गोरखपुर हादसा : बच्चों की मौत के मामले में STF के हत्‍थे चढ़ा डॉ. कफील खान
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गोरखपुर हादसा : बच्चों की मौत के मामले में STF के हत्‍थे चढ़ा डॉ. कफील खान

अस्‍पताल में ऑक्‍सीजन की कमी से बच्‍चों की मौत होने का मामला सामने आया था. इसके बाद डॉ. कफील को उनके पद से हटा दिया गया था.

इस घटना के बाद 23 अगस्त को सात लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराई थी. (file pic)

नई दिल्‍ली : गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कॉलेज में इन्सेफलाइटिस वॉर्ड के इंचार्ज डॉक्टर कफील खान को यूपी एसटीएफ (UP STF) ने गिरफ्तार कर लिया है. उन्‍हें गोरखपुर से गिरफ्तार किया गया है. गौरतलब है कि बीआरडी मेडिकल कॉलेज में 10 अगस्त की रात 30 से अधिक बच्चों की मौत होने के बाद डॉक्टर कफील पर यह कार्रवाई की गई है. अस्‍पताल में ऑक्‍सीजन की कमी से बच्‍चों की मौत होने का मामला सामने आया था. इसके बाद डॉ. कफील को उनके पद से हटा दिया गया था.

डॉ. कफील पर नौकरी से अलग प्राइवेट अस्पताल चलाने सहित कई गंभीर आरोप लगे थे. गौरतलब है कि डॉ. कफील उस समय सुर्खियों में आए थे जब ऑक्‍सीजन की कमी के समय वह अपनी गाड़ी से दोस्तों के साथ निजी अस्पतालों से ऑक्‍सीजन सिलेंडर लेकर बीआरडी अस्पताल आए थे. इससे पहले एसटीएफ ने मेडिकल कॉलेज के निलंबित प्रिंसिपल डॉ. राजीव मिश्रा और उनकी पत्नी पूर्णिमा शुक्ला को हिरासत में लिया था.

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पूर्णिमा पर पति के कामकाज में हस्तक्षेप कर ऑक्सीजन वेंडरों से रिश्वत वसूलने का आरोप है. प्रिंसिपल और उनकी पत्नी कई दिनों से कानपुर में एक अधिवक्ता के घर पर ठहरे हुए थे, लेकिन पुलिस ने सर्विलांस की मदद से दोनों को ढूंढ़ निकाला था. प्रिंसिपल की पत्नी पूर्णिमा शुक्ला गोरखपुर की सीनियर होम्‍योपैथिक मेडिकल ऑफिसर के पद पर थी.

गौरतलब है कि गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कॉलेज में अगस्त के दूसरे हफ्ते में छह दिनों में 63 लोगों की मौत हो गई थी. 10 और 11 अगस्त को 30 बच्चों की मौत ऑक्सीजन की आपूर्ति रोक दिए जाने से हो गई थी. इस घटना के बाद चिकित्सा शिक्षा महानिदेशक केके गुप्ता ने लखनऊ में 23 अगस्त को सात लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराई थी, जिनमें प्रिंसिपल और उनकी पत्नी के नाम भी शामिल हैं.

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प्राथमिकी में बीआरडी मेडिकल कॉलेज में ऑक्सीजन की सप्लाई करने वाली फर्म पुष्पा सेल्स के संचालकों के अलावा कई कर्मचारियों व डाक्टरों को भी नामजद किया गया है. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बच्चों की मौत के मामले में मुख्य सचिव राजीव कुमार को जांच का जिम्मा सौंपा था. उन्होंने जांच के बाद अपनी रिपोर्ट मुख्यमंत्री को सौंप दी थी. इसके बाद चिकित्सा शिक्षा की अपर मुख्य सचिव अनीता भटनागर जैन को पद से हटा दिया गया था.

मुख्यमंत्री और प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री सिद्धार्थनाथ सिंह ने पहले इस मामले पर पर्दा डालने की पुरजोर कोशिश के तहत बयान दिया कि बच्चों की मौत ऑक्सीजन की सप्लाई रुकने से नहीं, बल्कि इन्सेफेलाइटिस से हुई.

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