UPSC: सिविल सर्विसेज में बदलाव की तैयारी को शिवपाल यादव ने बताया आरक्षण विरोधी
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UPSC: सिविल सर्विसेज में बदलाव की तैयारी को शिवपाल यादव ने बताया आरक्षण विरोधी

समाजवादी पार्टी नेता ने PMO के उस प्रस्ताव का विरोध किया है जिसके तहत  फाउंडेशन कोर्स के बाद UPSC परीक्षा पास करने वाले अभ्यर्थियों के कॉडर और सर्विस तय किए जाएंगे.

पिछड़ा, एससी और एसटी के खिलाफ है PMO का प्रस्ताव- शिवपाल यादव. (फाइल फोटो)

लखनऊ: प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) ने डिपार्टमेंट ऑफ पर्सनल एंड ट्रेनिंग (DoPT) को एक प्रस्ताव भेजा है, अगर उसे मंजूरी मिल जाती है तो UPSC परीक्षा पास करने के बाद कॉडर और सर्विस तय नहीं किया जाएगा. प्रस्ताव के मुताबिक, इसका निर्धारण फाउंडेशन कोर्स के बाद किया जाएगा. PMO के इस प्रस्ताव का विरोध शुरू हो गया है. समाजवादी पार्टी, कांग्रेस समेत तमाम विपक्षी दलों ने सरकार के इस प्रस्ताव का विरोध किया है. इस संबंध में समाजवादी पार्टी के नेता शिवपाल सिंह यादव ने कहा कि सरकार का यह प्रस्ताव पिछड़े वर्ग, अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के खिलाफ है. शिवपाल सिंह यादव ने एक ट्वीट कर अपना विरोध जताया है.

  1. UPSC काडर को लेकर PMO प्रस्ताव का विरोध
  2. शिवपाल यादव ने ट्वीट कर जताया विरोध
  3. प्रस्ताव को आरक्षण विरोधी बताया

शिवपाल यादव ने ट्वीट कर जताया विरोध
शिवपाल यादव ने ट्वीट किया, 'संघ लोक सेवा आयोग द्वारा चयनित अभ्यर्थियों के कॉडर एवं सेवा आवंटन नियमों में संशोधन करने के केंद्र सरकार के फैसले की मैं दृढ़ता से निंदा करता हूं. संघ लोक सेवा आयोग द्वारा आयोजित सिविल सर्विस की परीक्षा पहले से ही सर्वग्राही है, जिसमें प्रारंभिक परीक्षा, मुख्य परीक्षा एवं साक्षात्कार द्वारा विस्तृत पैमाने पर समग्र मूल्यांकन किया जाता है. वर्तमान प्रणाली अच्छी तरह से चल रही है और इसमें पक्षधरता की संभावना कम है. सरकार के इस फैसले से डर और दबाव में रह रहे एससी/एसटी/ओबीसी/ अल्पसंख्यक वर्ग के मन में पक्षपात होने की आशंका है. मैं सरकार से आग्रह करता हूं कि पूर्व की व्यवस्था, जिसमें सर्व वर्गों का विश्वास है, उसे बनाए रखें.'

 

 

राहुल गांधी ने भी केंद्र के प्रस्ताव का विरोध किया 
केंद्र सरकार के इस प्रस्ताव का कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने भी विरोध किया है. उन्होंने ट्वीट कर लिखा,' छात्रों उठो, आपका भविष्य खतरे में है. आरएसएस आपका हक छीनना चाहता है. यूपीएससी को लिखे पत्र में प्रधानमंत्री की योजना है कि केंद्रीय सेवा में आरएसएस के पसंद वाले अधिकारियों की नियुक्ति हो. इसके लिए एग्जाम ​रैंकिंग की बजाए व्यक्तिपरक मानदंड को आधार बनाकर मेरिट लिस्ट को तोड़ा मरोड़ा जा रहा है.'

 

 

मौजूदा व्यवस्था को बदलने का प्रस्ताव
मौजूदा व्‍यवस्‍था के तहत सिविल सर्विस परीक्षा में सफल हुए कैंडिडेट्स को उनकी रैंकिंग के आधार पर कॉडर और सर्विस आवंटित किया जाता है. कॉडर आवंटन के बाद कैंडिडेट्स को फाउंडेशन कोर्स के लिए भेजा जाता है. पीएमओ अब इस व्‍यवस्‍था को बदलना चाहता है. नई प्रस्‍तावित व्‍यवस्‍था के तहत पीएमओ ने डीओपीटी को एक प्रस्‍ताव भेजा है, जिसमें फाउंडेशन कोर्स के बाद कैंडिडेट्स का कॉडर और सर्विस आवंटित करने की बात कही गई है. प्रस्‍ताव में कहा गया है कि कैंडिडेट्स को सिविल सर्विस परीक्षा और फाउंडेशन कोर्स में मिले अंकों के जोड़ के आधार पर मेरिट लिस्‍ट तैयार की जाए. इसी मेरिट लिस्‍ट के आधार पर कैंडिडेट्स को कॉडर और सर्विस आवंटित किया जाए.   

