महाराष्ट्र के शिक्षा मंत्री ने राजनीति की ‘गलत’ छवि के लिए मीडिया को ठहराया जिम्मेदार
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महाराष्ट्र के शिक्षा मंत्री ने राजनीति की ‘गलत’ छवि के लिए मीडिया को ठहराया जिम्मेदार

महाराष्ट्र के शिक्षा मंत्री विनोद तावडे ने राजनीति की ‘‘गंदी’’ छवि पेश करने के लिए मीडिया को जिम्मेदार ठहराया.

तावडे ने छात्रों के एक समूह को संबोधित करते हुए पूछा था कि उनमें से कितने लोग राजनीति में आना चाहते हैं. (फाइल फोटो)

मुंबई: महाराष्ट्र के शिक्षा मंत्री विनोद तावडे ने राजनीति की ‘‘गंदी’’ छवि पेश करने के लिए मीडिया को जिम्मेदार ठहराया. उनके इस बयान पर सहयोगी दल शिवसेना के साथ-साथ विपक्षी दलों ने भी तीखी प्रतिक्रिया दी है. तावडे ने विल्सन कॉलेज में शुक्रवार को छात्रों के एक समूह को संबोधित करते हुए पूछा था कि उनमें से कितने लोग राजनीति में आना चाहते हैं. जब उनके सवाल पर खराब प्रतिक्रिया आई, तो बीजेपी के वरिष्ठ मंत्री ने कहा, ‘‘अक्सर यह कहा जाता है कि राजनीति गंदी है. यह छवि तब बनती है जब मीडिया नेताओं की कुछ क्लिपिंग दिखाती है. इसमें कोई शक नहीं है कि मीडिया सच्ची खबरें दिखाता है, लेकिन उनमें से कुछ सच्ची नहीं होती.’’ 

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विपक्ष ने की तावडे के बयान की निंदा
इस मुद्दे पर तावडे की टिप्पणी नहीं मिल सकी, जबकि बीजेपी के दो अन्य प्रवक्ताओं ने इस मामले पर बोलने से इनकार कर दिया. तावडे की उनकी टिप्पणी के लिए आलोचना करते हुए महाराष्ट्र विधान परिषद में विपक्ष के नेता धनंजय मुंडे ने कहा कि मीडिया वही दिखाता है, जो दुनिया में हो रहा होता है. उन्होंने कहा कि नेताओं के गैरजिम्मेदाराना बर्ताव का नागरिकों के मन पर बुरा असर पड़ता है. राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के नेता ने कहा, ‘‘आज देश में राजनीति की खराब होती स्थिति दिखाने के लिए मीडिया को जिम्मेदार ठहराना गलत है. नेताओं को इस पर आत्ममंथन करना चाहिए कि किस वजह से हर दिन राजनीति का मानदंड नए स्तर तक गिर रहा है.’’ 

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शिवसेना ने शिक्षा मंत्री को दी नसीहत
शिवसेना प्रवक्ता मनीषा कायंद ने कहा कि मीडिया को जिम्मेदार ठहराने के बजाय यह नेताओं का कर्तव्य है कि वह जनता के बीच जिम्मेदारी से बर्ताव करे और बोले तथा छात्रों एवं समाज के लिए एक नजीर पेश करे.
उन्होंने दावा किया, ‘‘ऐसा लगता है कि तावड़े जी भूल रहे हैं कि वह अनाप शनाप बोलने की अपनी आदत के कारण एक के बाद एक विवाद खड़ा कर देते हैं. जब उनसे उनकी नकली शैक्षिक डिग्री के बारे में पूछा गया, तो मीडिया ने बस अपना काम किया. हाल ही में कॉलेजों में धार्मिक पुस्तकें वितरित करने पर सहमति को लेकर जब तमाशा हुआ था, तो मीडिया ने बस इसे दिखाया था.’’ 

(इनपुट भाषा से)

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