'मन की बात': कश्मीर के लोगों की तरफ PM ने फिर बढ़ाया हाथ, बोले- 'एकता और ममता' समस्या हल करने का मूल मंत्र
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'मन की बात': कश्मीर के लोगों की तरफ PM ने फिर बढ़ाया हाथ, बोले- 'एकता और ममता' समस्या हल करने का मूल मंत्र

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज प्यार और एकता को कश्मीर समस्या के समाधान के लिए मूल मंत्र बताया और बच्चों को अशांति पैदा करने के लिए उकसाने वालों पर यह कहते हुए नाराजगी जाहिर की कि एक न एक दिन उन लोगों को इन बेकसूर बच्चों को जवाब देना ही होगा। प्रधानमंत्री ने जोर देकर कहा कि कश्मीर में अगर एक भी व्यक्ति की जान जाती है, चाहे वह कोई युवा हो या सुरक्षा कर्मी हो, तो वह हमारा, हमारे देश का नुकसान है।

'मन की बात': कश्मीर के लोगों की तरफ PM ने फिर बढ़ाया हाथ, बोले- 'एकता और ममता' समस्या हल करने का मूल मंत्र

नयी दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज प्यार और एकता को कश्मीर समस्या के समाधान के लिए मूल मंत्र बताया और बच्चों को अशांति पैदा करने के लिए उकसाने वालों पर यह कहते हुए नाराजगी जाहिर की कि एक न एक दिन उन लोगों को इन बेकसूर बच्चों को जवाब देना ही होगा। प्रधानमंत्री ने जोर देकर कहा कि कश्मीर में अगर एक भी व्यक्ति की जान जाती है, चाहे वह कोई युवा हो या सुरक्षा कर्मी हो, तो वह हमारा, हमारे देश का नुकसान है।

मोदी ने अपने मासिक रेडियो कार्यक्रम ‘मन की बात’ में घाटी में अशांति के बारे में कहा, कश्मीर में सभी पक्षों के साथ मेरे संवाद में एक चीज उभरी है जिसे सरल शब्दों में ‘एकता’ और ‘ममता’ कहा जा सकता है। यह दोनों चीजें ही (वहां की समस्या हल करने का) मूल मंत्र हैं।’ उन्होंने कहा कि कश्मीर पर सभी राजनीतिक दलों ने एक स्वर में बात की है जिससे ‘पूरी दुनिया में, तथा अलगाववादी ताकतों तक संदेश’ पहुंचा है और इसके साथ ही कश्मीर के लोगों तक हमारी भावनाएं पहुंची हैं। प्रधानमंत्री ने इसे संसद द्वारा पारित महत्वपूर्ण जीएसटी विधेयक की राह के समकक्ष रखा। गौरतलब है कि संसद में जीएसटी विधेयक पर सभी राजनीतिक दलों ने एकजुटता दिखाई थी।

‘मन की बात’ में मोदी ने कहा ‘यह हम सभी की सोच है, गांव के एक प्रधान से लेकर प्रधानमंत्री तक 125 करोड़ लोगों की सोच है कि अगर कश्मीर में एक भी व्यक्ति की जान जाती है, चाहे वह कोई युवा हो या कोई सुरक्षा कर्मी, वह हमारा, हमारे अपने देश का नुकसान है।’ साथ ही उन्होंने कश्मीर में अशांति पैदा करने की कोशिश में छोटे बच्चों का इस्तेमाल करने वाले लोगों पर यह कहते हुए नाराजगी जाहिर की कि ‘एक दिन उन लोगों को इन बेकसूर बच्चों को जवाब देना ही होगा।’ प्रधानमंत्री की इन टिप्पणियों से एक दिन पहले ही जम्मू कश्मीर की मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने मोदी से मुलाकात कर ‘तीन सूत्रीय कार्य योजना’ उन्हें पेश की थी। इस कार्य योजना में सभी पक्षों के साथ बातचीत शामिल है।

मोदी ने कहा, ‘यह देश बहुत बड़ा और विविधताओं से परिपूर्ण है। इसे एकजुट रखने के लिए एक नागरिक, एक समाज और एक सरकार के तौर पर एकता को उतना अधिक मजबूत करना हम सभी की जिम्मेदारी है जितना कि हम कर सकते हैं। तब ही देश का भविष्य उज्ज्वल हो पाएगा। मुझे देश के 125 करोड़ लोगों की शक्ति पर पूरा भरोसा है।’ अपने 35 मिनट के संबोधन में प्रधानमंत्री ने हाल ही में संपन्न ओलंपिक खेलों का भी जिक्र किया और नारी शक्ति की सराहना की। वह पदक विजेताओं बैडमिंटन खिलाड़ी पी वी सिंधु तथा पहलवान साक्षी मलिक का जिक्र कर रहे थे। उन्होंने जिमनास्ट दीपा कर्मकार की भी तारीफ की जो बहुत ही मामूली अंतर के चलते पदक से चूक गई।

