आज तय होगा त्रिपुरा के मुख्यमंत्री का नाम, पदों को लेकर IPFT में घमासान
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आज तय होगा त्रिपुरा के मुख्यमंत्री का नाम, पदों को लेकर IPFT में घमासान

दक्षिण त्रिपुरा के उदयपुर से ताल्‍लुक रखने वाले बिप्‍लव ने नई दिल्‍ली से मास्‍टर्स की डिग्री ली. उसके बाद दिल्‍ली में ही प्रोफेशनल जिम इंस्‍ट्रक्‍टर रहे.

त्रिपुरा बीजेपी अध्यक्ष बिप्लव देव का नया मुख्यमंत्री बनना तय है, सिर्फ नाम की घोषणा होनी बाकी है

अगरतला : त्रिपुरा में भाजपा और उसकी सहयोगी इंडीजीनस पीपुल्स फ्रंट ऑफ त्रिपुरा आईपीएफटी के नवनिर्वाचित विधायक आज यहां अपने नए नेता का चुनाव करेंगे और इस बीच आईपीएफटी ने नये मंत्रिमंडल में सम्मानजनक पदों की मांग की है. मुख्यमंत्री की दौड़ में आगे माने जा रहे त्रिपुरा भाजपा के अध्यक्ष बिप्लव देव ने कहा कि आज होने वाली बैठक केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी की मौजूदगी में राज्य अतिथिगृह में होगी.

  1. नितिन गडकरी करेंगे CM के नाम का ऐलान
  2. नई सरकार आठ मार्च को शपथ ले सकती है
  3. आईपीएफटी में पदों को लेकर मचा घमासान

भाजपा प्रवक्ता मृणाल कांति देब ने कहा कि केंद्रीय मंत्री जुएल ओरांव भी बैठक में मौजूद रहेंगे. नई सरकार आठ मार्च को यहां स्वामी विवेकानंद मैदान में शपथ ले सकती है. बिप्लव देव के अनुसार शपथ ग्रहण समारोह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, कई केंद्रीय मंत्री और भाजपा शासित राज्यों के मुख्यमंत्री भाग ले सकते हैं.

35 सीटों पर बीजेपी का कब्जा
त्रिपुरा में 59 सीटों के लिए चुनाव हुए जिनमें से 35 पर भाजपा और आठ सीटों पर उसके सहयोगी दल इंडीजीनस पीपुल्स फ्रंट ऑफ त्रिपुरा (आईपीएफटी) के उम्मीदवार विजयी हुए हैं. एक सीट पर माकपा उम्मीदवार के निधन के कारण मतदान रद्द कर दिया गया.

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सरकार से पहले घमासान
उधर, आईपीएफटी ने भाजपा पर दबाव बनाते हुए कहा कि अगर उसे मंत्रिमंडल में सम्मानजनक पद नहीं दिए गए तो वह नई सरकार को बाहर से समर्थन देगी. आईपीएफटी के अध्यक्ष एनसी देबबर्मा ने स्थानीय विधायकों में से ही मुख्यमंत्री चुने जाने की भी मांग की. उन्होंने कहा कि पूर्वोत्तर में परंपरा है कि स्थानीय समुदाय से मुख्यमंत्री का चुनाव किया जाए. 

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देबबर्मा ने कहा कि आईपीएफटी को अगर कैबिनेट में सम्मानजनक पद नहीं मिलते तो वह विधानसभा में अपने विधायकों के बैठने के लिए अलग ब्लॉक की मांग करेगी. सम्मानजनक पदों से क्या आशय है, यह पूछे जाने पर आईपीएफटी नेता ने कहा कि उनका मतलब कैबिनेट में उचित अनुपात में उनके विधायकों को प्रतिनिधित्व मिलने और उन्हें बड़े विभाग भी दिए जाने से है. देबबर्मा ने कहा, ‘आशंका है कि हमें कैबिनेट में उचित जगह नहीं दी जाएगी और भाजपा की तरह महत्वपूर्ण विभाग नहीं दिये जाएंगे.’ 

भाजपा नेताओं ने आईपीएफटी की मांग पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी. आईपीएफटी ने चुनाव से पहले साझा न्यूनतम एजेंडा के आधार पर भाजपा के साथ गठजोड़ किया था. इसका गठन आदिवासी समुदाय के लोगों ने 90 के दशक में किया था.

(इनपुट भाषा से)

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