सपा कार्यकर्ताओं ने एक-दूसरे को रंग-गुलाल लगाकर भी अपनी प्रसन्नता का इजहार किया.
Trending Photos
लखनऊ: गोरखपुर और फूलपुर लोकसभा उपचुनावों के रुझानों में सपा की बढ़त के साथ ही पार्टी दफ्तर में कार्यकर्ताओं ने जश्न मनाना शुरू कर दिया. इनमें सबसे खास बात यह रही कि सपा कार्यकर्ताओं ने अखिलेश यादव जिंदाबाद के नारों के बीच 'बुआ-भतीजा जिंदाबाद' के नारे भी लगाए. उल्लेखनीय है कि अखिलेश यादव अक्सर मीडिया में बीएसपी सुप्रीमो मायावती को 'बुआ' कहकर संबोधित करते रहे हैं. सपा कार्यकर्ताओं ने एक-दूसरे को रंग-गुलाल लगाकर भी अपनी प्रसन्नता का इजहार किया. दरअसल ये चुनाव सपा और बसपा ने तालमेल कर लड़ा है. बसपा ने उपचुनावों में अपने प्रत्याशी को खड़ा नहीं किया था और अपना समर्थन सपा को देने का ऐलान किया था.
इसके साथ ही गोरखपुर और फूलपुर लोकसभा सीटों पर हुए उपचुनावों में सपा की बड़ी बढ़त से पार्टी मुखिया अखिलेश यादव को बड़ी राहत मिलनी तय है. ऐसा इसलिए क्योंकि सपा और बसपा के तालमेल की पैरोकारी एक साल पहले सबसे पहले उन्होंने ही की थी और आखिर में इन उपचुनावों के ऐन पहले मायावती के समर्थन की घोषणा और उनके संभावित अपेक्षित नतीजों ने अखिलेश यादव के विजन पर मुहर लगा दी है. यानी यूपी में सत्ता गंवाने के बाद सियासी बियाबान में पहुंचे अखिलेश यादव की इस बढ़त के साथ ही राज्य में बीजेपी को टक्कर देने वाले सबसे बड़े नेता बनकर उभरे हैं.
SP workers celebrate in Lucknow as trends show their candidates leading in Gorakhpur & Phulpur Lok Sabha by-polls, raise, 'Bhua-Bhateeja zindabad' slogans. pic.twitter.com/BTjievOjTL
— ANI UP (@ANINewsUP) March 14, 2018
अखिलेश यादव के प्रयोग
दरअसल 2017 में यूपी विधानसभा चुनाव से ऐन पहले अखिलेश यादव ने कांग्रेस के साथ दोस्ती का हाथ बढ़ाकर बीजेपी को रोकने के लिए गठबंधन किया था लेकिन इसके बावजूद इस गठबंधन को हार का सामना करना पड़ा. उनके गठबंधन के फैसले की सपा के संरक्षक मुलायम सिंह यादव ने आलोचना भी की थी. अब बसपा के साथ तालमेल के मामले में भी कहा जा रहा है कि मुलायम सिंह यादव इसके पक्ष में नहीं थे. लेकिन इन सबके बावजूद अखिलेश यादव ने अपने प्रयोगों को नहीं छोड़ा. निकाय चुनावों में सपा और कांग्रेस अलग-अलग लड़े. उसके बाद इन उपचुनावों से पहले बीएसपी के साथ तालमेल का रंग ला रहा है और बीजेपी की इन दोनों सीटों को उससे छीनने के लिए सपा अग्रसर दिख रही है. इस कामयाबी के साथ ही लगातार प्रयोग कर रहे अखिलेश यादव यूपी की सियासत में अब बीजेपी के सबसे बड़े विरोधी नेता के तौर पर एक कद्दावर चेहरा बनकर उभरे हैं.
गोरखपुर-फूलपुर: 'हाथी' के सहारे 'टीपू' आखिरकार बने सुल्तान
रामगोपाल यादव
गोरखपुर और फूलपुर लोकसभा उपचुनावों में सपा प्रत्याशी की बढ़त के बीच सपा के वरिष्ठ नेता रामगोपाल यादव ने कहा है कि बीएसपी के गठबंधन की बदौलत हम जीत रहे हैं. दरअसल बीएसपी ने उपचुनाव में अपने किसी प्रत्याशी को नहीं उतारा था और पार्टी प्रमुख मायावती ने सपा के साथ तालमेल की बात करते हुए समर्थन देने की बात कही थी. उसी पृष्ठभूमि में रामगोपाल यादव के इस बयान के मायने निकलते हैं.
BSP के गठबंधन से जीत रहे हैं: SP नेता रामगोपाल यादव, 2019 की स्क्रिप्ट तैयार!
इसके साथ ही इस तालमेल को 2019 लोकसभा चुनावों के लिहाज से दोनों दलों के लिए लिटमेस टेस्ट के रूप में भी देखा जा रहा था. राजनीतिक विश्लेषकों के मुताबिक यानी यदि ये तालमेल गोरखपुर और फूलपुर में कामयाब होगा तो अगले लोकसभा चुनावों में ये दोनों दल 'मोदी लहर' को रोकने के लिए महागठबंधन बना सकते हैं. ऐसे में सपा की बढ़त के साथ बीएसपी को क्रेडिट देकर रामगोपाल यादव ने संभावित सियासी बिसात के संकेत दे दिए हैं. उल्लेखनीय है कि 1993 के बाद पहली बार सपा और बसपा के बीच इन चुनावों में तालमेल हुआ है. 1995 में इस गठबंधन के टूटने के बाद दोनों दलों के बीच लंबे समय तक कड़वाहट देखने को मिली.
हमने सोचा भी नहीं था कि बसपा के वोट इस कदर सपा को ट्रांसफर होंगे: केशव मौर्या
लिटमेस टेस्ट
वर्ष 1993 में सपा नेता मुलायम सिंह और बसपा नेता कांशीराम ने पहली बार सपा-बसपा का गठबंधन किया था. नतीजतन विधानसभा चुनावों में सपा को 100 से ज्यादा और बसपा को 67 से मिली थीं. इस तरह पहली बार सपा-बसपा गठबंधन की सरकार बनी थी लेकिन 1995 में बसपा के गठबंधन तोड़ने की घोषणा और 'गेस्टहाउस' कांड के बाद सियासी विरोध निजी हो गया और उसके 25 बाद अब फिर दोनों दलों ने तालमेल कर कड़वाहट खत्म करने के संकेत दिए थे.