तरुण सागर अपने कड़वे प्रवचनों के लिए प्रसिद्ध थे. इसी वजह से उन्हें क्रांतिकारी संत भी कहा जाता था. वहीं, कड़वे प्रवचन नामक उनकी पुस्तक भी काफी प्रचलित है.
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नई दिल्ली: पिछले 20 दिनों से बीमार चल रहे जैन मुनि और राष्ट्र संत तरुण सागर का 51 वर्ष की उम्र में निधन हो गया. उनकी हालत पिछले दो दिनों से गंभीर बनी हुई थी. गौरतलब है कि, 20 दिन पहले उन्हें पीलिया हुआ था. जिसके बाद उन्हें दिल्ली के मेक्स अस्पताल में भर्ती कराया गया था लेकिन उन्होंने इलाज कराने से मना कर दिया था. जिसके बाद उन्होंने राधापुरी जैन मंदिर चातुर्मास जाने का निर्णय किया था.
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, वह अपने गुरु पुष्पादंत सागर महाराज जी की स्वकृति के बाद से संलेखना कर रहे थे. कुछ वक्त पहले उनके गुरू पुष्पादंत सागर महाराज ने भी उनकी गंभीर हालत की पुष्टि की थी. जिसके बाद शुक्रवार देर रात सवा तीन बजे उनका निधन हो गया. बता दें, उनका अंतिम संस्कार आज दोपहर तीन बजे किया जाएगा. जैन मुनि के आवास पर भारी भीड़ देखने को मिल रही है. श्रद्धालु जैन मुनि के आवास पर सुबह से ही अंतिम दर्शन के पहुंच रहे हैं.
Jain Muni Tarun Sagar passed away this morning in Delhi. He was 51 years old. pic.twitter.com/xLn14g569u
— ANI (@ANI) September 1, 2018
अपने कड़वे प्रवचनों के लिए प्रसिद्ध थे जैन मुनि
तरुण सागर अपने कड़वे प्रवचनों के लिए प्रसिद्ध थे. इसी वजह से उन्हें क्रांतिकारी संत भी कहा जाता था. जैन मुनि पर आधारित किताब कड़वे प्रवचन एक वक्त काफी प्रख्यात हुई थी. समाज के विभिन्न वर्गों को एकजुट करके के लिए उन्होंने काफी प्रयास किए हैं. जैन मुनि तरुण सागर को मध्यप्रदेश सरकार ने 6 फरवरी 2002 को राजकीय अतिथि का दर्जा दिया था. बता दें कि, भारत ही नहीं बल्कि कई देशों में जैन-मुनि के भक्त रहते हैं.
1976 में मध्य प्रदेश में हुआ था जन्म
बता दें, जैन मुनि तरुण सागर का असली नाम पवन कुमार जैन था. उनका जन्म 26 1967 को ग्राम गुहजी, जिला दमोह, राज्य मध्य प्रदेश में हुआ था. कहा जाता है कि उन्होंने 1981 में घर छोड़ दिया था. जिसके बाद उनकी शिक्षा दीक्षा छत्तीसगढ़ में हुई थी.