मराठा आरक्षण : पवार ने फडणवीस पर साधा निशाना, कहा- 'झूठे वादे कर रहे हैं सीएम'
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मराठा आरक्षण : पवार ने फडणवीस पर साधा निशाना, कहा- 'झूठे वादे कर रहे हैं सीएम'

पवार ने फडणवीस से पूछा कि क्या वह मराठा समुदाय को आरक्षण देने के मामले में अपनी पार्टी के प्रमुख को धता बताएंगे.

शरद पवार ने साधा महाराष्‍ट्र के मुख्‍यमंत्री पर निशाना. फाइल फोटो

पुणे : राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के अध्यक्ष शरद पवार ने रविवार को महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस पर आरोप लगाया कि सरकारी नौकरियों और शिक्षा में आरक्षण के मुद्दे पर वह मराठा समुदाय से ‘झूठे’ वादे कर रहे हैं. पवार ने बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह के मीडिया में आए बयानों का हवाला दिया और फडणवीस से पूछा कि क्या वह मराठा समुदाय को आरक्षण देने के मामले में अपनी पार्टी के प्रमुख को धता बताएंगे.

एनसीपी नेता ने कहा कि शाह ने हाल में तेलंगाना में एक अल्पसंख्यक समुदाय के कोटा का विरोध करते हुए कहा था कि उच्चतम न्यायालय ने आरक्षण पर 50 फीसदी की सीमा तय कर रखी है. महाराष्ट्र में यदि मराठा आरक्षण लागू किया जाता है तो उच्चतम न्यायालय द्वारा तय की गई सीमा का उल्लंघन होगा.

बता दें कि 5 दिसंबर को मराठा आरक्षण को बॉम्बे हाईकोर्ट ने तत्काल स्थगित करने से इनकार कर दिया है. इस मामले में मुख्य न्यायाधीश नरेश पाटील और न्यायमूर्ति मकरंद कर्णिक की खंडपीठ ने सुनवाई की. कोर्ट में याचिकाकर्ता के वकील गुणरत्न सदावर्ते की तरफ से आरक्षण को स्थगित करने की मांग की गई.

याचिकाकर्ता ने कहा है कि नौकरी और महाविद्यालय में मराठा समाज को आरक्षण देने पर बड़ी गड़बड़ी हो सकती है. इससे 2 लाख लोग मेडिकल में प्रवेश के लिए अर्जी देंगे. याचिका में ये भी कहा गया कि राज्य सरकार की तरफ से 76000 पदों को भर्ती करने की घोषणा की गई है. मराठा आरक्षण देने से इसमें गड़बड़ हो सकती है. 

अब 10 दिसंबर को बॉम्बे हाई कोर्ट में मराठा आरक्षण को लेकर होने वाली सुनवाई के साथ-साथ इस याचिका पर भी सुनवाई होगी. बता दें कि 3 दिसंबर को महाराष्ट्र सरकार ने बॉम्बे हाईकोर्ट में कैविएट दायर करके कहा है कि अगर राज्य में मराठा समुदाय को आरक्षण देने के संबंध में किसी याचिका को विचारार्थ स्वीकार किया जाता है तो उस मामले में उसे भी सुना जाए. याचिकाकर्ता उच्च न्यायालयों और उच्चतम न्यायालय में कैविएट दायर करके यह सुनिश्चित करते हैं कि उसे सुने बिना उनके खिलाफ कोई भी प्रतिकूल आदेश पारित नहीं किया जाए.

वकील निशांत कतनेस्वरकर द्वारा दायर कैविएट में कहा गया था, ‘‘महाराष्ट्र सरकार को नोटिस दिये बिना मामले में कोई आदेश पारित नहीं किया जाए. कैविएटर (महाराष्ट्र सरकार) 30 नवंबर 2018 को महाराष्ट्र अधिनियम पारित करने वाला अधिकृत पक्ष है.’’

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