबर खान नामक एक शख्स को पीट-पीटकर मार डाला था. इसके अलावा मॉब लिंचिंग में रकबर खान की मौत के मामले में राज्यपुलिस पर कई गंभीर आरोप लगे हैं. आरोप है किपुलिस ने रकबर कोअस्पताल पहुंचाने की जगह बरामद गायों को पहले गौशाला पहुंचाने को तरजीह दी.इसकी वजह से रकबर को अस्पताल पहुंचाने में तीन घंटे की देरी हुई और उसकी मौत हो गई थी.  

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