दागी नेताओं के 'राजनीतिक भविष्‍य' पर सुप्रीम कोर्ट आज सुना सकता है फैसला
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दागी नेताओं के 'राजनीतिक भविष्‍य' पर सुप्रीम कोर्ट आज सुना सकता है फैसला

याचिका में मांग की गई है कि गंभीर अपराधों में अगर किसी व्यक्ति के खिलाफ आरोप तय होते हैं तो उसके चुनाव लड़ने पर रोक लगाई जाए.

फाइल फोटो

नई दिल्‍ली : दागी नेताओं को चुनाव लड़ने से रोकने की याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ मंगलवार को फैसला सुनाएगी. सीजेआई दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पांच जजों की संविधान पीठ मंगलवार सुबह 10:30 बेज फैसला सुनाएगी. दरअसल, याचिका में मांग की गई है कि गंभीर अपराधों में जिसमें सजा 5 साल से ज्यादा हो और अगर किसी व्यक्ति के खिलाफ आरोप तय होते हैं तो उसके चुनाव लड़ने पर रोक लगाई जाए.

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पिछली सुनवाई में चुनाव आयोग ने इस मांग का समर्थन करते हुए कहा था कि हम 1997 में और लॉ कमीशन 1999 में जनप्रतिनिधित्व कानून में बदलाव की सिफारिश कर चुके हैं.लेकिन सरकार बदलाव नहीं करना चाहती.इससे पहले पांच जजों की संविधान पीठ ने केंद्र सरकार से पूछा था कि क्या चुनाव आयोग को ये शक्ति दी जा सकती है कि वो आपराधिक पृष्ठभूमि वाले उम्मीदवार को चुनाव में उतारें तो उसे चुनाव चिन्ह देने से इनकार कर दे? केंद्र सरकार ने इसका विरोध करते हुए कहा था कि ये चुने हुए प्रतिनिधि ही तय कर सकते हैं.

सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से कहा था कि हम अपने आदेश में ये जोड़ सकते हैं कि अगर अपराधियों को चुनाव में प्रत्याशी बनाया गया तो उसे चुनाव चिन्ह ना जारी करें. केंद्र सरकार ने कहा था कि अगर ऐसा किया गया तो राजनीतिक दलों में विरोधी एक-दूसरे पर आपराधिक केस करेंगे. संविधान पीठ ने कहा कि कोर्ट संसद के क्षेत्राधिकार में नहीं जा रहा. जब तक संसद कानून नहीं बनाती तब तक हम चुनाव आयोग को आदेश देंगे कि आपराधिक पृष्ठभूमि वाले लोगों को चुनाव चिह्न ना दे. कोर्ट ने कहा था कि पार्टी को मान्यता देते वक्त चुनाव आयोग कहता है कि पार्टी को कितने वोट लेने होंगे. 

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आपको बता दें कि सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ उस याचिका पर सुनवाई चल रही थी, जिसमें मांग की गई है कि गंभीर अपराधों में जिसमें सज़ा 5 साल से ज्यादा हो और अगर किसी व्यक्ति के खिलाफ आरोप तय होते हैं तो उसके चुनाव लड़ने पर रोक लगाई जाए.मार्च 2016 में सुप्रीम कोर्ट ने यह मामला पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ को विचार के लिए भेजा था. इस मामले में अश्विनी कुमार उपाध्याय के अलावा पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त जेएम लिंगदोह और एक अन्य एनजीओ की याचिकाएं भी लंबित हैं.

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