जबरन जमीन कब्जा करने वाले भूमाफिया, अवैध शराब के कारोबार और नकली दवा के कारोबार जैसे अपराधों पर लगाम लगाने के लिए यूपीकोका कानून को विधानसभा के शीतकालीन सत्र में पेश किया जाएगा.
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लखनऊ : उत्तर प्रदेश में संगठित अपराधओं पर नकेल कसने के लिए योगी सरकार अब यूपीकोका लेकर आ रही है. मकोका की तर्ज पर बनाए गए इस कानून से अपराधियों का बचना मुश्किल होगा. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ लखनऊ में हुई कैबिनेट की बैठक में इस नए कानून को मंजूरी मिल गई है और अब इसे शीतकालीन सत्र में विधानसभा में पेश किया जाएगा. विधानसभा के 14 दिसंबर, गुरुवार को शुरू होने वाले शीतकालीन सत्र से पहले लोकभवन में कैबिनेट की बैठक हुई. करीब सवा घंटे तक चली इस बैठक में सबसे महत्तवपूर्ण यूपी कंट्रोल ऑफ आग्रनाइज्ड क्राइम एक्ट (यूपीकोका) को मंजूरी दी गई. कानून में कई प्रावधान किए गए हैं, जिसके तहत यूपीकोका किसी जिले में कमीश्नर और आईजी के आदेश पर ही दर्ज किया जाएगा. केस की सुनवाई के दैरान अपराधी की सारी संपत्ति को राज्य सरकार अटैच कर लेगी. सुनवाई के लिए अलग से कोर्ट भी बनाए जाएंगे. इसमें अपराधी को रिटायर्ड जज के यहां अपील करने का भी मौका मिलेगा.
सरकार का कहना है कि इस कानून के लागू हो जाने के बाद यूपी में संगठित अपराधओं में काफी कमी आएगी. खासतौर से जबरन जमीन कब्जा करने वाले भूमाफिया, अवैध शराब के कारोबार में लिप्त अपराधी, नकली दवा के कारोबारी, सरकारी भवनों पर कब्जा करने वाले बदमाश, इस कानून के दायरे में आएंगे. गैंगस्टर एक्ट में जिन 28 संगीन अपराधों को शामिल नहीं किया गया वो अब यूपीकोका में शामिल होंगे. यूपीकोका विधेयक महाराष्ट्र के मकोका के अलाव कर्नाटक और गुजरात में लागू ऐसे कानूनों का अध्ययन कर तैयार कराया है. मायावती के शासन के दौरान भी ऐसा कानून तैयार किया गया था, लेकिन अलग-अलग वजहों से यह अमल में नहीं आ सका था.
बैठक में यूपी कैबिनेट ने आज कुल 16 प्रस्तावों को अपनी मंजूरी दी इनमें यूपी ग्राम समेकित निधि के नियमों में बदलाव तथा वक्फ अधिकरण नियमावली में संशोधन को मंजूरी शामिल है. वक्फ अधिकरण नियमावली के तहत रामपुर के वक्फ अधिकरण को समाप्त किया गया है और वहां के मामलों को लखनऊ से अटैच किया है. कैबिनेट ने एक और महत्तवपूर्ण प्रस्ताव को मंजूरी दी है. इसमें प्रदेश में अब अधिकारियों के लिए बायोमेट्रिक हाजिरी लगाना शामिल है. इसके लागू होने के बाद सचिवालय में तैनात सभी आईएएस अफसरों को अपनी उपस्थिति बायोमेट्रिक सिस्टम के जरिए दर्ज करानी पड़ेगी.