राम मंदिर के लिए दूसरा आंदोलन शुरू करेगा विश्व हिंदू परिषद
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राम मंदिर के लिए दूसरा आंदोलन शुरू करेगा विश्व हिंदू परिषद

इन सभी जगहों पर होने वाले जन आंदोलन रैली में करीब 2 लाख लोगों को जुटाने का लक्ष्य रखा गया है.

प्रतीकात्मक फोटो.

राजीव श्रीवास्तव, लखनऊ: राम मंदिर मुद्दे पर हो रही सियासत के बीच राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ भी मंदिर निर्माण आंदोलन को धार देने के लिए खुलकर सामने आ गया है. इसी कड़ी में 25 नंवबर को एक साथ अयोध्या, नागपुर और बेंगलुरू में रामभक्तों का जमावड़ा रहेगा. इन सभी जगहों पर होने वाले जन आंदोलन रैली में करीब 2 लाख लोगों को जुटाने का लक्ष्य रखा गया है. हालांकि, कार्यक्रम का आयोजन विश्व हिंदू परिषद और संत समाज करेगा, लेकिन हर रैली मे संघ का एक बड़ा पदाधिकारी भी मौजूद रहेगा. 

अयोध्या में RSS के सह-कार्यवाहक दत्तात्रेय होसबोले और विश्व हिंदू परिषद के उपाध्यक्ष चंपत राय मौजूद रहेंगे. वैसे भी इस कार्यक्रम का संचालन वीएचपी और संत समाज को करना है, लेकिन संघ की मौजूदगी रहेगी. इसी तरह दिल्ली में भी दिल्ली और एनसीआर के रामभक्त 9 दिसंबर को इक्ट्ठा होंगे. इसी बाच 25 नवंबर से लेकर 9 दिसंबर तक संघ के हर प्रांत में तीन से चार बड़े सभाओं का भी आयोजन किया जाएगा. यूपी में संघ के 6 प्रांत है.   

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विश्व हिंदू परिषद के अवध क्षेत्र के प्रांत प्रचारक भोलेन्द्र की मानें तो अब देश के सभी हिंदूवादी संगठनों, साधु-संतों को एकसाथ आने का वक्त आ गया है. इसीलिए, सभी लोगों से अपील की जा रही है कि वे लोग एकसाथ आएं और संसद के भीतर एक कानून बनाएं. उन्होंने कहा कि कानून के जरिए राम मंदिर का निर्माण सबसे बेहतरीन उपाय है. इसके लिए 25 नवंबर को अयोध्या में दूसरा बेंगलुरू में और तीसरा नागपुर में सभा होना निश्चित हुआ है.

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जाहिर है संघ समर्थित VHP के इस धर्मसभा को सरकार पर दबाव बनाने की कवायद भी माना जा रहा है. शायद, यही वजह है कि सीएम योगी ने भी हाल ही में अयोध्या में अध्यादेश लाने की बात कही थी. इससे पहले संघ प्रमुख मोहन भागवत ने भी राम मंदिर निर्माण में हो रही देरी पर चिंता जाहिर की थी. वीएचपी प्रांत प्रचारक भोलेंद्र भी कहते है कि राम मंदिर पर अध्यादेश लाने की बात केवल मुख्यमंत्री की नहीं है. यह 100 करोड़ के हिंदू समाज की जन-जन की बात है. अगर, कोर्ट इस मामले में नियमति सुनवाई करता तो  तो उम्मीद बनती है. लेकिन, कोर्ट का रवैया उपेक्षापूर्ण है. लिहाजा, अब बिना अध्यादेश मंदिर नहीं बन सकता .

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