SSB और Wild Life की संयुक्त टीम ने तेंदुए की 6.7 फीट लंबी तेंदुए की खाल के साथ दो तस्करों को पश्चिम बंगाल के अलीपुर द्वार से गिरफ्तार किया है.
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नई दिल्ली : भारतीय तेंदुओं पर इन दिनों 'ड्रैगन' की बुरी नजर है. अपने शौक पूरा करने के लिए ड्रैगन यानी चीन भारतीय जंगलों में विचरण कर रहे तेंदुओं की हत्या करा रहा है. इस बात का खुलासा पश्चिम बंगाल के अलीपुर द्वार से गिरफ्तार किए गए दो तस्करों ने किया है. इन दोनों तस्करों को सशस्त्र सीमा बल (SSB) और Wild Life स्क्वायड की संयुक्त टीम ने गिरफ्तार किया है. दोनों के कब्जे से SSB ने तेंदुए की एक खाल बरामद की है, जिसकी लंबाई करीब 6.7 फीट है. तेंदुए की इस खाल को दोनों तस्कर चीन भेजने वाले थे. जिसके एवज में उन्हें मोटी रकम मिलने वाली थी. Wild Life स्क्वायड की टीम इन तस्करों से तेंदुए की जान तो नहीं बचा पाई, लेकिन SSB के साथ मिलकर तस्करों के मंसूबों पर पानी जरूर फेंक दिया. दोनों तस्करों की गिरफ्तारी के बाद अब बेहद सीमित संख्या में बचे तेंदुओं की जान बचाई जा सकेगी.
चीन से आर्डर मिलने के बाद करते थे तेंदुओं की हत्या
SSB के वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार, गिरफ्तार किए गए दोनों तस्करों की पहचान प्रकाश तोप्पो (22) और सुशील टिग्गा (23) के रूप में हुई है. दोनों आरोपी तस्कर अलीपुरद्वार के तोतोतपारा के रहने वाले हैं. दोनों आरोपी चंद रुपयों के लिए न केवल बिन्नागुड़ी के जंगलों मे विचरण करने वाले तेंदुओं को शिकार करते थे. तेदुओं का शिकार करने के बाद उनकी खाल उतार कर विदेशों में भेज दी जाती थी. दोनों ने पूछताछ में खुलासा किया है कि चीन सहित दूसरे देशों में भारतीय तेदुंए के खाल की बहुत मांग है. तेंदुओं की खाल के लिए चीन से उन्हें स्पेशल आर्डर मिलते थे. इन्हीं आर्डर पर वे तेदुंए की हत्या कर उनकी खाल उतारते थे.
खास के सौदागरों की तलाश में SSB की टीम
पूछताछ के दौरान दोनों ने खुलासा कि चीन के नागरिकों को भारतीय खाल पहुंचाने के लिए बहुत से एजेंट पश्चिम बंगाल में सक्रिय है. चीन में सक्रिय सबसे पहले इन भारतीय एजेंटों से संपर्क करते थे. जिसके बाद ये एजेंट प्रकाश और सुशील जैसे शिकारियों को तेंदुओं को मारकर उनकी खाल उतारने का सौंप देते थे. पूछताछ के दौरान, दोनों ने कुछ ऐसे एजेंट के नाम का खुलासा किया है, जो ठेके पर तेंदुए सहित दूसरे जानवरों की हत्या कराते हैं. फिलहाल, SSB ने तेंदुए की खाल के साथ दोनों तस्करो को बिन्नागुड़ी वाइल्ड लाइफ डिवीजन के हवाले कर दिया है.
जानिए कैसे तय होती है खाल की कीमत
दोनों तस्करों ने पूछताछ के दौरान बताया कि तेंदुए के हर खाल की कीमत अलग अलग होती है. उन्होंने बताया कि तस्करी के लिए सबसे ज्यादा वन कट वाले खाल की सबसे अधिक मांग होती है. तस्करों को वन कट वाले तेंदुओं के खाल की सबसे अच्छी कीमत मिलती है. खाल के दो या दो अधिक टुकड़े होने पर चीनी तस्कर न ही इन खालों को खरीदते हैं और न ही खाल की कोई कोई कीमत मिलती है. चीनी तस्करों की वन कट वाली खाल का इंतजाम करने में कई बार न जाने कितने तेंदुओ की बलि चढ़ा दी जाती है.
घर की सजावट के लिए इस्तेमाल होती है तेंदुए की खाल
आपको जानकार हैरान होगी कि दुनियां में बेहद सीमित संख्या में बचे तेंदुओं को सिर्फ ड्राइंग रूम की सजावट के लिए खत्म किया जा रहा है. वाइल्ड लाइफ से जुड़े वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार, चीन जैसे कई ऐसे देश हैं, जहां के नागरिक अपने ड्राइंग रूम में जानवरों की खाल सजाते हैं. दूसरे देशों के कड़े नियम और लोगों की जागरूकता के चलते तस्कर वहां अपने मंसूबों को पूरा नहीं कर पात हैं. भारत में विचित्र स्थिति ऐसी है कि कुछ लोग चंद कौडि़यों पर न केवल अपना ईमान बेंच देते हैं बल्कि ऐसे संरक्षित जानवरों की हत्या करने के लिए तैयार हो जाते हैं, जिनका अस्तित्व पूरी दुनियां में खत्म होने की कगार पर है.