ब्रिक्स में पहले से कहीं अधिक केंद्र में रहा आतंकवाद का मुद्दा : भारत
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ब्रिक्स में पहले से कहीं अधिक केंद्र में रहा आतंकवाद का मुद्दा : भारत

गोवा में ब्रिक्स के सम्मेलन में समूह के सदस्य देशों के नेताओं द्वारा सीमापार आतंकवाद का उल्लेख नहीं होने की आलोचनाओं की पृष्ठभूमि में सरकार ने आज कहा कि पांच देशों के समूह की संयुक्त घोषणा में अतंकवाद के खिलाफ अब तक की सर्वाधिक सख्त भाषा है।

ब्रिक्स में पहले से कहीं अधिक केंद्र में रहा आतंकवाद का मुद्दा : भारत

नई दिल्ली : गोवा में ब्रिक्स के सम्मेलन में समूह के सदस्य देशों के नेताओं द्वारा सीमापार आतंकवाद का उल्लेख नहीं होने की आलोचनाओं की पृष्ठभूमि में सरकार ने आज कहा कि पांच देशों के समूह की संयुक्त घोषणा में अतंकवाद के खिलाफ अब तक की सर्वाधिक सख्त भाषा है।

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता विकास स्वरूप ने आलोचना को खारिज करते हुए कि गोवा सम्मेलन में आतंकवाद को अंताल्या जी20 के सम्मेलन से भी अधिक महत्वपूर्ण तरीके से केंद्र में रखा गया। अंताल्या सम्मेलन पेरिस आतंकी हमले की पृष्ठभूमि में हुआ था।

उन्होंने एक मीडिया ब्रीफिंग में कहा, ‘गोवा घोषणा में अतीत के सभी ब्रिक्स सम्मेलनों में से आतंकवाद के खिलाफ अब तक की सबसे सख्त भाषा इस्तेमाल की गयी है। घोषणापत्र में करीब 37 बार आतंकवाद-आतंक शब्द का उपयोग किया गया है।’ स्वरूप ने कहा कि सम्मेलन में आतंकवाद की अभूतपूर्व तरीके से निंदा की गयी और ब्रिक्स नेताओं ने भारत में हाल ही में हुए हमलों की कड़ी निंदा की।

उन्होंने कहा, ‘पहली बार ब्रिक्स के नेताओं ने सभी देशों से अपने क्षेत्रों से आतंकवादी कृत्यों को रोकने का आह्वान किया। मुझे नहीं पता कि किस आधार पर यह कहा जा रहा है कि यह आतंकवाद पर कमजोर घोषणा थी।’ मोदी सरकार ब्रिक्स के घोषणापत्र में पाकिस्तान से फैलते आतंकवाद का संदर्भ शामिल कराने में दयनीय तरीके से विफल रहने के आरोपों और विपक्ष की आलोचनाओं का सामना कर रही है।

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि पहली बार ब्रिक्स नेताओं ने आतंकवाद निरोधक कर्रवाई पर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्तावों को प्रभावी तरीके से लागू करने का आह्वान किया। उन्होंने संयुक्त राष्ट्र के आतंकवाद निरोधक रूपरेखा के प्रभाव को बढ़ाने की वकालत की। स्वरूप ने कहा कि ब्रिक्स नेताओं ने जनसंहार के हथियारों और आतंकवाद के बीच बढ़ती सांठगांठ की भी बात कही थी।

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