ग्रहण को विज्ञान में एक खगोलीय घटना कहा गया है तो वहीं, ज्योतिष इसे भगवान का कष्ट कहते हैं. वर्ष 2018 का पहला सूर्य ग्रहण आज (गुरुवार) को लगने वाला है. इसके बाद दूसरा सूर्यग्रहण 13 जुलाई 2018 और तीसरा सूर्यग्रहण 11 अगस्त 2018 को होगा.
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नई दिल्ली: सूर्य हो या फिर चंद्र भारत समेत तमाम देशों में इस पर लगने वाले ग्रहण के लिए हमेशा ही उत्सुकता बनी हुई रहती है. सूर्य और चंद्र पर लगने वाले ग्रहण का दीदार करने के लिए लोग सोलर-व्युइंग ग्लासेस, पर्सनल सोलर फिल्टर्स या आइक्लिप्स ग्लासेस का इस्तेमाल करते हैं. एक तरफ दुनिया के लोग इसे देखने के लिए उत्सुकत रहते हैं तो दूसरी तरफ ज्योतिष इसे देखना अच्छा नहीं मानते है. भारत में कई घर ऐसे हैं जहां पर ग्रहण के दौरान मंदिरों के दरवाजों को बंद कर दिया जाता है. ग्रहण को विज्ञान में एक खगोलीय घटना कहा गया है तो वहीं, ज्योतिष इसे भगवान का कष्ट कहते हैं. वर्ष 2018 का पहला सूर्य ग्रहण आज (गुरुवार) को लगने वाला है. इसके बाद दूसरा सूर्यग्रहण 13 जुलाई 2018 और तीसरा सूर्यग्रहण 11 अगस्त 2018 को होगा.
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क्या है सूर्य ग्रहण की पौराणिक कथा
वेदों, पुराणों और शास्त्रानुसार सूर्य और चंद्र पर लगने वाले ग्रहण का सीधा ताल्लुकात राहु और केतु से है. धार्मिक मान्यता के अनुसार दैविक काल में जब देवताओ को अमृत पान और दैत्यों को वारुणी पान कराया जा रहा था तब इस बात की खबर दैत्य राहु को हुआ. दैत्य राहु ने छुपकर देवता की पंक्ति में जाकर बैठ गया परन्तु अमृत पान के पश्चात इस बात को सूर्य और चंद्र को उजागर कर दिया. ऐसी भी मान्यता है कि समुद्र मंथन में अमृत के लिए देवाताओं और असुरों के बीच घमासान चल रहा था. समुद्र मंथन में अमृत देवताओं को मिला लेकिन असुरों ने उसे छीन लिया. अमृत को वापस लाने के लिए भगवान विष्णु ने मोहिनी नाम की सुंदर कन्या का रूप धारण किया और असुरों से अमृत को छीन लिया.
विज्ञान के अनुसार सू्र्य ग्रहण के मायने
वहीं, विज्ञान सूर्य और चंद्र ग्रहण को एक खगोलीय घटना मानचा है. विज्ञान के अनुसार सूर्य, चंद्रमा और पृथ्वी तीनों एक ही रेखा में आ जाते हैं. एक ही रेखा में सूर्य की उपछाया से होकर गुजरता है, जिस वजह से उसकी रोशनी फिकी़ पड़ जाती है और दुनिया उसे ग्रहण के नाम से पुकारती है.