पंजाब के राज्यपाल बोले, 'भगवान राम ने लंका तक पुल बनाने के लिए टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया'
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पंजाब के राज्यपाल बोले, 'भगवान राम ने लंका तक पुल बनाने के लिए टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया'

एक आधिकारिक बयान के अनुसार उन्होंने दावा किया कि ‘‘ उस समय कई उन्नत हथियारों ’’ का भी इस्तेमाल किया गया था. 

पंजाब के राज्यपाल वीपी सिंह बदनौर व सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह (फोटोः ट्विटर-@vpsbadnore)

मोहालीः पंजाब के राज्यपाल वी पी सिंह बदनौर ने शुक्रवार को कहा कि भगवान राम के लंका पहुंचने के लिए एक पुल बनाया जाना प्राचीन काल में प्रौद्योगिकी के उपयोग का एक ‘‘ प्रमाण ’’ था. उन्होंने कहा कि उस दौर में " कई उन्नत हथियारों " का उपयोग किया गया था.  बदनौर ने राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी दिवस पर मोहाली में राष्ट्रीय भेषज शिक्षा एवं अनुसंधान संस्थान ( एनआईपीईआर ) में कहा कि भगवान राम ने समुद्र पार करने के लिए एक सेतु बनाया और हनुमान जी लक्ष्मण के लिए संजीवनी बूटी लाये थे . यह प्राचीन काल में प्रौद्योगिकी के इस्तेमाल का एक प्रमाण था. 

एक आधिकारिक बयान के अनुसार उन्होंने दावा किया कि ‘‘ उस समय कई उन्नत हथियारों ’’ का भी इस्तेमाल किया गया था.  त्रिपुरा के मुख्यमंत्री बिप्लब कुमार देब ने लगभग एक महीने पहले दावा किया था कि महाभारत के दौरान इंटरनेट और परिष्कृत उपग्रह संचार प्रणाली मौजूद थी. इस बयान के बाद आज बदनौर का यह बयान आया.  त्रिपुरा के राज्यपाल तथागत रॉय ने हालांकि देब का बचाव करते हुए कहा था कि उनकी टिप्पणी विषय के सन्दर्भ में थी. 

आपको बता दें कि पिछले साल गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रूपानी ने भी भगवान राम को लेकर ऐसा ही एक बयान दिया था. अगस्त 2017 में विजय रूपाणी ने इसरो के रॉकेट की तुलना भगवान राम के तीर से की थी. उन्होंने कहा कि अंतरिक्ष एजेंसी जो अब कर रही है, वह अतीत में हिंदू देवता कर चुके हैं. रामायण की चर्चा करते हुए रूपानी ने भारत और श्रीलंका के बीच उस युग के इंजीनियरों की मदद से पौराणिक 'राम सेतु' का निर्माण करने के लिये राम के 'इंजीनियरिंग कौशल' की भी तारीफ की. अहमदाबाद के मणिनगर इलाके में इंस्टीट्यूट ऑफ इन्फ्रास्ट्रक्चर एंड मैनेजमेंट (आईआईटीआरएएम) के प्रथम दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा, 'भगवान राम का हर तीर मिसाइल था. इसरो जो अब (रॉकेटों का प्रक्षेपण) कर रहा है, वो उन दिनों में भगवान राम किया करते थे.' इस कार्यक्रम में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन के यहां स्थित स्पेस ऐप्लिकेशन सेंटर के निदेशक तपन मिश्रा भी मौजूद थे.

आईआईटीआरएएम गुजरात सरकार द्वारा स्थापित एक स्वायत्त विश्वविद्यालय है. रूपानी ने कहा था, 'अगर हम आधारभूत संरचना को भगवान राम से जोड़ दें तो कल्पना कर सकते हैं कि भारत और श्रीलंका के बीच राम सेतु का निर्माण करने के लिये वह किस तरह के इंजीनियर थे. यहां तक कि गिलहरियों ने भी उस पुल के निर्माण में योगदान दिया. यह भगवान राम की कल्पना थी, जिसे उस युग के इंजीनियरों ने साकार किया.' रूपाणी ने आधुनिक युग से जोड़ने के लिये पौराणिक ग्रंथ से कुछ और उदाहरण गिनाये.

(इनपुट भाषा से)

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