'मंदिर में विराजमान रामलला नाबालिग का दर्जा रखते हैं, उनकी संपत्ति छीन नहीं सकते'
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'मंदिर में विराजमान रामलला नाबालिग का दर्जा रखते हैं, उनकी संपत्ति छीन नहीं सकते'

अयोध्‍या केस की 9वें दिन की सुनवाई में रामलला विराजमान के वकील सीएस वैद्यनाथन ने कहा कि विवादित भूमि पर मंदिर रहा हो या न हो, मूर्ति हो या न हो लोगों की आस्था होना काफी है यह साबित करने के लिए कि वही रामजन्म स्थान है.

'मंदिर में विराजमान रामलला नाबालिग का दर्जा रखते हैं, उनकी संपत्ति छीन नहीं सकते'

नई दिल्‍ली: अयोध्‍या केस की 9वें दिन की सुनवाई में रामलला विराजमान के वकील सीएस वैद्यनाथन ने कहा कि विवादित भूमि पर मंदिर रहा हो या न हो, मूर्ति हो या न हो लोगों की आस्था होना काफी है यह साबित करने के लिए कि वही रामजन्म स्थान है. वैद्यनाथन ने कहा कि जब संपत्ति भगवान में निहित होती है तो कोई भी उस संपत्ति को ले नहीं सकता और उस संपत्ति से ईश्वर का हक नहीं छीना जा सकता. ऐसी संपत्ति पर एडवर्स पजेशन का कानून लागू नहीं होगा.

  1. अयोध्‍या केस की नौवें दिन की सुनवाई
  2. निर्मोही अखाड़ा के बाद रामलला विराजमान की दलील जारी
  3. जब संपत्ति भगवान में निहित होती है तो उसे कोई नहीं ले सकता

रामलला के वकील ने कहा कि मंदिर में विराजमान रामलला कानूनी तौर पर नाबालिग का दर्जा रखते हैं. नाबालिग की संपत्ति किसी को देने या बंटवारा करने का फैसला नहीं हो सकता. हज़ारों साल से लोग जन्मस्थान की पूजा कर रहे हैं. इस आस्था को सुप्रीम कोर्ट को मान्यता देना चाहिए. उन्होंने कहा कि 1949 में विवादित इमारत में रामलला की मूर्ति पाए जाने के बाद 12 साल तक दूसरा पक्ष निष्क्रिय बैठा रहा. उन्हें कानूनन दावा करने का हक नहीं है. कोर्ट जन्मस्थान को लेकर हज़ारों साल से लगातार चली आ रही हिंदू आस्था को महत्व दे. इसके साथ ही रामलला विराजमान के वकील सीएस वैद्यनाथन ने अपनी बहस पूरी की.

इस तरह निर्मोही अखाड़ा और रामलला विराजमान की बहस के बाद अब रामजन्म भूमि पुनरोद्धार समिति के वकील पीएन मिश्रा ने बहस शुरू की. उन्‍होंने कहा कि सबसे पहले धार्मिक मान्यताओं के आधार पर साबित करूंगा कि अयोध्या में जन्मभूमि पर हमेशा से मंदिर रहा है. चीफ जस्टिस ने हिंदू पक्षकार के वकील से कहा कि आस्था को लेकर कभी कोई सवाल नहीं रहा है. सवाल राम के जन्मस्थान को लेकर है. हमें सबूत दिखाइए.

पीएन मिश्रा ने एक नदी के संबंध में स्थान को बताने के लिए दस्तावेज़ पढ़ना शुरू किया. राजीव धवन ने बीच में रोकते हुए कहा कि स्कंद पुराण पर निर्भरता नहीं रखी जा सकती, क्योंकि इसकी शुरुआत आठवीं सदी से होती है, नदिया अपना किनारा बदलती हैं. सुप्रीम कोर्ट ने पूछा कि क्‍या मंदिर बाबर के निर्देश पर तोड़ी गई थी? क्या हुआ था इस पर प्रकाश डालिए? क्या रूट था इसे लिखकर स्पष्ट करिए और उस पर दलील दीजिए. हिन्दू महासभा के वकील ने अयोध्या मामले में दलील शुरू की.

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अब तक क्‍या हुआ?
इससे पहले मंगलवार को रामलला के वकील सीएस वैद्यनाथन ने कोर्ट में अपनी दलीलें पेश करते हुए कहा था कि जहां मस्जिद बनाई गई थी उसके नीचे एक विशाल निर्माण था. ASI की खुदाई के दौरान जो चीजें मिली, उससे स्‍पष्‍ट है कि वह हिंदू मंदिर था. सीएस वैद्यनाथन ने कहा था कि बाबरी मस्जिद के नीचे जिस तरह का स्ट्रक्चर था, उसकी बनावट, उसके निर्माण के तरीके और उसमें भगवान के चिन्ह बताते हैं कि वहां पहले से मंदिर था. उन्‍होंने कहा कि पहले मुस्लिम पक्ष मंदिर के स्ट्रक्चर को ही मना करता था, लेकिन बाद में वो कहने लगे कि स्ट्रक्चर तो था, लेकिन वो एक इस्लामिक स्ट्रक्चर की तरह था.

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वैद्यनाथन ने कहा था कि मैंने कोर्ट के सामने पुराने सभी तथ्य और रिकॉर्ड पेश किए हैं. जिससे साबित होता है कि राम जन्मभूमि भगवान राम का जन्म स्थान है. इस स्थान के प्रति लोगों की निष्ठा शुरू से चली आ रही है. मस्जिद गिरने के बाद एक पत्थर के स्लैब मिले जिनमें 12 या 13वीं शताब्दी में लिखे एक शिलालेख शामिल हैं. शिलालेख थोड़ा क्षतिग्रस्त है और अंतिम दो पंक्तियां भारी क्षतिग्रस्त हो गई हैं. शिलालेख का मूल पाठ संस्कृत में है. शिलालेखों पर उल्लेख साकेत मंडल में बने मंदिर से हैं और यह राम के जन्म का स्थान है.

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रामलला के वकील ने कहा था कि संस्कृत वाले शिलालेख को विवादित ढांचा विध्वंस के समय एक पत्रकार ने गिरते हुए देखा था, इसमें साकेत के राजा गोविंद चंद्र का नाम है. साथ ही लिखा है कि ये विष्णु मंदिर में लगी थी. सुप्रीम कोर्ट ने पूछा था कि क्या संस्कृत वाले शिलालेख जैसी चीजों को एएसआई ने इकट्ठा किया गया था? रामलला के वकील वैद्यनाथन ने कहा था कि ये एएसआई रिपोर्ट में नहीं था, क्योंकि एएसआई काफी बाद में आई थी. वैद्यनाथन ने ASI रिपोर्ट का हवाला देते हुए मगरमच्छ, कछुओं का भी जिक्र किया और कहा था कि इनका मुस्लिम कल्चर से मतलब नहीं था.

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