इन्वेस्टर्स समिट : यूपी सरकार ने उद्योग-धंधों की मंजूरी के लिए नियमों में किए बदलाव, बढ़ाई सीलिंग सीमा
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इन्वेस्टर्स समिट : यूपी सरकार ने उद्योग-धंधों की मंजूरी के लिए नियमों में किए बदलाव, बढ़ाई सीलिंग सीमा

उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में 21-22 फरवरी को इन्वेस्टर्स समिट का आयोजन किया जा रहा है. 

उत्तर प्रदेश में उद्योग-धंधों को बढ़ावा देने के लिए नियमों में बदलाव किए गए हैं

लखनऊ (रूपम सिंह) : उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में 21-22 फरवरी को इन्वेस्टर्स समिट का आयोजन किया जा रहा है. इस समिट का उद्घाटन 21 फरवरी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी करेंगे और समापन 22 फरवरी को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के द्वारा किया जाएगा. इस आयोजन में देश-दुनिया के 200 से ज्यादा कारोबारी शिरकत कर रहे हैं. सरकार को उम्मीद है कि इस आयोजन में प्रदेश में बड़े निवेश की घोषणा हो सकती है.

  1. 21-22 फरवरी को इन्वेस्टर्स समिट का आयोजन
  2. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी करेंगे समिट का उद्घाटन
  3.  राजस्व संहिता संशोधन विधेयक 2018 को मंजूरी

राजस्व संहिता संशोधन विधेयक
इस कार्यक्रम के पहले प्रदेश कैबिनेट ने उद्यमियों की मुश्किलों को दूर करने के लिए कई महत्वपूर्ण मामलों पर अपनी सहमति दे दी है. इनमें राजस्व संहिता संशोधन विधेयक 2018 के मसौदे को दी गई मंज़ूरी भी शामिल है. इस मसौदे में औद्योगिक निवेश के लिए ज़मीन आसानी से उपलब्ध कराई जा सकेगी.

सीलिंग से जुड़े प्राविधानों को सरल बनाया गया है. वर्तमान व्यवस्था के अंतर्गत सीलिंग सीमा (12.5 एकड़) से अधिक जमीन की जरूरत होने पर कुछ मामलों में मंडलायुक्त और कुछ में शासन स्तर से मंज़ूरी लेनी होती है. नई व्यवस्था के अंतर्गत 50 एकड़ तक जमीन खरीदने की मंज़ूरी डीएम स्तर से देने और 50 एकड़ से अधिक लेकिन 100 एकड़ तक मंडलायुक्त द्वारा अनुमति देने की व्यवस्था की गई है. 100 एकड़ से अधिक जमीन की आवश्यक्ता होने पर ही शासन की मंज़ूरी आवश्यक होगी.

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जमीन अधिग्रहण बिल
राजस्व संहिता में एक और महत्वपूर्ण प्राविधान लाया गया है जिसमें धारा-77 के तहत यदि अधिग्रहीत भूमि के बदले में दिए जाने के लिए संबंधित ग्राम में ज़मीन उपलब्ध नहीं है तो आस-पड़ोस के गांवों में जमीन लेकर उसे सुरक्षित किया जा सकेगा. जबकि वर्तमान प्राविधान के अंतर्गत उसी ग्राम में उतनी ही जमीन संबंधित उपयोग (खलियान अथवा चारागाह) के लिये आरक्षित करनी होती है.

कई जगहों पर बदले के लिए जमीन उपलब्ध न होने के कारण विकास कार्यों में रुकावट आ रही है. इस बदलाव से पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे, डेडीकेटेड फ्रेट कारीडोर, ईस्टर्न पेरीफेरल एक्सप्रेस-वे जैसीपरियोजनाओं के लिए जमीन के पुर्नग्रहण में तेजी आ जाएगी.

पट्टे पर देने के अधिकार
राजस्व संहिता की धारा 94 और 95 में संशोधन के जरिए सरकार ने अब सभी भूमिधरों को अधिकार दे दिया है कि वह अपनी जमीन पट्टे पर दे सकते हैं. अभीतक व्यवस्था के अनुसार सिर्फ मंदबुद्धि, सैनिक की पत्नी या पति, 35 वर्ष से कम उम्र का ऐसा व्यक्ति जो विद्यार्थी हो तथा तलाकशुदा महिला विशेष परिस्थितियों के दायरे के अंतर्गत 3 वर्षों तक पट्टा दे सकता है. 

भू-उपयोग बदलाव की भी अनुमति
इसके अलावा कोई भूमिधर अपनी जमीन को पट्टे पर नहीं दे सकता था, इसके चलते बुंदेलखंड जैसे क्षेत्रों में जो जमीन खेती के उपयोग में नहीं आ रही थी. उसे सौर ऊर्जा परियोजनाओं के लिए उपलब्ध कराया जा सकेगा. अब किसानों को भू-उपयोग बदलाव की भी अनुमति दी जा सकेगी. अगर 5 वर्ष में भू-उपयोग बदल लिया जाता है तो वह अनुमति मान्य रहेगी. भू-उपयोग ना बदलने पर अनुमति शून्य हो जाएगी, जिससे कृषि भूमि के औद्योगिक, वाणिज्य और आवासीय उपयोग के लिए भू-उपयोग परिवर्तन आसान होगा. 

इसके अलावा राज्य सरकार ने उत्तर प्रदेश खनिज (परिहार) नियमावली 1963 में संशोधन कर परमिट जारी करने के नियमों में संशोधन करते हुए डीएम के स्तर पर ही मिट्टी खनन का परमिट जारी करने की व्यवस्था की है.
जिलाधिकारी अब एक बार में एक साल के लिए परमिट दे सकेंगे. अभी तक सिर्फ 6 माह तक के लिए ही परमिट जारी करने की व्यवस्था थी. राज्य सरकार द्वारा प्रदेश में उठाए गए इन कदमों से वाणिज्य गतिविधियों में तेजी आएगी और उद्यमियों को अन्य जगहों से उत्तर-प्रदेश में व्यापार के लिए आकर्षित किया जा सकेगा.

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