100 करोड़ के मानहानि मामले में 'द वायर' को झटका, हाईकोर्ट ने रद्द की केस खारिज करने की अपील
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100 करोड़ के मानहानि मामले में 'द वायर' को झटका, हाईकोर्ट ने रद्द की केस खारिज करने की अपील

पिछले साल बीते 23 दिसंबर को अमित शाह के भारतीय जनता पार्टी का अध्यक्ष बनने के बाद उनके बेटे जय शाह की कंपनी का टर्नओवर 16000 गुना बढ़ जाने को लेकर न्यूज वेबसाइट 'द वायर' में आलेख प्रकाशित हुआ था. 

बेटे जय शाह के साथ भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह. (फाइल फोटो)

अहमदाबाद: गुजरात उच्च न्यायालय ने न्यूज पोर्टल ‘दि वायर’ द्वारा दायर एक याचिका को 8 जनवरी को खारिज कर दिया. इस याचिका में भाजपा अध्यक्ष अमित शाह के पुत्र जय शाह द्वारा दायर आपराधिक मानहानि मामले को रद्द करने का अनुरोध किया गया था. न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला ने इस आधार पर याचिका को खारिज कर दिया कि ‘दि गोल्डन टच ऑफ जय अमित शाह’ आलेख ‘मानहानिकारक’ है और सुनवाई अदालत को मामले में आगे बढ़ना चाहिए. अदालत ने पहले सुनवाई अदालत को छह महीने में सुनवाई पूरी करने का निर्देश दिया था और सोमवार (8 जनवरी) को उसने वह आदेश वापस ले लिया. इसका अर्थ यह है कि अब सुनवाई अदालत को मामले की सुनवाई पूरी करने के लिए कोई समय सीमा निर्धारित नहीं है.

  1. ‘दि गोल्डन टच ऑफ जय अमित शाह’ आलेख पर 'द वायर' को झटका.
  2. 'द वायर' के खिलाफ 100 करोड़ रुपए की मानहानि का दावा. 
  3. 'द वायर' ने मानहानि दावे को खारिज करने के लिए की थी अपील.

100 करोड़ के मानहानि मामले में 'द वायर' को गुजरात हाईकोर्ट ने झटका देते हुए जय शाह द्वारा दायर मानहानि केस को रद्द करने की अपील खारिज कर दी. उल्लेखनीय है कि पिछले साल बीते 23 दिसंबर को अमित शाह के भारतीय जनता पार्टी का अध्यक्ष बनने के बाद उनके बेटे जय शाह की कंपनी का टर्नओवर 16000 गुना बढ़ जाने को लेकर न्यूज वेबसाइट 'द वायर' में प्रकाशित आलेख पर लगाई गई अंतरिम रोक यहां की एक अदालत ने हटा ली थी.

इससे पहले कोर्ट ने 12 अक्टूबर को जय शाह की याचिका मंजूर करते हुए इस संबंध में एक अन्य आदेश दिया था, जिसके तहत 'द वायर', उसके संपादक और आलेख के लेखक को जय शाह की कम अवधि में बेशुमार कमाई की कहानी को किसी भी तरह आगे बढ़ाने पर रोक लगाई गई थी. वेबसाइट ने 'गोल्डन टच ऑफ जय अमित शाह' नाम से एक आलेख प्रकाशित किया था, जिसमें जय शाह की कंपनी के टर्नओवर में अप्रत्याशित बढ़ोतरी का उल्लेख किया गया था. यह रोक मीडिया के सभी माध्यमों में लगाई गई थी. न्यायालय ने इस संबंध में साक्षात्कार, टीवी बहस समेत अन्य सभी संभावित माध्यमों पर रोक लगाई थी.

(इनपुट एजेंसी से भी)

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