गोरखपुर-फूलपुर: 2 सीटों पर इन 2 जातियों के पास है चुनावी जीत की चाभी
Advertisement

गोरखपुर-फूलपुर: 2 सीटों पर इन 2 जातियों के पास है चुनावी जीत की चाभी

गोरखपुर के जातीय गणित को यदि देखा जाए तो यहां 19.5 लाख वोटरों में से 3.5 लाख वोटर निषाद समुदाय के हैं. इसी तरह फूलपुर में 17 प्रतिशत मतदाता पटेल समुदाय के हैं.

गोरखपुर से प्रतिष्‍ठा जुड़ी होने के कारण बदलते जातीय समीकरण को देखते हुए सीएम योगी आदित्‍यनाथ ने यहां 16 चुनावी रैलियां की हैं, जबकि सपा नेता अखिलेश यादव ने केवल एक रैली की है.(फाइल फोटो)

यूपी की गोरखपुर और फूलपुर लोकसभा सीटों पर 11 मार्च को उपचुनाव होने जा रहे हैं. गोरखपुर के जातीय गणित को यदि देखा जाए तो यहां 19.5 लाख वोटरों में से 3.5 लाख वोटर निषाद समुदाय के हैं. संख्‍याबल के लिहाज से यह सबसे प्रभावी जाति समुदाय है जोकि कुल वोटरों का 18 प्रतिशत हिस्‍सा है. सपा-बसपा तालमेल के बाद यदि जातीय समीकरण देखा जाए तो निषाद समुदाय के अलावा यहां करीब साढ़े तीन लाख मुस्लिम, दो लाख दलित, दो लाख यादव और डेढ़ लाख पासवान मतदाता हैं. संभवतया इसीलिए सपा ने प्रवीण कुमार निषाद को अपना प्रत्‍याशी बनाया है.

  1. गोरखपुर और फूलपुर में 11 मार्च को चुनाव
  2. सपा-बसपा के तालमेल के बाद नए जातीय समीकरण उभरे
  3. सीएम योगी की प्रतिष्‍ठा दांव पर

गोरखपुर सीट से सीएम योगी आदित्‍यनाथ पांच बार लोकसभा सदस्‍य रहे. सीएम योगी से पहले उनके गुरू महंत अवैद्यनाथ ने तीन बार इस लोकसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया. इसके साथ ही इसमें संदेह नहीं कि कई मतदाताओं की गोरखनाथ मठ के महंत में आस्था है. इस लिहाज से मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के प्रभाव को हालांकि नकारा नहीं जा सकता. इस वजह से हालांकि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के प्रभाव को हालांकि नकारा नहीं जा सकता. इसमें संदेह नहीं कि कई मतदाताओं की गोरखनाथ मठ के महंत में आस्था है. इस सीट से प्रतिष्‍ठा जुड़ी होने के कारण बदलते जातीय समीकरण को देखते हुए सीएम योगी आदित्‍यनाथ ने यहां 16 चुनावी रैलियां की हैं, जबकि सपा नेता अखिलेश यादव ने केवल एक रैली की है. बीजेपी के प्रत्‍याशी उपेंद्र शुक्‍ला हैं और कांग्रेस ने डॉ सुरहिता चटर्जी करीम को प्रत्‍याशी बनाया है.

गोरखपुर उपचुनावः सीएम योगी ने कहा-हमें यूपी में औरंगजेब का शासन नहीं चाहिए

फूलपुर
यहां के 18 लाख वोटरों में से 17 प्रतिशत मतदाता पटेल(कुर्मी) समुदाय से हैं. इस कारण से चुनावी लिहाज से फूलपुर का सबसे अहम जातीय समुदाय है. इसकी अहमियत का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि 1984-99 तक यहा पटेल समुदाय का नेता ही चुनाव जीतता रहा है. इसी पृष्‍ठभूमि में संभवतया बीजेपी और सपा ने यहां से पटेल उम्‍मीदवार को इस बार मैदान में उतारा है. हालांकि फूलपुर एक जमाने में कांग्रेस का गढ़ माना जाता था और यहीं से भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू चुनकर संसद पहुंचे थे. यहां 2014 के लोकसभा चुनाव में पहली बार बीजेपी जीती.

बीजेपी ने कौशलेन्द्र सिंह पटेल को प्रत्याशी बनाया है जबकि कांग्रेस और सपा ने क्रमश: मनीष मिश्र एवं नागेन्द्र प्रताप सिंह पटेल को उम्मीदवार बनाया है. नौ निर्दलीय सहित कुल 22 प्रत्याशी चुनाव मैदान में हैं. निर्दलीय उम्मीदवारों में बाहुबली अतीक अहमद भी शामिल हैं. अतीक इसी सीट से 2004 के लोकसभा चुनाव में सपा के टिकट पर विजयी हुए थे.

गोरखपुर: वोटर लिस्ट में आया विराट कोहली का नाम, 2 दिन तक पर्ची लेकर ढूंढती रही बीएलओ

पटेलों के अलावा यहां पासी समुदाय (अनुसूचित जाति) के मतदाताओं की संख्या भी अधिक है जो बीजेपी के पारंपरिक वोटर रहे हैं. उल्लेखनीय है कि फूलपुर सीट पर बीजेपी के केशव प्रसाद मौर्य निर्वाचित हुए थे लेकिन उत्तर प्रदेश का उप मुख्यमंत्री बनने के बाद उन्होंने लोकसभा सदस्यता से इस्तीफा दे दिया था . इसके बाद रिक्त हुई इस सीट पर उपचुनाव हो रहे हैं. फूलपुर संसदीय क्षेत्र में फूलपुर, फाफामउ, सोरांव (अनुसूचित जाति), इलाहाबाद उत्तर और इलाहाबाद पश्चिम विधानसभा सीटें आती हैं. बीजेपी के लिए फूलपुर का महत्व इस लिहाज से भी है ​कि 2014 में पहली बार इस क्षेत्र में कमल खिला था.

Trending news