मंदिर में नवंबर-जनवरी के बीच वार्षिक मंडलम उत्सव के दौरान राजपरिवार का प्रमुख कुछ खास अनुष्ठान करने का विशेषाधिकार रखता है.
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नई दिल्ली: पंडलाम राजपरिवार के प्रमुख केरल वर्मा राजा ने रविवार को कहा कि सबरीमाला पर सुप्रीम कोर्ट का हाल ही में आया फैसला श्रद्धालुओं के विरुद्ध है तथा केंद्र सरकार को अनुयायियों के अधिकारों की रक्षा के लिए इसमें जरुरी संशोधन करना चाहिए. ऐसा माना जाता है कि पंडलाम राज परिवार का सबरीमाला के मुख्य देवता भगवान अयप्पा की किवंदतियों से संबंध रहा है. मंदिर में नवंबर-जनवरी के बीच वार्षिक मंडलम उत्सव के दौरान राजपरिवार का प्रमुख कुछ खास अनुष्ठान करने का विशेषाधिकार रखता है.
राजा ने दिल्ली में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, ''पंडलाम राजपरिवार सबरीमाला मंदिर के कुछ अधिकारों और परंपराओं का पालन करता है. जहां तक फैसले का सवाल है, तो यह श्रद्धालुओं के विरुद्ध है. हम उसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट गए हैं. हम इस याचिका पर नतीजे का विश्लेषण करके उपयुक्त कदम उठायेंगे.'' वह सुप्रीम कोर्ट के 28 सितंबर के फैसले के खिलाफ अयप्पा धर्मा प्रोटेक्शन कमिटी के विरोध मार्च में हिस्सा लेने दिल्ली आए थे. उन्होंने अपील की कि केंद्र शीर्ष अदालत के फैसले के खिलाफ कानून में जरुरी संशोधन करे.
गौरतलब है कि केरल के सबरीमाला मंदिर में सभी उम्र की महिलाओं को प्रवेश की अनुमति देने के सुप्रीम कोर्ट के आदेश को लागू करने के खिलाफ भगवान अय्यप्पा के हजारों भक्त शनिवार (13 अक्टूबर) को सड़कों पर उतर आए. वहीं सामाजिक कार्यकर्ता तृप्ति देसाई ने जल्द ही पर्वतीय मंदिर में दर्शन के लिए जाने का ऐलान किया है. माकपा की अगुवाई वाली लेफ्ट डेमोक्रेटिक फ्रंट (एलडीएफ) सरकार ने शीर्ष अदालत के निर्णय को लागू करने का फैसला किया है. सरकार ने एक बैठक कर मंदिर पहुंचने वाले श्रद्धालुओं के लिए तैयारी का जायजा लिया.
मंदिर मासिक पूजा के लिए 17 अक्टूबर शाम को खुलेगा. सरकार ने मंदिर में देसाई के प्रस्तावित दर्शन पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है, लेकिन भगवान अय्यप्पा के भक्तों और बीजेपी ने तीखी प्रतिक्रिया दी. बीजेपी मंदिर में महिलाओं के प्रवेश के खिलाफ अभियान चला रही है. पडलम शाही परिवार के सदस्य शशिकुमार वर्मा ने देसाई की आलोचना करते हुए उनसे ‘अतिसक्रिय’ कदम उठाने से परहेज करने का अनुरोध किया था.
(इनपुट भाषा से)