प्रधानमंत्री ने कहा कि हॉकी, निशानेबाजी और बॉक्सिंग जैसे अन्य खेलों में भी भारतीय प्रतिभागियों ने अच्छा प्रदर्शन किया। उन्होंने कहा ‘लेकिन मेरे देशवासियों, हमें बहुत कुछ करने की जरूरत है। किंतु अगर हम वही करते रहेंगे जैसा कि हम करते चले आ रहे हैं तो शायद हमें फिर से निराश होना पड़ेगा।’ प्रधानमंत्री ने लोगों से मिले हजारों संदेशों का जिक्र किया। हताशा जाहिर कर रहे यह लोग चाहते थे कि वह (मोदी) रियो ओलंपिक खेलों में असंतोषजनक प्रदर्शन के मद्देनजर खेलों के विषय पर बोलें।

इस संदर्भ में उन्होंने एक कार्यबल बनाने की अपनी हालिया घोषणा का संदर्भ देते हुए कहा, हमें दीर्घकालिक कार्यक्रम बनाने होंगे। इस कार्यबल के तहत सरकार विषय की गहराई तक जाएगी, दुनिया में सर्वश्रेष्ठ तरीके का अध्ययन किया जाएगा और वर्ष 2020, 2024 तथा 2028 में होने जा रहे अगले तीन ओलंपिक खेलों के लिए रूपरेखा तैयार की जाएगी। प्रधानमंत्री ने राज्य सरकारों से यह देखने के लिए समितियां बनाने को भी कहा कि खेलों में प्रदर्शन सुधारने के लिए क्या किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि इस संबंध में राज्य अपने सुझाव केंद्र को भेज सकते हैं। उन्होंने कहा कि खेलों से जुड़े संघों को भी पक्षपातरहित तरीके से मंथन करना चाहिए। मोदी ने खेलों में रूचि रखने वाले लोगों से उन्हें या सरकार को सुझाव लिखने के लिए कहा। उन्होंने कहा ‘हमें सभी तैयारियां करनी चाहिए और मुझे पूरा विश्वास है कि 125 करोड़ लोगों का देश, जिनमें से 65 फीसदी आबादी युवा है। इस संकल्प के साथ आगे बढ़ेगा।’

‘मन की बात’ का यह 23वां सत्र था जिसमे प्रधानमंत्री ने मदर टेरेसा को संत का दर्जा दिए जाने के लिए चार सितंबर को होने जा रहे कार्यक्रम का भी जिक्र किया। इस कार्यक्रम में विदेश मंत्री सुषमा स्वराज हिस्सा लेंगी। आगामी पांच सितंबर को शिक्षक दिवस है जिसके संदर्भ में मोदी ने शिक्षक छात्र संबंधों पर भी कुछ शब्द कहे। इसके अलावा गंगा नदी की सफाई के प्रयासों, स्वच्छ भारत अभियान, पर्यावरण के अनुकूल गणेश विसर्जन तथा हाल ही में शुरू किए गए आकाशवाणी मैत्री पर भी उन्होंने अपने विचार रखे। आकाशवाणी मैत्री के तहत पश्चिम बंगाल और बांग्लादेश बांग्ला में अपनी सामग्री साझा करेंगे।

मोदी ने 84 वर्षीय उस सेवानिवृत्त शिक्षिका का भी जिक्र किया जिसने उन्हें पत्र लिखा था। पत्र में शिक्षिका ने बताया था कि उसने एलपीजी सब्सिडी छोड़ दी है और उन महिलाओं के लिए 50,000 रुपये दान दिए हैं जो अब भी खाना पकाने के लिए लकड़ियां जलाती हैं। प्रधानमंत्री ने देश के विभिन्न हिस्सों में आई बाढ़ का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि स्थानीय प्रशासन और केंद्र सरकार प्रभावितों की सहायता के लिए प्रयासरत हैं।

एकता की शक्ति के बारे में मोदी ने कहा, ‘अगस्त 2016 में धुर राजनीतिक प्रतिद्वन्द्विता रखने वाले वह राजनीतिक दल जीएसटी विधेयक को पारित करने के लिए एकजुट हो गए जो एक दूसरे पर हमला करने का कोई मौका नहीं छोड़ते।’ उन्होंने कहा कि कुल मिला कर 90 दल हैं। शिक्षक दिवस के संदर्भ में मोदी ने प्रख्यात बैडमिंटन खिलाड़ी पी गोपीचंद की तारीफों के पुल बांधे जो कि ओलंपिक खेलों में रजत पदक जीतने वाली खिलाड़ी पी वी सिंधु के कोच हैं। मोदी ने कहा कि गोपीचंद बेहतरीन गुरू होने का एक शानदार उदाहरण हैं जो अपनी शिष्या के प्रदर्शन में गहरे तक जुड़े हैं। उन्होंने कहा कि वह इस वर्ष शिक्षक दिवस के आयोजनों में हिस्सा नहीं ले पाएंगे क्योंकि उन्हें जी.20 शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए चीन जाना है।

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