इस याचिका को खारिज करते हुए मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा ने कहा कि ये संसद का काम है और वही इस पर फैसला ले सकती है. कोर्ट ने कहा कि ऐसे कानून महिलाओं के सरंक्षण के लिए बनाए गए हैं.
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नई दिल्लीः सुप्रीम कोर्ट ने आज (शुक्रवार) पुरुषों से 'रेप' संबंधी याचिका को ख़ारिज कर दिया है. वकील ऋषि मल्होत्रा द्वारा दायर की गई इस याचिका में मांग की गई थी कि महिलाओं को भी पुरुषों की तरह रेप और यौन उत्पीड़न जैसे मामलों में दंडित किया जाए. क्योंकि पुरूष भी रेप के पीड़ित हो सकते हैं. इस याचिका को खारिज करते हुए मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा ने कहा कि ये संसद का काम है और वही इस पर फैसला ले सकती है. कोर्ट ने कहा कि ऐसे कानून महिलाओं के सरंक्षण के लिए बनाए गए हैं.
आपको बता दें कि इस याचिका में 'रेप' जैसे अपराध को जेंडर मुक्त करने की सिफारिश की गई थी. याचिका में दलील दी गई थी कि यौन अपराध को लिंग के आधार पर तय नहीं किया जाना चाहिए. ये पुरुषों के मूल अधिकारों का हनन भी है.आपको बता दें कि वर्तमान कानून के मुताबिक अगर पुरुष अपने 'रेप' संबंधी शिकायत करता है तो आरोपी को धारा 377 के तहत सजा दी जाती है. पुरुषों से जुड़े ऐसे अपराधों को 'रेप' नहीं बल्कि अननेचुरल सेक्स (अप्राकृतिक यौनाचारा ) की कैटेगरी में रखा जाता है.
Supreme Court rejects petition seeking to make the crime of rape gender-neutral.
— ANI (@ANI) February 2, 2018
क्या है मामला
बता दें कि इस याचिका के ख़ारिज होने के बाद भी फिलहाल शीर्ष अदालत में ऐसी ही एक और याचिका लंबित है. इस याचिका में कहा गया है कि समलैंगिकता को अपराध के दायरे से बाहर किया जाए और दूसरा यह कि सभी यौन अपराधों को लैंगिक-तटस्थता के आधार पर देखा जाए.