अमर सिंह द्वारा नमाजवादी पार्टी के अध्यक्ष कहे जाने को लेकर अखिलेश यादव ने कहा कि पार्टी ने उनको बहुत कुछ नवाजा है, इसलिए उन्होंने मेरे बारे में ऐसा कहा.
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नई दिल्ली: समाजवादी प्रमुख अखिलेश यादव ने एक कार्यक्रम में अपने चाचा शिवपाल यादव द्वारा बनाए गए समाजवादी सेक्युलर मोर्चे पर खुलकर बातचीत की. अखिलेश यादव ने कहा कि हमारे घर में लोकतंत्र है. लोकतंत्र का इससे बेहतरीन उदाहरण नहीं हो सकता है. उन्होंने कहा कि हम चाचा (शिवपाल यादव) का सम्मान करते हैं. अमर सिंह को लेकर उन्होंने कहा कि आज भी हम उनको अंकल ही बुलाते हैं. जब उनसे पूछा गया कि अमर सिंह तो उन्हें नमाजवादी पार्टी के अध्यक्ष कह कर बुलाते हैं, जवाब में अखिलेश ने कहा कि आपलोग उनके कहने का मतलब नहीं समझ पाए. दरअसल, पार्टी ने उनको बहुत कुछ दिया है. उन्हें बहुत कुछ नवाजा गया है. इसलिए, उन्होंने हमारी तारीफ में नमाजवादी पार्टी का अध्यक्ष कहा है.
समाजवादी पार्टी में पिछले डेढ़ सालों से दरकिनार किए जाने के बाद आखिरकार शिवपाल यादव ने समाजवादी सेक्युलर मोर्चा के नाम से अपनी पार्टी का ऐलान किया. उन्होंने कहा कि हम उत्तर प्रदेश की सभी 80 सीटों से चुनाव लड़ेंगे. बता दें सपा के दो दिग्गज अमर सिंह और शिवपाल यादव अचानक से अखिलेश यादव को लेकर काफी हमलावर हो गए हैं. एक तरफ अमर सिंह अखिलेश को नमाजवादी कहते हैं और आजम खान के गृह जिले रामपुर में जाकर उनको चुनौती देते हैं. दूसरी तरफ शिवपाल यादव ने अपना अलग दल बना लिया है. दल बनाने के दौरान उन्होंने कहा कि अभी तक वे मुलायम सिंह के कहने पर रुके हुए थे. समाजवादी सेक्युलर मोर्चा को लेकर शिवपाल ने कहा कि जो लोग पार्टी से नाराज हैं और उनकी बातें नहीं सुनी जा रही हैं, उनका यहां स्वागत है.
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अचानक से दोनों नेताओं के हमलावर रुख को लेकर अखिलेश का कहना है कि ये बीजेपी के कहने पर ऐसा कर रहे हैं. इसमें कोई दो राय नहीं है कि शिवपाल सिंह यादव और अमर सिंह ने पिछले दिनों में कई बार बीजेपी के शीर्ष नेताओं से मुलाकात की है. अमर सिंह ने तो यहां तक कहा था कि शिवपाल बीजेपी में जाने के लिए पूरी तरह से तैयार थे. एक शीर्ष नेता के साथ उनकी मुलाकात भी निश्चित कर ली गई थी, लेकिन आखिरी वक्त में उन्होंने नहीं मिलने का फैसला किया.
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शिवपाल और अमर सिंह के एकजुट होने और अखिलेश को लेकर हमलावर होने को लेकर राजनीति विश्लेषक बीजेपी की चाल बता रहे हैं. विश्लेषकों का कहना है कि सपा और बसपा का गठबंधन हो चुका है. इस गठबंधन से बीजेपी की मुश्किलें बढ़ रही हैं. बीजेपी का मकसद सपा और बसपा के वोट बैंक में सेंध लगाना है. इटावा, मैनपुरी, फिरोजाबाद, कन्नौज जैसे क्षेत्रों में शिवपाल की अच्छी पैठ मानी जाती है. ऐसे में अगर शिवपाल के प्रत्याशी सभी 80 सीटों पर खड़ा होते हैं तो सपा और बसपा के वोट बैंक में जरूर सेंध लगेगा और इसका फायदा बीजेपी को होगा.