महाभारत काल में इंटरनेट, उपग्रह संचार मौजूद होने के दावे को लेकर घिरे CM बिप्लब देब
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महाभारत काल में इंटरनेट, उपग्रह संचार मौजूद होने के दावे को लेकर घिरे CM बिप्लब देब

विपक्षियों, शिक्षाविदों और सोशल मीडिया का इस्तेमाल करने वाले लोगों ने मुख्यमंत्री के दावे को अवैज्ञानिक, अतार्किक, प्रतिगामी करार देते हुए उनकी आलोचना की. हालांकि राज्यपाल तथागत रॉय ने देब का समर्थन करते हुए कहा कि उनकी टिप्पणियां प्रासंगिक हैं. 

विपक्षियों, शिक्षाविदों और सोशल मीडिया का इस्तेमाल करने वाले लोगों ने मुख्यमंत्री के दावे को अवैज्ञानिक, अतार्किक, प्रतिगामी करार देते हुए उनकी आलोचना की.

अगरतला : त्रिपुरा के मुख्यमंत्री बिप्लब कुमार देब ने दावा किया कि महाभारत के दिनों में इंटरनेट और अत्याधुनिक उपग्रह संचार प्रणाली मौजूद थी. इसे लेकर उन्हें अलग अलग हलकों से आलोचनाओं का सामना करना पड़ा है. विपक्षियों, शिक्षाविदों और सोशल मीडिया का इस्तेमाल करने वाले लोगों ने मुख्यमंत्री के दावे को अवैज्ञानिक, अतार्किक, प्रतिगामी करार देते हुए उनकी आलोचना की. हालांकि राज्यपाल तथागत रॉय ने देब का समर्थन करते हुए कहा कि उनकी टिप्पणियां प्रासंगिक हैं. 

  1. बिप्लब ने कहा-महाभारत काल से हैं तकनीकी सुविधाएं 
  2. बयान देने के बाद से ही विवादों में घिरे बिप्लब देब
  3. सोशल मीडिया पर लोगों ने उड़ाया बिल्पब देब का मजाक

जहां ट्विटर पर एक वर्ग ने हास्य विनोद के जरिये देब के दावे का मजाक उड़ाया , अन्य ने व्यंग्यात्मक तरीके से उनपर निशाना साधा. त्रिपुरा विश्वविद्यालय से मानविकी में स्नातक करने वाले देब ने यहां एक कार्यशाला को संबोधित करते हुए इंटरनेट एवं उपग्रह संचार की उत्पत्ति महाभारत काल में होने की बात कही थी. उन्होंने कल शाम यहां सार्वजनिक वितरण प्रणाली ( पीडीएस ) कंप्यूटरीकरण एवं सुधार से जुड़ी एक क्षेत्रीय कार्यशाला में कहा था कि महाभारत में इस बात का उल्लेख है कि संजय ने नेत्रहीन राजा धृतराष्ट्र को पांडवों और कौरवों के बीच जारी युद्ध का आंखों देखा हाल बयां किया था. 

मुख्यमंत्री ने कहा , 'संचार संभव था क्योंकि उस समय हमारी तकनीक अत्याधुनिक और विकसित थी. हमारे पास इंटरनेट एवं उपग्रह संचार प्रणाली थी. ऐसा नहीं है कि महाभारत काल में इंटरनेट या मीडिया मौजूद नहीं था. ' उन्होंने कहा , 'मुझे नहीं पता कि मध्य युग , महाभारत काल एवं वर्तमान के बीच क्या हुआ. ' मुख्यमंत्री ने आज अपने रूख का बचाव किया. उन्होंने कल के बयान को लेकर आज सुबह संवाददाताओं से कहा , 'वे ( आलोचक ) अपने खुद के देश को कमतर मानते हैं और दूसरे देशों को हमसे आगे आंकते हैं. सच्चाई को मानें. भ्रम में ना आएं और दूसरों को भ्रमित ना करें. ' 

देब ने कहा कि कुछ यूरोपीय देश और अमेरिका दावा करते हैं कि आधुनिक संचार प्रणाली उनका अविष्कार है लेकिन 'प्राचीन युग में हमारे पास सभी तकनीक थीं. ' भाजपा नेता ने कहा कि उन्हें इस बात पर गर्व है कि वह एक ऐसे देश में जन्मे जिसके पास पूरी दुनिया में सबसे अच्छी संचार प्रणाली और 'सर्वश्रेष्ठ संस्कृति थी. उन्होंने कहा , 'आधुनिक तकनीक एवं डिजिटलीकरण का इस्तेमाल भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने और प्रशासन में गोपनीयता की रक्षा के लिए किया जाना चाहिए. ' मुख्यमंत्री ने कहा कि उनकी सरकार गरीबों एवं पिछड़े लोगों का कल्याण सुनिश्चित करने के लिए समर्पित होकर काम करेगी. 

