अध्यापन की पेशकश न स्वीकारने के रामचंद्र गुहा के फैसले में हमारी कोई भूमिका नहीं: AU
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अध्यापन की पेशकश न स्वीकारने के रामचंद्र गुहा के फैसले में हमारी कोई भूमिका नहीं: AU

19 अक्टूबर को एबीवीपी ने अहमदाबाद यूनिवर्सिटी के अधिकारियों को ज्ञापन सौंपकर कहा था कि वे रामचंद्र गुहा की नियुक्ति पर फिर से विचार करें, क्योंकि उनका लेखन ‘भारतीय संस्कृति एवं परंपराओं के खिलाफ है.’

रामचंद्र गुहा (फाइल फोटो)

अहमदाबाद: जाने-माने इतिहासकार रामचंद्र गुहा की ओर से अहमदाबाद यूनिवर्सिटी (AU) में अध्यापन की पेशकश स्वीकार नहीं करने की घोषणा के एक दिन बाद उनकी नियुक्ति का विरोध कर रही अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) ने अपनी ‘जीत’ का दावा किया. इस बीच, यूनिवर्सिटी प्रशासन ने इन खबरों को खारिज किया कि उसने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की छात्र इकाई एबीवीपी के दबाव में काम किया है.

अहमदाबाद यूनिवर्सिटी ने 16 अक्टूबर को गुहा की नियुक्ति की घोषणा की थी और 19 अक्टूबर को एबीवीपी ने यूनिवर्सिटी के अधिकारियों को ज्ञापन सौंपकर कहा था कि वे रामचंद्र गुहा की नियुक्ति पर फिर से विचार करें, क्योंकि उनका लेखन ‘भारतीय संस्कृति एवं परंपराओं के खिलाफ है.’

रामचंद्र गुहा को श्रेणिक लालभाई चेयर प्रोफेसर और ह्यूमैनिटीज और गांधी विंटर स्कूल के निदेशक के तौर पर अहमदाबाद यूनिवर्सिटी में अपनी सेवाएं देनी थीं. उन्होंने गुरूवार को ट्वीट किया, ‘अपने नियंत्रण से बाहर की परिस्थितियों के कारण मैं अहमदाबाद यूनिवर्सिटी में सेवा नहीं दे सकूंगा. एयू को मेरी शुभकामनाएं. इसके शिक्षक काफी अच्छे हैं और शानदार कुलपति हैं. मेरी कामना है कि गांधी की आत्मा उनके पैतृक स्थल गुजरात में एक बार फिर जीवित हो.’

शुक्रवार की शाम उन्होंने ट्वीट किया,‘गांधी के जीवनी लेखक के तौर पर मैं शब्दों से अपनी बात रखता हूं, हथियारों से नहीं. मैं किसी से वाद-विवाद एवं संवाद के लिए तैयार हूं और किसी से डरता नहीं. इसे संभव बनाना अहमदाबाद के अच्छे लोगों (जिनमें एयू का बोर्ड शामिल है) पर है.’

यूनिवर्सिटी के रजिस्ट्रार भूपेंद्र शाह ने कहा कि एयू किसी दबाव में काम नहीं करता और इस मामले में भी ऐसा नहीं हुआ है. शाह ने कहा, ‘एबीवीपी के छात्र आए थे और गुहा की नियुक्ति के खिलाफ हमें ज्ञापन दिया था. एयू किसी दबाव में काम नहीं करता और इस मामले में भी ऐसा नहीं हुआ है.’

एबीवीपी की अहमदाबाद इकाई के सचिव प्रवीण देसाई ने कहा,‘हमने एयू को एक ज्ञापन दिया था और भारतीय संस्कृति एवं परंपरा के खिलाफ उनके लेखन की सूची दी थी. हम कहेंगे कि हमने जो कुछ किया, छात्रहित में है.’ 

(इनपुट - भाषा)

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