राज्य विधानसभा ने गुरुवार को को सर्वसम्मति से 'सामाजिक और शैक्षिक रूप से पिछड़े वर्ग' श्रेणी के तहत मराठों के लिए 16 प्रतिशत आरक्षण का प्रस्ताव रखने वाले एक विधेयक को पारित कर दिया.
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मुंबई: राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग (एसबीसीसी) के निष्कर्षों के अनुसार, महाराष्ट्र में लगभग 37.28 प्रतिशत मराठा गरीबी रेखा से नीचे (बीपीएल) रह रहे हैं और मराठा समुदाय के 93 प्रतिशत परिवारों की वार्षिक आय एक लाख रुपये से कम है. राज्य विधानसभा ने गुरुवार को को सर्वसम्मति से 'सामाजिक और शैक्षिक रूप से पिछड़े वर्ग' श्रेणी के तहत मराठों के लिए 16 प्रतिशत आरक्षण का प्रस्ताव रखने वाले एक विधेयक को पारित कर दिया.
एसबीसीसी ने मराठों की सामाजिक, शैक्षणिक और वित्तीय स्थिति का अध्ययन किया और आयोग के निष्कर्षों का सारांश सरकार ने राज्य विधानसभा के पटल पर रखा. इसमें कहा गया है कि राज्य की कुल जनसंख्या में मराठा समुदाय की हिस्सेदारी 30 प्रतिशत है और उसके 76.86 प्रतिशत परिवार कृषि और कृषि श्रम पर निर्भर हैं.
6.92 प्रतिशत मराठा भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) में हैं
एसबीसीसी निष्कर्षों में कहा गया है कि 6.92 प्रतिशत मराठा भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) में हैं जिनमें से केवल 0.27 प्रतिशत की सीधी भर्ती हुई है. मराठों का भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) में प्रतिनिधित्व 15.92 प्रतिशत है जबकि भारतीय वन सेवा में यह 7.87 प्रतिशत है. इसमें कहा गया है कि 2013 से 2018 तक 13,368 किसानों ने आत्महत्या की जिनमें से 23.56 प्रतिशत (2,152) मराठा समुदाय से है. निष्कर्षों में कहा गया है कि आत्महत्या के मुख्य कारण कर्ज और फसल का नष्ट होना है.
बता दें मराठा समुदाय की राज्य में 30 प्रतिशत आबादी है. यह समुदाय लंबे समय से अपने लिए सरकारी नौकरियों और शिक्षा में आरक्षण की मांग कर रहा था.
(इनपुट - भाषा)