ओडिशा के मयूरभंज जिले से स्कूल जाने वाले बच्चों का एक वीडियो सामने आया है. इस वीडियो में बच्चे घुटनों तक पानी के बहाव में चलकर नदी पार कर रहे हैं. वीडियो में साफ देखा जा सकता है कि किस प्रकार बच्चे अपना बस्ता सिर पर लिए नदी पार कर रहे है.
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नई दिल्लीः भारत में स्कूल जाने के लिए बच्चों को किन-किन मुश्किल रास्तों से गुजरना पड़ता है यह आपने कई बार देखा और सुना होगा. देश की कई बड़ी हस्तियों ने अपने जीवन के संघर्षों को याद करते हुए अपनी जीवनी में इस बात जिक्र किया वह किस तरह नदी पार कर स्कूल जाते थे और अपनी शिक्षा पूरी की. यह बात पिछले 50 साल पुरानी हो तो ठीक लगती है. क्योंकि उस समय ना तो इतने स्कूल थे और ना ही बड़ी संख्या में नदियों पर पुल बने थे. नाव की एक मात्र साधन होता था जिसका किराया देना हर किसी के वश में नहीं था. इसलिए लोग आमतौर पर नदियों को तैर कर ही पार किया करते थे.
लेकिन वर्तमान परिदृश्य में यदि ऐसा कुछ देखने को मिले तो हमार चकित होना स्वाभाविक है. ओडिशा के मयूरभंज जिले से स्कूल जाने वाले बच्चों का एक वीडियो सामने आया है. इस वीडियो में बच्चे घुटनों तक पानी के बहाव में चलकर नदी पार कर रहे हैं. वीडियो में साफ देखा जा सकता है कि किस प्रकार बच्चे अपना बस्ता सिर पर लिए नदी पार कर रहे है.
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इस बस्ते में बच्चों ने अपनी स्कूल की वर्दी भी रखी है. जैसे ही बच्चे नदी पार कर लेते है, वैसे ही एक बड़े पत्थर पर रुककर बच्चे अपने कपड़े पहनते है और स्कूल के लिए निकल जाते है. यह वीडियो मयूरभंज जिले के बांगरीपोसी ब्लॉक का है. बताया जा रहा है कि इस इलाके में दूसरे गांव से संपर्क का कोई भी अन्य रास्ता नहीं है.गौरतलब है कि इससे पहले 2014 में यह बताया गया था कि गुजरात में स्कूल पहुंचने के लिए लगभग 100 छात्रों को हर रोज नदी में तैरना होता है. नर्मदा जिले के 16 जनजातीय गांवों के लड़के और लड़कियों ने 600 मीटर चौड़ी नदी हिरन में तैरना होता है इसके बाद यह छात्र अपने निकट के स्कूल के लिए उतवाड़ी गांव तक लगभग 5 किलोमीटर पैदल चलते है.
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अगस्त 2017 में झारखंड के लातेहार से ऐसी कुछ तस्वीरें सामने आई थी जिनमें स्कूल के छात्रों ने नदी के पार जाने के लिए अपनी जान खतरे में डालते देखा गया.
(इनपुट पीटीआई से भी)