तीन तलाक बिल पर लोकसभा में बहस जारी, कानून मंत्री बोले- 'यह बिल किसी धर्म के खिलाफ नहीं'
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तीन तलाक बिल पर लोकसभा में बहस जारी, कानून मंत्री बोले- 'यह बिल किसी धर्म के खिलाफ नहीं'

कांग्रेस के वरिष्‍ठ नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि यह बहुत महत्‍वपूर्ण बिल है और इस पर अधिक अध्‍ययन की जरूरत है. यह संवैधानिक मामला भी है. मैं अनुरोध करता हूं कि इस बिल को ज्‍वाइंट सिलेक्‍ट कमेटी के पास भेजा जाए.

(फाइल फोटो)

नई दिल्ली : मुस्लिम समाज से जुड़ी एक बार में तीन तलाक (तलाक-ए-बिद्दत) की प्रथा पर रोक लगाने के मकसद से लाए गए विधेयक लोकसभा में चर्चा जारी है. तीन तलाक विधेयक पर चर्चा शुरू होने के साथ ही विपक्ष ने हंगामा शुरू कर दिया. कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने सदन में चर्चा के लिए बिल को रखते हुए कहा कि देश की सर्वोच्च अदालत सुप्रीम कोर्ट ने भी तीन तलाक को असंवैधानिक बताया है. कांग्रेस के वरिष्‍ठ नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि यह बहुत महत्‍वपूर्ण बिल है और इस पर अधिक अध्‍ययन की जरूरत है. यह संवैधानिक मामला भी है. मैं अनुरोध करता हूं कि इस बिल को ज्‍वाइंट सिलेक्‍ट कमेटी के पास भेजा जाए.

वहीं, AIMIM के नेता असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि यह मामला ज्वाइंट सेलेक्ट कमेटी को भेजा जाना चाहिए. इस मांग का टीएमसी ने भी समर्थन किया. टीएमसी के वरिष्ठ नेता सुदीप बंधोपाध्याय ने लोकसभा में कहा कि यह बिल ज्वाइंट सेलेक्ट कमेटी को भेजा जाना चाहिए.

सियासत के तराजू में न तोला जाए बिल- रविशंकर
रविशंकर प्रसाद ने कहा कि तीन तलाक विधेयक मुस्लिम महिलाओं के लिए बेहद खास है, इसलिए इसे सियासत के तराजू में न तोला जाए. उन्होंने कहा कि ट्रिपल तलाक के दुरूपयोग को खत्म किया जाना चाहिए. उन्होंंने कहा कि यह विधेयक किसी भी धर्म को हानि पहुंचाने के लिए नहीं है, ये मुस्लिम महिलाओं की गरिमा से जुड़ा हुआ मामला है.

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20 इस्लामिक देशों ने किया बैन
कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि विश्व के 20 इस्लामिक देशों ने तीन तलाक को बैन कर रखा है, तो भारत जैसे सेकुलर देश इसे क्यों झेल रहा है. रोज तीन तलाक के मामले सामने आ रहे हैं. उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार तीन तलाक से पीड़ित महिलाओं को न्याय दिलाने के प्रतिबद्ध है.

विपक्ष ने राफेल मुद्दे पर किया हंगामा
बिल पर चर्चा से पहले विपक्ष ने राफेल सौदे को लेकर सदन में जमकर हंगामा मचाया, जिसके चलते सदन की कार्यवाही को दोपहर 12 बजे तक स्‍थगित कर दिया गया. कांग्रेस के वरिष्‍ठ नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि हम चर्चा में भाग लेंगे और अपने विचार रखेंगे. साथ ही हम सरकार से अनुरोध करते हैं कि वह धार्मिक मुद्दों पर हस्‍तक्षेप न करें. दरअसल, पिछले सप्ताह सदन में इस पर सहमति बनी थी कि 27 दिसंबर को विधेयक पर चर्चा होगी. इससे पहले कांग्रेस ने इस पर सहमति जताई थी कि वह ‘मुस्लिम महिला विवाह अधिकार संरक्षण विधेयक-2018’ पर होने वाली चर्चा में भाग लेगी.

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लोकसभा में पिछले हफ्ते जब मुस्लिम महिला विवाह अधिकार संरक्षण विधेयक- 2018 चर्चा के लिए लाया गया तो सदन में कांग्रेस के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने सुझाव दिया था कि इस पर अगले हफ्ते चर्चा कराई जाए. इस पर संसदीय कार्य मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने विपक्ष से आश्वासन मांगा कि उस दिन बिना किसी बाधा के चर्चा होने दी जाएगी. इस पर खड़गे ने कहा, 'मैं आपसे अनुरोध करता हूं कि इस विधेयक पर 27 दिसंबर को चर्चा कराइए. हम सभी इसमें हिस्सा लेंगे. हमारी पार्टी और अन्य पार्टियां भी चर्चा के लिए तैयार हैं.'’ 

खड़गे के इस बयान पर कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा था, ‘‘खड़गे जी ने सार्वजनिक वादा किया है और हमें 27 दिसंबर को चर्चा कराने में कोई समस्या नहीं है. मैं अनुरोध करता हूं कि चर्चा खुशनुमा और शांतिपूर्ण माहौल में हो.'’ 

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तीन तलाक को दंडात्मक अपराध घोषित करने वाला यह विधेयक गत 17 दिसंबर को लोकसभा में पेश किया गया था. यह तीन तलाक से संबंधित अध्यादेश के स्थान पर लाया गया है.

इस प्रस्तावित कानून के तहत एक बार में तीन तलाक देना गैरकानूनी और अमान्य होगा तथा इसके लिए तीन साल तक की सजा हो सकती है. कुछ दलों के विरोध के मद्देनजर सरकार ने जमानत के प्रावधान सहित कुछ संशोधनों को मंजूरी प्रदान की थी ताकि राजनीतिक दलों में विधेयक को लेकर स्वीकार्यकता बढ़ सके.

विधेयक पेश करते हुए कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा था कि उच्चतम न्यायालय की ओर से गैरकानूनी करार दिए जाने के बावजूद तीन तलाक की प्रथा नहीं रुक रही है.

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