आजादी के 70 साल बाद आखिरकार यूनेस्को विश्व विरासत स्थल 'एलीफेंटा की गुफाओं' में बिजली की आपूर्ति हो गई है.
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मुंबईः आजादी के 70 साल बाद आखिरकार यूनेस्को विश्व विरासत स्थल 'एलीफेंटा की गुफाओं' में बिजली की आपूर्ति हो गई है. अब एलीफेंटा की गुफाएं भी बिजली से रोशन हो गई. समुद्र में 7.5 किलोमीटर लंबी केबल बिछाकर मुंबई से महज 10 किलोमीटर दूर एलीफेंटा या घरापुरी टापू पर बिजली पहुंचाई गई है. ऊर्जा मंत्री चंद्रशेखर बावनकुले ने इसे एतिहासिक दिन बताया है. उन्होंने कहा कि यह पहली बार है कि इस तरह के बड़े ताल का प्रयोग कर अरब सागर में बिजली की लाइनों का प्रसार किया गया है.
25 करोड़ रूपये की लागत से पूरी हुई परियोजना
महाराष्ट्र राज्य बिजली वितण कंपनी लिमिटेड के क्षेत्रीय निदेशक सतीश करापे ने बताया कि रोजाना देसी व विदेशी पर्यटकों की भारी भीड़ लगने वाले इस टापू के विद्युतीकरण की परियोजना पर कुल 25 करोड़ रुपये की लागत आयी है और इस परियोजना को 15 महीने में पूरी की गई है.
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समुद्र में बिछाया गया भारत में सबसे लंबा बिजली केबल
क्षेत्रीय निदेशक सतीश करापे ने कहा, "समुद्र में बिछाया गया भारत में यह सबसे लंबा बिजली केबल है जिसे बिछाने में लगभग 3 माह का वक्त लगा. इसके अलावा यहां के तीन गांवों में से प्रत्येक में छह स्ट्रीट लाइट टावर लगया है, जो 13 मीटर ऊंचा है और इसमें छह शक्तिशाली एलईडी बल्ब लगाए गए हैं.
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उपभोक्ताओं को भी बिजली कनेक्शन
करापे ने बताया कि यहां 200 घरों में बिजली के मीटर कनेक्शन और कुछ उपभोक्ताओं को व्यावसायिक कनेक्शन दिए गए हैं. पिछले तीन दिनों से जारी गहन जांच में विद्युतीकरण का यह कार्य सफल साबित हुआ है. उन्होंने कहा कि यह कदम अब पर्यटन में वृद्धि करेगा और अधिक लोग विश्व विरासत स्थल पर जाएंगे.
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विश्व विरासत है एलिफेंटा की गुफाएं
एलीफेंटा की गुफा मुंबई के गेट वे ऑफ इंडिया से लगभग 12 किलोमीटर दूर एलीफेंटा नाम की गुफा स्थापित है जो विश्वविख्यात है. यह गुफा यहां के पहाड़ों को काटकर बनाई गई है. यहां लगभग 7 गुफाएं हैं, एलीफेंटा को घारापुरी के नाम से भी जाना जाता है. इस गुफा में अर्द्धनारीश्वर, भगवान शिव, रावण द्वारा कैलाश पर्वत को ले जाते हुए और नटराज शिव की उल्लेखनीय छवियां दिखाई गई हैं. इस गुफा संकुल को यूनेस्को द्वारा विश्व विरासत का दर्जा दिया गया है.