इरफान मच्छीवाला और मुश्ताक अंसारी करते हैं वेस्टर्न एक्सप्रेस हाइवे पर गढ्ढों को भरने का काम.
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मुंबई (सुभाष दवे): इरफान मच्छीवाला और मुश्ताक अंसारी मुंबई के दो आम युवा हैं, ये दोनों ना तो कोई एनजीओ चलाते हैं ना ही इनका राजनीति से कोई लेना देना है. मुंबई की सड़कों के गड्ढों से ये दोनों भी उतने ही परेशान थे जिनते आम लोग. लेकिन इन्होंने ना तो बीएमसी को कोसा और ना ही नेताओं को गालियां दी. बल्कि गड्ढों को भरने का काम खुद अपने हाथ में लिया. दोनों युवकों ने शुरुआत अपने ही इलाके यानी बांद्रा-माहिम में वेस्टर्न एक्सप्रेस हाइवे के गड्ढे भरने से की. ये दोनों अपने रोज के काम से घंटा दो घंटा फुर्सत निकालकर दोनों हाईवे पहुंच जाते हैं और गड्ढे भरने का काम करते हैं.
सड़क की मरम्मत के लिए ना तो ये लोग खर्चीला मैटीरियल इस्तेमाल करते हैं और ना ही इन्हें किसी महंगी विदेशी टेक्नोलोजी की जरूरत है. ये दोनों करते बस इतना है कि बिल्डिंग का मलबा जहां से मिल जाए उसे उठा लाते हैं और अपने छोटे-मोटे औजारों से गड्ढों को भर देते हैं.
इरफान और मुश्ताक ने मिलकर अब तक 95 से ज्यादा गड्ढे भर चुके हैं. मुश्ताक कार के बिजनेस में है और जब भी समय मिलता है वो गड्ढे भरने का काम करते हैं. इसे वो अपनी समाजिक जिम्मेदारी मानते हैं. मुश्ताक अंसारी का कहना है. "आज से 4 महीने पहले हम यहां से गुजर रहे थे और यहां के सड़कों के किनारे कई गड्ढे देखें, तो हमने सोचा कि हमें इसके खिलाफ कोई कदम उठाना चाहिए. बस, हमने यह जिम्मेदारी अपने हाथ में ले ली. हम अपने काम में से 1 से 2 घंटे का समय निकाल लेते हैं और यहां पर आकर सड़कों की मरम्मत करते हैं. गड्ढों की मरम्मत के लिए हम कंस्ट्रक्शन मैटीरियल का इस्तेमाल करते हैं. गड्ढे भरने के लिए सामान का सारा बंदोबस्त हम अपने पैसों से करते हैं."
जहां तक इरफान मच्छीवाला की बात है तो वो काफी समय से अलग अलग तरह के सामाजिक कार्यों से जुड़े रहे हैं. वो कहते हैं, "आज से 4 महीने पहले मैं और मेरे दोस्त यहां से गुजरते समय काफी गड्ढे देखें, आए दिन हमें गड्ढों से हो रही दुर्घटनाओं द्वारा मौतों की खबर सुनने में आ रही थी, तो हमने स्थानीय प्रशासन से इन गड्ढों के बारे में शिकायत की .पर इतने लंबे अरसे के बाद भी वहां से कोई कार्यवाही नहीं हुई. तो हमने सोचा क्यों ना हम ही गड्ढे भरे चार महीने से हम आसपास के इलाकों के गड्ढे भरते आ रहे हैं. अब तक हमने 95 गड्ढे भरे हैं. और जब स्थानीय लोगों को हमारे इस काम के बारे में पता चला तो उन्होंने हमारी काफी तारीफ की."