डॉक्टरों के मुताबिक, रोज औसतन 10 मरीज आ रहे हैं जिनमे से दो से तीन को एक दो दिन आईसीयू में रखना पड़ रहा है.
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कुशीनगर : जापानी बुखार यानी इंसेफेलाइटिस का अभी सीजन नहीं है, लेकिन बिना सीजन के ही यह बुखार यहां पैर पसारने लगा है. कुशीनगर में ऑफ सीजन में ही इंसेफेलाइटिस के मरीजों की संख्या बढ़ती जा रही हैं. हर दिन जिला अस्पताल में औसतन 10 मरीज भर्ती हो रहे हैं, जिनमें दो से तीन की खराब हालत होने के कारण आईसीयू वार्ड में रखना पड़ रहा है. यह सिलसिला एक हफते से चल रहा है.
जिला अस्पताल में 10 बेड का एईएस वार्ड व 10 बेड का आईसीयू है. शनिवार की सुबह एईएस वार्ड फुल था, जबकि आईसीयू में इंसेफेलाइटिस के तीन गंभीर मरीजों का इलाज चल रहा था. ये तीनों 10 साल से कम उम्र के बच्चे हैं. यह क्रम लगातार बना हुआ है. डॉक्टरों के मुताबिक, रोज औसतन 10 मरीज आ रहे हैं जिनमे से दो से तीन को एक दो दिन आईसीयू में रखना पड़ रहा है. सभी सीएचसी व पीएचसी पर इंसेफेलाइटिस के लिए 4-4 बेड आरक्षित हैं.
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मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डॉ. बजरंगी पाण्डेय ने बताया कि जिला अस्पताल में एईएस व आईसीयू सक्रिय हैं. मरीजों के आने का सिलसिला लगातार बना हुआ है.
गोरखपुर में मचा था कोहराम
पिछले साल गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कॉलेज में इस बुखार से एक ही दिन में 30 बच्चों की मौत होने से हड़कंप मच गया था. देशभर की मीडिया में यह मामला छाया रहा. इस कॉलेज में जापानी बुखार के चलते पिछले सीजन में 100 से अधिक बच्चों की मौत हुई थी. बता दें कि यूपी के बाढ़ग्रस्त इलाके गोरखपुर, कुशीनगर, महाराजगंज, संत कबीर नगर और सिद्धार्थनगर यह बीमारी सबसे ज्यादा पाई जाती है.
मुख्यमंत्री ने शुरू किया टीकाकरण
जापानी बुखार के असर को कम करने के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इंसेफेलाइटिस टीकाकरण अभियान शुरू किया था और इस अभियान की शुरूआत मुख्यमंत्री ने कुशीनगर से ही की थी. मुख्यमंत्री ने बताया कि प्रदेश के 38 जिलों में टीकाकरण की व्यवस्था की गई है.
जापानी बुखार
इंसेफेलाइटिस यानी जापानी बुखार को दिमागी बुखार भी कहते हैं. यह वायरल संक्रमण की वजह से होता है. तराई वाले इलाकों में यह वायरस ज्यादा फैलता है. एक बार यह हमारे शरीर के संपर्क आता है, फिर यह सीधा हमारे दिमाग की ओर चला जाता है. इसका प्रकोप बरसात के बाद अगस्त, सितंबर और अक्टूबर में अधिक रहता है. छोटे बच्चे इसकी चपेट में जल्दी आते हैं. इस बुखार में सिरदर्द, गरदन में अकड़, कमजोरी और उल्टी होने की शिकायत रहती है. सिर में दर्द रहता है. ज्यादा असर होने पर भूख कम लगना, तेज बुखार और कुछ समय के बाद इससे भ्रम का शिकार होना फिर पागलपन के दौरे या लकवा भी मार सकता है.
(इनपुट आईएएनएस से)