इसी वर्ष लागू हो सकता है नया प्रस्‍तावित नियम
पीएमओ से प्रस्‍ताव मिलने के बाद डीओपीटी ने इस प्रस्‍ताव को परीक्षण के लिए मिनिस्‍ट्री ऑफ कम्‍युनिकेशन एंड इंफार्मेशन टैक्‍नोलॉजी के स्‍टैबलिशमेंट एण्‍ड ट्रेनिंग ब्रांच को भेज दिया गया है. ब्रांच को भेजे गए पत्र में स्‍पष्‍ट तौर पर कहा गया है कि पीएमओ चाहता है कि भेजे गए प्रस्‍ताव पर कार्रवाई पूरी करते हुए इसी वर्ष से लागू कर दिया जाए. 17 मई को भेजे गए इस पत्र में ब्रांच को अपना पक्ष रखने के लिए एक सप्‍ताह का समय दिया गया है. 

क्‍या है ट्रेनिंग की मौजूदा व्‍यवस्‍था?
कॉडर और सर्विस आवंटित करने के बाद सिविल सर्विस में च‍यनित कैंडिडेट्स को 103 हफ्तों की इंडक्‍शन ट्रेनिंग होती है. जिसमें सबसे पहले कैंडिडेट्स को 15 हफ्तों के फाउंडेशन कोर्स के लिए भेजा जाता है. इसके बाद 26 हफ्तों का फेज-वन कोर्स, 54 हफ्तों की डिस्ट्रिक्‍ट ट्रेंनिंग और आठ सप्‍ताह का फेज-2 कोर्स होता है. इंडक्‍शन कोर्स पूरा होने के बाद कैंडिडेट्स की स्‍वतंत्र तैनाती कर दी जाती है. नौ साल की सर्विस के बाद इन्‍हें मिड कैरियर ट्रेनिंग प्रोग्राम के लिए भेजा जाता है. जिसके तहत नौ साल की सर्विस के बाद फेज-3 ट्रेनिंग, 16 साल की सर्विस के बाद फेज-4 की ट्रेंनिंग और 28 साल की सर्विस के बाद फेज-5 की अनिवार्य ट्र‍ेनिंग पर भेजा जाता है. 

क्‍या है फाउंडेशन कोर्स?
15 सप्‍ताह के फाउंडेशन कोर्स के दौरान कैंडिडेट्स को इकोनॉमिक्‍स, हिस्‍ट्री, जनरल प्रिंसिपल्‍स ऑफ लॉ, लीगल कॉसेप्‍ट, सिविल एण्‍ड क्र‍िमिनल कोर्ट लॉ, पब्लिक एडमिनिस्‍ट्रेशन, नेचुरल जस्टिस, सीआरपीसी, कल्‍चर, प्रोजेक्‍ट मैनेजमेंट, जेंडर सेंसिटाइजेशन, प्रिवेंटिंग करप्‍शन, मानवाधिकार सहित अन्‍य पहलुओं में पारांगत किया जाता है.   

PMO पहले भी कर चुका है बदलाव
उल्‍लेखनीय है कि सिविल सर्विस चयन प्रक्रिया में केंद्र सरकार का यह पहला बदलाव नहीं है. इससे पहले भी पीएमओ की तरफ से 2015 में कैंडिडेट्स के ट्रेनिंग कैरिकुलम में अहम बदलाव किए गए थे. जिसके तहत कैंडिडेट्स को तीन महीने बतौर असिस्‍टेंट सेकेट्ररी के रूप में ट्रेनिंग देना अनिवार्य कर दिया गया था. माना जा रहा है कि पीएमओ जल्‍द ही अग्रवाल कमेटी द्वारा दिए गए सुझावों को मानते हुए कुछ और बदलाव कर सकती है. जिसमें ट्रेनिंग अवधि की अवधि एक साल करना, गांव में  कैंडिडेट्स की अधिकाधिक तैनाती, पीएसयू की प्रैक्टिकल नॉलेज, फॉरेन ट्रेनिंग सहित अन्‍य पहलू शामिल हैं. 

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