जब शबाना आजमी के 'दर्द' पर अटल ने यूं लगाया शब्‍दों का मरहम...
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जब शबाना आजमी के 'दर्द' पर अटल ने यूं लगाया शब्‍दों का मरहम...

बात तब की है, जब शबाना आजमी नई-नई संसद सदस्‍य के रूप में राज्‍यसभा पहुंची थी और संसद सत्र की शुरुआत राष्‍ट्रपति के अभिभाषण से हुई.

अटल जी ने कहा, महाभारत के पंछी की आंख की तरह से शबाना आजमी ने खुद का ध्‍यान एक ही बिंदु पर केंद्रित किया है. मगर उनके इस एक बिंदु में अगनित संभावनाएं हैं. (फाइल फोटो)

नई दिल्‍ली: स्‍वर्गीय अटल बिहारी वाजपेयी की यह खासियत थी कि वह संसद में मौजूद हर सदस्‍य की न केवल भावनाओं का ख्‍याल रखते थे, बल्कि संसद में उठाई गई हर छोटी सी छोटी बात को पूरी अहमियत देते थे. भले ही वह संसद सदस्‍य कितना भी वरिष्‍ठ हो या सबसे कनिष्‍ठ हो. कुछ ऐसा ही वाकया संसद में फिल्‍म अभिनेत्री शबाना आजमी के साथ हुआ. 

  1. शबाना आजमी पहली बार संसद की कार्यवाई में ले रही थी हिस्‍सा
  2. अभिभाषण के दौरान साथियों की अंस‍जीदगी से आहत थी शबाना
  3. सिर्फ तत्‍कालीन प्रधानमंत्री अटल जी ने समझी थी शबाना की पीड़ा

वाकया अप्रैल 1998 का है. शबाना आजमी नई-नई संसद सदस्‍य के रूप में राज्‍यसभा पहुंची थी. संसद सत्र की शुरुआत राष्‍ट्रपति के अभिभाषण से हुई. राष्‍ट्रपति के अभिभाषण के दौरान शबाना आजमी संसद और संसद सदस्‍यों की हर हरकत को बेहद बारीकी से महसूस कर रहीं थी. इसी दौरान, अपनी साथी सदस्‍यों की एक बात शबाना आजमी को चुभ गई. 

अटल जी ने भांपा शबाना आजमी के दिल का दर्द
शबाना आजमी के दिल में इस बात की चुभन इतनी गहरी थी कि जब उन्‍हें राष्‍ट्रपति के अभिभाषण पर अपने विचार रखने का मौका मिला, तो उन्‍होंने अपने दिल के इस दर्द से संसद के सभी सदस्‍यों को अवगत करा दिया. शबाना की इस चुभन का अहसास भले ही किसी संसद सदस्‍य को न हुआ हो, लेकिन तत्‍कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने उनके दर्द को भांप लिया. 

शबाना आजमी का यह दर्द मकानों के सवाल से जुड़ा था. शबाना आजमी ने अपने भाषण में उल्‍लेख किया कि यहां जब और बातें की जाती हैं तब तो तालियां बचती हैं, लेकिन राष्‍ट्रपति के अभिभाषण में सबको मकान देने की बात आई, तब किसी ने ताली नहीं बजाई.  शबाना के बाद दूसरे संसद सदस्‍यों ने राष्‍ट्रपति के अभिभाषण पर अपनी बात रखी. 

अटल जी ने कुछ यूं लगाया शबाना आजमी के दर्द पर अपने शब्‍दों का मरहम
घड़ी की बढ़ती सुइयों के साथ साथी सदस्‍यों के जहन से शबाना आजमी के शब्‍दों में झलका दर्द काफूर होता गया. लेकिन संसद में एक शख्‍स ऐसा था, जिसे शबाना आजमी द्वारा बोले गए एक-एक शब्‍द याद थे. वह शख्‍स और कोई नहीं बल्कि तत्‍कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी थे. राष्‍ट्रपति के अभिभाषण पर धन्‍यवाद भाषण देते हुए अटल जी ने शबाना आजमी के उस दर्द का खास तौर पर उल्‍लेख किया.

वाजपेयी जी ने कहा, "मुझे खुशी हुई कल श्रीमती शबाना आजमी का भाषण पढ़कर. उन्होंने खुद को मकानों के सवाल तक सीमित रखते हुए कहा है कि यहां जब और बातें की जाती हैं तब तो तालियां बजती हैं, लेकिन राष्‍ट्रपति के अभिभाषण में जब सबको मकान देने की बात हुई, तब किसी ने ताली नहीं बजाई.” वाजपेयी जी ने चुटीले अंदाज में कहा, 'शबाना जी राजनीति का स्वरूप कुछ ऐसा ही हो गया है.'

अटल जी ने शबाना आजमी को बताया महाभारत का अर्जुन
शबाना आजमी की गंभीरता और विषय पर एकाग्रता की तारीफ करते हुए अटल जी ने कहा, "वह अभी नई-नई आई हैं. लेकिन मुझे कहीं नहीं लगा कि कोई एक्ट्रेस बोल रही है, मुझे लगा कोई एक्टिविस्ट बोल रही हैं. उनके मन में एक पीड़ा है. महाभारत के पंछी की आंख की तरह से उन्होंने खुद का ध्‍यान एक ही बिंदु पर केंद्रित किया है. मगर उनके इस एक बिंदु में अनगिनत संभावनाएं हैं."

अटल जी ने इस एक बिंदु में मौजूद अनगिनत संभावनाओं का जिक्र भी अपने भाषण में किया. अपने भाषण में  उन्‍होंने कब्‍जे के जमीन पर बनने वाली बहुमंजिला इमारतों का भी न केवल चिंता जाहिर की, बल्कि कुछ बहुमंजिला इमारतों के लिए रियायती या नि:शुल्‍क दी जा रही जमीन का भी जिक्र किया. उन्‍होंने अपने उद्बोधन में एक योजना का जिक्र भी किया. जिसमें महज 5 रुपए रोज जमाकर अपना घर हासिल के सपने को साकार करने बात थी. अब देखना यह है कि क्‍या, कभी पूरा होगा अटल जी का यह अधूरा सपना...  

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