हिमांशु रॉय ने ने शुक्रवार दोपहर 1 बजकर 40 मिनट पर खुद को गोली मार ली. उन्हें मुंबई में अंडरवर्ल्ड का सफाया करने के लिए जाना जाता था.
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नई दिल्ली: मुंबई पुलिस के सुपरकॉप और पूर्व एटीएस चीफ हिमांशु रॉय ने खुद को गोली मार कर आत्महत्या कर ली. हिमांशु रॉय ने शुक्रवार दोपहर 1 बजकर 40 मिनट पर खुद को गोली मार ली. वह उस वक्त अपने घर पर थे. बताया जा रहा है कि कैंसर से पीड़ित थे और पिछले लंबे समय से छुट्टी पर चल रहे थे. सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, बीमारी से परेशान होकर उन्होंने खुद को गोली मार ली. अस्पताल में इलाज के दौरान उन्होंने दम तोड़ दिया.
अंडरवर्ल्ड से था खतरा
हिमांशु रॉय को अंडरवर्ल्ड का सफाया करने के लिए जाना जाता था. उनका नाम दाऊद इब्राहिम मामले से लेकर कई बड़े नामचीन केस से जुड़ा था. लेकिन, हकीकत यह है कि जिस तरह उन्होंने अंडरवर्ल्ड का मुंबई से सफाया किया, उससे उनकी जान को हमेशा खतरा बना रहता था. यही वजह से थी कि उन्हें Z+ सिक्योरिटी दी गई थी. जानकारी के मुताबिक, संवेदनशील मामलों की जांच और संवेदनशील पद के चलते 2014 में उन्हें यह सुरक्षा दी गई थी.
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Z+ सुरक्षा वाले इकलौते पुलिस ऑफिसर
हिमांशु रॉय इकलौते ऐसे पुलिस ऑफिसर थे, जिन्हें Z+ सुरक्षा दी गई थी. उनके अलावा मुंबई पूर्व पुलिस कमिश्नर राकेश मारिया को भी जेड श्रेणी की सुरक्षा दी गई थी. लेकिन, हिमांशु रॉय को उनसे भी ऊपर की सुरक्षा मिली थी. बताया जाता है कि दाऊद के ग्रुप डी कंपनी को मुंबई से तोड़ने का काम उन्होंने ही किया था, जिसकी वजह से वह अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद के निशाने पर थे.
यासीन भटकल केस मिला था
इंडियन मुजाहिद्दीन के चीफ यासीन भटकल के मुंबई और पुणे ब्लास्ट मामले की जांच 2013 में हिमांशु रॉय को सौंपी गई थी. उसके बाद से ही उनकी जान पर खतरा था. यह वजह थी कि एक कमेटी ने उनकी सुरक्षा बढ़ाने की सिफारिश की थी.
एटीएस हेडक्वार्टर की हुई थी रेकी
बताया जाता है कि कुछ समय पहले आतंकियों ने एटीएस के नागपाड़ा हेडक्वार्टर की रेकी की थी. उस वक्त हिमांशु रॉय एटीएस के चीफ थे. सुरक्षा में चूक के बाद यहां एक नया सिक्योरिटी रूम तैयार कराया गया था.
वीवीआईपी के लिए होती है Z+ सुरक्षा
आपको बता दें, भारत में चार तरह की सुरक्षा दी जाती हैं, जिनमें एक्स, वाई, जेड और Z+ सुरक्षा शामिल हैं. लेकिन, Z+ सुरक्षा सिर्फ मुख्यमंत्रियों, सुप्रीम कोर्ट के जज और कैबिनेट मंत्रियों को दी जाती है. जेड प्लस कैटेगरी में 36 सुरक्षाकर्मी होते हैं. इनमें 10 एनएसजी, एसपीजी कमांडो होते हैं. शेष पुलिस के दल के लोग होते हैं. सुरक्षा के पहले घेरे की जिम्मेदारी एनएसजी की होती है. जबकि दूसरी लेयर में एसपीजी के जवान होते हैं.
क्या होती है Z+ सुरक्षा
जेड प्लस कैटेगरी में 36 सुरक्षाकर्मी तैनात किए जाते हैं. इनमें 10 एनएसजी, एसपीजी कमांडो होते हैं. शेष पुलिस के दल के लोग होते हैं. इसके अलावा, आईटीबीपी और सीआरपीएफ के जवान भी सुरक्षा में तैनात होते हैं. यह सुरक्षा घेरे जिसे दिया जाता है वह ऑफिस, घर के अलावा 24 घंटे उस शख्स के साथ रहती है. जेड प्लस कैटेगरी में सभी व्हीकल बुलेटप्रूफ से लैस होते हैं.