यूपी निकाय चुनाव: लखनऊ-वाराणसी को मिली पहली महिला मेयर
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यूपी निकाय चुनाव: लखनऊ-वाराणसी को मिली पहली महिला मेयर

लखनऊ जिले में एक नगर निगम और आठ नगर पंचायतों के चुनाव मतदान के लिये 2201 मतदान केन्द्र बनाये गये थे. 

 उत्तर प्रदेश म्यूनिसिपैलिटी कानून 1916 में अस्तित्व में आया.(फाइल फोटो)

लखनऊ:  यूपी निकाय चुनावों में इस बार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह के संसदीय क्षेत्र महिलाओं के लिए आरक्षित किए गए थे. ऐसे में पहली बार लखनऊ-वाराणसी में महिला मेयर चुनी गई है.  महिलाओं के लिए आरक्षित निगमों में लखनऊ, वाराणसी, कानपुर, मेरठ, फिरोजाबाद और गाजियाबाद शामिल हैं. लखनऊ जिले में एक नगर निगम और आठ नगर पंचायतों के चुनाव मतदान के लिये 2201 मतदान केन्द्र बनाये गये थे. इस सीट के लिये भाजपा ने संयुक्ता भाटिया को, सपा ने मीरा वर्द्धन को, कांग्रेस ने प्रेमा अवस्थी को, बसपा ने बुलबुल गोदियाल को और आम आदमी पार्टी ने प्रियंका माहेश्वरी को उम्मीदवार बनाया था.

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इस बार लखनऊ नगर निगम के महापौर का पद महिला के लिये आरक्षित किया गया था. उत्तर प्रदेश की पहली राज्यपाल सरोजिनी नायडू थीं. वह 15 अगस्त 1947 से दो मार्च 1949 तक राज्यपाल रहीं. सरोजिनी नायडू, जो भारत कोकिला के नाम से मशहूर थीं, स्वतंत्रता सेनानी थीं. वह 13 फरवरी 1879 को हैदराबाद में एक बंगाली परिवार में पैदा हुई थीं. उनकी शिक्षा चेन्नई, लंदन और कैम्ब्रिज में हुई. वह महात्मा गांधी की अनुयायी बनीं और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की अध्यक्ष भी रहीं.

उनकी कविताओं के संग्रह में बच्चों, प्रकृति, देशभक्ति और प्रेम की कविताएं शामिल हैं. इसी तरह सुचेता कृपलानी के रूप में उत्तर प्रदेश से देश को पहली महिला मुख्यमंत्री भी मिलीं. वह दो अक्तूबर 1963 से 13 मार्च 1967 के बीच मुख्यमंत्री पद पर रहीं. भारत छोड़ो आंदोलन में बढ़ चढ़कर हिस्सा लेने वाली सुचेता कृपलानी महात्मा गांधी के साथ आजादी की लडाई में भागीदार बनीं. राजधानी में नगर निगम चुनावों के दूसरे चरण के तहत आज मतदान हो रहा है. पिछले 100 साल में लखनऊ की मेयर कोई महिला नहीं बनी है. बैरिस्टर सैयद नबीउल्लाह पहले भारतीय थे, जो स्थानीय निकाय के मुखिया बने. उत्तर प्रदेश सरकार ने 1948 में स्थानीय निकाय का चुनावी स्वरूप बदला और प्रशासक की अवधारणा शुरू की.

इस पद पर भैरव दत्त सनवाल नियुक्त हुए. संविधान में संशोधन के जरिए 31 मई 1994 से लखनऊ के स्थानीय निकाय को नगर निगम का दर्जा प्रदान किया गया. 1959 के म्यूनिसिपैलिटी एक्ट में मेयर के निर्वाचन के प्रावधान किये गये. रोटेशन के आधार पर महिला, अनुसूचित जाति,अनुसूचित जनजाति एवं अन्य पिछडे वर्ग के लिए आरक्षण की व्यवस्था की गयी.

लखनऊ मेयर की सीट आरक्षित होने के बाद बसपा ने पूर्व अपर महाधिवक्ता बुलबुल गोदियाल को प्रत्याशी बनाया था. बसपा 17 साल बाद पहली बार पार्टी के चिन्ह पर नगर निकाय चुनाव लड़ रही थी. भाजपा की मेयर पद की प्रत्याशी संयुक्ता भाटिया का कहना था कि अब हमारा समय आ गया है.

कांग्रेस की प्रेमा अवस्थी सपा की मीरा वर्धन और आप की प्रियंका माहेश्वरी इस पद के लिए मुकाबले में थीं. लखनऊ में मेयर भले ही कोई महिला नहीं रही हो लेकिन यहां से लोकसभा के लिए तीन बार महिलाएं जीतकर पहुंची हैं. लखनऊ से शीला कौल 1971, 1980 और 1984 में चुनाव जीतकर लोकसभा पहुंची थीं. उत्तर प्रदेश म्यूनिसिपैलिटी कानून 1916 में अस्तित्व में आया.

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