अलीगढ़ 'लाइव एनकाउंटर' पर कांग्रेस का हमला, कहा- मानवता हुई शर्मसार
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अलीगढ़ 'लाइव एनकाउंटर' पर कांग्रेस का हमला, कहा- मानवता हुई शर्मसार

कांग्रेस ने आरोप लगाया कि यह घटना पहले से नियोजित थी. एनकाउंटर के नाम पर यूपी पुलिस हत्या की वारदात को अंजाम दे रही है.

मीडिया को बुलाने के बाद एनकाउंटर की वारदात को अंजाम दिया गया. (फोटो साभार सोशल मीडिया)

लखनऊ: कांग्रेस ने उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ में कथित मुठभेड़ में दो इनामी बदमाशों को मार गिराने के दावे पर सवाल उठाते हुए शुक्रवार को कहा कि पुलिस कार्रवाई का जिस तरह मीडिया द्वारा फिल्मांकन किया गया, वह लोकतांत्रिक और सभ्य समाज को शोभा नहीं देता. उत्तर प्रदेश कांग्रेस की तरफ से जारी एक बयान में आरोप लगाया गया है कि अलीगढ़ में पुलिस कप्तान की मौजूदगी में मीडियाकर्मियों को बुलाकर जिस तरह दो लोगों के मुठभेड़ की पटकथा लिखी गई उससे साबित होता है कि यह पुलिस और सरकार का पूर्व नियोजित और निश्चित आयोजन था. 

बयान के मुताबिक, जीवन के अधिकारों के संरक्षण के लिये जिम्मेदार सरकार और उसकी पुलिस जब मौत की वीडियो रिकॉर्डिंग करने का आमंत्रण दे तो यह कृत्य मानवता को शर्मसार करने वाला हो जाता है. मौत का ऐसा फिल्मांकन एक लोकतांत्रिक एवं सभ्य समाज को शोभा नहीं देता. बयान में कहा गया कि कोई भी सरकार किसी व्यक्ति को उसके जीवन अधिकार से न्यायिक प्रक्रिया का शुचितापूर्ण पालन किये बिना वंचित नहीं कर सकती. जीवन के अधिकार से वंचित करने की युक्तियुक्तता के निर्धारण का कार्य भारतीय संविधान ने अदालतों को दिया है. पुलिस और उसकी रिंग मास्टर सरकार को नहीं. 

पार्टी का कहना है कि ‘देशी जेम्स बाण्ड’ बन मौके पर ही ‘फुल एण्ड फाइनल’ करने की लाइसेंस प्राप्त भाजपा सरकार की पुलिस 11 महीने में 1241 मुठभेड़ें कर चुकी है. इनमें मारे जाने वाले लोगों में दलितों, पिछड़ों और अल्पसंख्यकों का बड़ा प्रतिशत रहा है. ये मुठभेड़ मानो सरकार का राजनीतिक कार्यक्रम बन चुकी हैं.

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मालूम हो कि अलीगढ़ के हरदुआगंज थानाक्षेत्र के मछुआ गांव के पास कल पुलिस के साथ कथित मुठभेड़ में मुस्तकीम तथा नौशाद नामक इनामी बदमाश मारे गये थे. इनपर 25-25 हजार रुपये का इनाम घोषित था. मुठभेड़ का एक कथित वीडियो भी कुछ समाचार चैनलों पर प्रसारित किया गया था. हालांकि वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक अजय कुमार साहनी ने किसी भी मीडियाकर्मी को बुलाने की बात से इनकार किया है.

मुठभेड़ में मारे गए नौशाद की मां शाहीन का कहना है कि उसका बेटा पेशे से मजदूर था और पुलिस ने नौशाद तथा उसके बहनोई मुस्तकीम को पिछले रविवार को अतरौली क्षेत्र में अनेक लोगों के सामने जबरन उठा लिया था और मुठभेड़ के नाम पर दोनों को मार डाला. वे दोनों बेकसूर थे. अलीगढ़ शहर से बसपा के पूर्व विधायक हाजी जमीर उल्लाह ने कहा था कि पुलिस की मुठभेड़ की कहानी बिल्कुल फर्जी है. उन्होंने मामले की उच्चस्तरीय जांच की मांग भी की है.

(इनपुट-भाषा)

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