J&K में पत्थरबाजी: सैनिकों के बच्चे पहुंचे NHRC, आयोग ने मांगी रक्षा मंत्रालय से रिपोर्ट
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J&K में पत्थरबाजी: सैनिकों के बच्चे पहुंचे NHRC, आयोग ने मांगी रक्षा मंत्रालय से रिपोर्ट

एनएचआरसी ने शुक्रवार को एक बयान में कहा कि शिकायतकर्ताओं ने 27 जनवरी को जम्मू कश्मीर के शोपियां जिले में सैन्य कर्मियों पर बेकाबू भीड़ के हमले और पथराव की हालिया घटनाओं की उचित जांच कराने के लिए आयोग के हस्तक्षेप की मांग की है.

(प्रतीकात्मक फोटो)

नई दिल्ली : राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) ने सैन्य अधिकारियों के तीन बच्चों की उस शिकायत का संज्ञान लिया है जिसमें उन्होंने जम्मू कश्मीर में पथराव की हालिया घटनाओं में सुरक्षा कर्मियों के मानवाधिकारों के कथित उल्लंघन का आरोप लगाया है. एनएचआरसी ने शुक्रवार को एक बयान में कहा कि शिकायतकर्ताओं ने 27 जनवरी को जम्मू कश्मीर के शोपियां जिले में सैन्य कर्मियों पर बेकाबू भीड़ के हमले और पथराव की हालिया घटनाओं की उचित जांच कराने के लिए आयोग के हस्तक्षेप की मांग की है .

  1. सैनिकों के तीन बच्चे पहुंचे NHRC
  2. बच्चों ने सुरक्षा कर्मियों के मानवाधिकारों और सुरक्षा का मुद्दा उठाया
  3. NHRC ने रक्षा मंत्रालय से रिपोर्ट मांगी है

एनएचआरसी ने रक्षा मंत्रालय से मांगी रिपोर्ट
अपनी शिकायत में बच्चों ने कहा है कि सुरक्षा बलों पर पथराव और उपद्रवी भीड़ के हमले की हालिया घटनाओं से वे 'परेशान'  हैं . आयोग ने कहा कि शिकायत में जो तथ्य रखे गए हैं और आरोप लगाए गए हैं, उन्हें देखते हुए जम्मू कश्मीर में सैन्य कर्मियों के मानवाधिकारों के उल्लंघन और कथित अपमान की मौजूदा स्थिति के बारे में जानने और केंद्र सरकार की ओर से उठाए गए कदमों पर रक्षा मंत्रालय से उसके सचिव के जरिए वास्तविक रिपोर्ट मंगाना उपयुक्त होगा. इसमें कहा गया है कि रक्षा सचिव को एक पत्र भेजकर चार हफ्ते में रिपोर्ट की मांग की गई है . 

शिकायत में उठाया गया सेना के जवानों और अधिकारियों की सुरक्षा का मुद्दा
शिकायत में जम्मू कश्मीर और अन्य राज्यों के उग्रवाद प्रभावित इलाके में तैनात सेना के जवानों और अधिकारियों की सुरक्षा के मुद्दे भी उठाए गए हैं. बयान में कहा गया कि जम्मू कश्मीर में, खासकर सैन्यकर्मियों के मानवाधिकारों के उल्लंघन की लगातार और कई घटनाओं पर आयोग का ध्यान आकर्षित किया गया है. खबरों का संदर्भ देते हुए शिकायत में कहा गया कि शोपियां जिले में सैन्य काफिले पर हमला बिना किसी भड़कावे के और अप्रत्याशित था इसके बावजूद सैन्यकर्मियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई.

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बयान में कहा गया, 'उन्होंने (बच्चों ने) तारीखवार घटनाओं का जिक्र किया है जहां लोगों की हिफाजत के लिए तैनात सेना को अशांति का सामना करना पड़ा .' शिकायत में यह भी आरोप लगाया गया है कि प्रशासन, जिसका सेना सहयोग करती है, सैन्य बलों के सदस्यों के मानवाधिकारों की रक्षा करने में  नाकाम रहा है. बयान में कहा गया, 'विभिन्न देशों के उदाहरण हैं जहां सैन्य बलों पर पथराव की घटना में संलिप्त लोगों को कठोर सजा दी जाती है .'

(इनपुट - भाषा)

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