माता चंद्रघंटा की पूजा करते समय दुर्गा सप्तशती के पाठ का पांचवा अध्याय जरूर पढ़ना चाहिए और माता को दूध का भोग लगाना चाहिए.
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नई दिल्ली : चैत्र नवरात्र का आज (20.03.18) तीसरा दिन है और इस दिन माता चंद्रघंटा यानी मां दुर्गा के तीसरे स्वरूप की पूजा की जाती है. माता चंद्रघंटा की पूजा करते समय दुर्गा सप्तशती के पाठ का पांचवा अध्याय जरूर पढ़ना चाहिए और माता को दूध का भोग लगाना चाहिए. पूजा के बाद आप दूध का दान भी कर सकते हैं. ऐसा करने से सभी तरह के दुखों से मुक्ति मिलती है. माना जाता है कि माता चंद्रघंटा की सच्चे मन से पूजा करने पर सभी जन्मों के कष्टों और पापों से मुक्ति मिल जाती है. माता की उपासना से भक्तों को भौतिक, आत्मिक, आध्यात्मिक सुख और शांति मिलती है और घर-परिवार से नकारात्मक ऊर्जा यानी कलह और अशांति दूर होती है.
माता की उपासना के लिए इस मंत्र का जाप करें-
पिण्डजप्रवरारूढ़ा चण्डकोपास्त्रकेर्युता। प्रसादं तनुते मह्यं चंद्रघण्टेति विश्रुता॥
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माता का स्वरूप
माता चंद्रघंटा का स्वरुप बहुत ही सुंदर है और वह सिंह पर प्रसन्न मुद्रा में विराजमान रहती हैं. दिव्य रूपधारी माता चंद्रघंटा की दस भुजाएं हैं और इन हाथों में ढाल, तलवार, खड्ग, त्रिशूल, धनुष, चक्र, पाश, गदा और बाणों से भरा तरकश है. मां चन्द्रघण्टा का मुखमण्डल शांत, सात्विक, सौम्य किंतु सूर्य के समान तेज वाला है. इनके मस्तक पर घण्टे के आकार का आधा चन्द्रमा सुशोभित है. माता की घंटे की तरह प्रचण्ड ध्वनि से असुर सदैव भयभीत रहते हैं. मां चंद्रघंटा का स्मरण करते हुए साधकजन अपना मन मणिपुर चक्र में स्थित करते हैं.
माता चंद्रघंटा नाद की देवी हैं. इनकी कृपा से साधक स्वर विज्ञान में प्रवीण होता है. मां चंद्रघंटा की जिस पर कृपा होती है उसका स्वर इतना मधुर होता है कि हर कोई उसकी तरफ खिंचा चला आता है. मां की कृपा से साधक को आलौकिक दिव्य दर्शन एवं दृष्टि प्राप्त होती है. साधक के समस्त पाप-बंधन छूट जाते हैं. प्रेत बाधा जैसी समस्याओं से भी मां साधक की रक्षा करती हैं. योग साधना की सफलता के लिए भी माता चन्द्रघंटा की उपासना बहुत ही असरदार होती है.