देब के दावे का रॉय ने समर्थन किया जो खुद एक सिविल इंजीनियर रह चुके हैं. उन्होंने कहा , 'पौराणिक काल की घटनाओं से जुड़ी त्रिपुरा के मुख्यमंत्री की टिप्पणी प्रासंगिक है. किसी प्रोटोटाइप या अध्ययन के बिना दिव्य दृष्टि और पुष्पक रथ जैसे उपकरणों का विकास होना असंभव है. ' हालांकि मुख्य विपक्षी दल माकपा ने देब और राय की टिप्पणियों की कड़ी आलोचना करते हुए उन्हें 'प्रतिगामी विचार ' बताया. 

माकपा की त्रिपुरा इकाई के सचिव बिजन धर ने कहा , 'दोनों आरएसएस की विचारधारा से प्रभावित हैं. ये सभी प्रतिगामी विचार हैं ' और दोनों उसी तरह से सोचते हैं जैसे आरएसएस सोचता है. त्रिपुरा कांग्रेस के उपाध्यक्ष तपस डे ने कहा , 'इतिहास चाहे वह आधुनिक इतिहास हो या पौराणिक इतिहास , ऐसी बातें नहीं करता. यह मूखर्तापूर्ण है और मुख्यमंत्री के पास ज्ञान की कमी है. यह साथ ही राज्य की मूल समस्याओं से लोगों का ध्यान हटाने का तरीका है. ' 

मुख्यमंत्री की टिप्पणी को लेकर वैज्ञानिकों और शिक्षाविदों ने भी कड़ी प्रतिक्रियाएं दीं. साहा इंस्टीट्यूट ऑफ न्यूक्लियर फिजिक्स के पूर्व निदेशक विकास सिन्हा ने कोलकाता में कहा कि कुछ लोगों का 'बेकार की बातें करना ' एक चलन बन गया है. उन्होंने कहा , 'वह बिल्कुल मूखर्तापूर्ण बातें कर रहे हैं. इस तरह की टिप्पणियों का कोई महत्व या आधार नहीं है. ' सिन्हा ने कहा , 'मैं बस इतना कह सकता हूं कि ये सब बेकार की बातें हैं. और उनमें राजनीतिक पहलू भी हो सकता है. ' 

जाधवपुर विश्वविद्यालय शिक्षक संघ ( जूटा ) के एक प्रवक्ता ने कहा , 'हम इस तरह की अवैज्ञानिक टिप्पणियों की निंदा के लिए एक बैठक में प्रस्ताव पेश करेंगे. इन टिप्पणियों का उद्देश्य आम लोगों को गुमराह करना है. ' जाधववुर विश्वविद्यालय के छात्र संघ एएफएसयू के नेता एवं प्रदेश एसएफआई समिति के सदस्य सोमश्री ने कहा , 'हम पौराणिक घटनाओं एवं पात्रों को भारतीय इतिहास के दस्तावेजों के रूप में पेश करने तथा दुष्प्रचार करने की भाजपा की कोशिश के खिलाफ विश्वविद्यालय एवं दूसरे संस्थानों के छात्रों को सतर्क करने के लिए एक अभियान चलाएंगे. ' 

उन्होंने कहा , 'हम त्रिपुरा के मुख्यमंत्री की इस तरह की टिप्पणी के खिलाफ एक अभियान की शुरूआत करेंगे. ' हाल के समय में भाजपा नेता एक के बाद एक भारत और हिंदू परंपराओं को लेकर अजीबों गरीब दावे कर रहे हैं. केंद्रीय मंत्री सत्यपाल सिंह ने कुछ महीने पिछले चार्ल्स डार्विन के क्रमिक विकास के सिद्धांत को खारिज करते हुए कहा था कि यह गलत है और इसे लेकर स्कूल एवं कॉलेजों के पाठ्यक्रम में बदलाव करने की जरूरत है. 

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