नोएडा: एमिटी यूनिवर्सिटी के छात्र की रहस्यमयी मौत के मामले की सुनवाई जनवरी 2019 तक टली
Advertisement

नोएडा: एमिटी यूनिवर्सिटी के छात्र की रहस्यमयी मौत के मामले की सुनवाई जनवरी 2019 तक टली

मृतक उदित शंकर के पिता का आरोप है कि पुलिस इस मामले को रफा-दफा करने में जुटी है और पुलिस के अधिकारी जानबूझकर अदालत में पेश नहीं हो रहे. 

गौतमबुद्ध नगर जिले के मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट (सीजेएम) की कोर्ट ने सुनवाई को टाला. (प्रतीकात्मक तस्वीर)

नोएडा: एमिटी यूनिवर्सिटी के छात्र उदित शंकर की नवंबर 2016 में हुई मौत के मामले में उनके पिता की याचिका पर बृहस्पतिवार (29 नवंबर) को गौतमबुद्ध नगर जिले के मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट (सीजेएम) की अदालत में सुनवाई होनी थी, लेकिन आखिरी समय में जांच अधिकारी (आईओ) ने अपनी व्यस्तता की वजह से आने में असमर्थता जाहिर की जिससे मामले की सुनवाई स्थगित करनी पड़ी. अदालत ने इस मामले की सुनवाई के लिए अब आठ जनवरी की तारीख तय की है. 

मृतक उदित शंकर के पिता का आरोप है कि पुलिस इस मामले को रफा-दफा करने में जुटी है और पुलिस के अधिकारी जानबूझकर अदालत में पेश नहीं हो रहे. अदालत में इस मामले की पैरवी कर रहे सुप्रीम कोर्ट के वकील जुबैर खान ने बताया कि नवंबर 2016 में एमिटी यूनिवर्सिटी के छात्र उदित की छात्रावास की छत से गिरकर संदिग्ध अवस्था में मौत हो गई थी. इस मामले में सेक्टर-39 थाने की पुलिस ने धारा 304- ए के तहत मुकदमा दर्ज किया था.

खान ने बताया कि घटना के समय से ही मृतक के पिता इस मामले में हत्या की आशंका जता रहे हैं. उनके अनुसार उदित की छत से फेंक कर हत्या की गई. उन्होंने बताया कि इस मामले को लेकर उदित के पिता ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री से भी मुलाकात की, जिसके बाद मामले की जांच का जिम्मा अक्टूबर 2017 में अपराध शाखा को सौंपा गया. खान के अनुसार, अपराध शाखा की टीम भी इस मामले में लीपापोती करने में जुट गई है. उन्होंने बताया कि दो वर्ष बीत जाने के बाद भी इस मामले में पुलिस ने ना तो आरोप-पत्र दायर किया है, न ही अंतिम रिपोर्ट दाखिल की है. 

अपराध शाखा की जांच से असंतुष्ट होकर मृतक के पिता उमाशंकर सिंह ने गौतम बुद्ध नगर जिला अदालत में 300 पेज की एक याचिका दायर की, जिसमें मांग की गई है कि उदित की मौत को दुर्घटनावश हुई मौत की बजाय हत्या का मामला मानकर जांच की जाए. 

उन्होंने बताया की इस मामले को गंभीरता से लेते हुए सीजेएम अदालत ने घटना की छानबीन कर रहे जांच अधिकारी गिरीश राज को मामले से संबंधित केस डायरी एवं दस्तावेज लेकर बृहस्पतिवार को अदालत में पेश होने का आदेश दिया था. लेकिन आईओ ने कहीं और व्यस्त होने की अर्जी दाखिल कर दी, जिसकी वजह से मामले की सुनवाई आठ जनवरी तक टालनी पड़ी.

मृतक के पिता उमाशंकर ने बताया कि नोएडा पुलिस शुरू से ही इस मामले में 'लीपापोती' करने में जुटी है. उन्होंने आरोप लगाया कि एमिटी यूनिवर्सिटी के प्रभाव के कारण पुलिस कोई ठोस कार्रवाई नहीं कर रही है. उन्होंने बताया कि जिन युवकों पर उदित की हत्या का शक है उनका नार्को टेस्ट कराने की मांग की गई थी, लेकिन पुलिस ने उनका नार्को टेस्ट नहीं कराया.

उन्होंने बताया कि उदित की मौत के बाद इस मामले को उलझाने की मंशा से उदित के नाम से एक फर्जी सुसाइड नोट प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) को भेजा गया था, जिसकी जांच से पता चला कि पीएमओ को भेजा गया नोट उदित द्वारा नहीं लिखा गया था. उन्होंने बताया कि लखनऊ विधि विज्ञान प्रयोगशाला द्वारा दी गई रिपोर्ट भी इस केस में हत्या की तरफ इशारा करती है. 

Trending news