यूपी के कैबिनेट मंत्री गायत्री प्रजापति और राजकिशोर बर्खास्त
Advertisement

यूपी के कैबिनेट मंत्री गायत्री प्रजापति और राजकिशोर बर्खास्त

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने भ्रष्टाचार के आरोपों से घिरे अपने कैबिनेट मंत्रियों गायत्री प्रसाद प्रजापति और राजकिशोर सिंह को आज बर्खास्त कर दिया।

फोटो साभार- डीएनए

लखनउ: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने भ्रष्टाचार के आरोपों से घिरे अपने कैबिनेट मंत्रियों गायत्री प्रसाद प्रजापति और राजकिशोर सिंह को आज बर्खास्त कर दिया।

राजभवन की ओर से जारी बयान के मुताबिक मुख्यमंत्री ने खनन मंत्री गायत्री प्रसाद प्रजापति और पंचायती राज मंत्री राजकिशोर सिंह को बर्खास्त कर दिया है। इस सिलसिले में राजभवन को आज ही पत्रावली भेजी गयी थी, जिस पर राज्यपाल राम नाईक ने अपनी मंजूरी दे दी।

बयान के मुताबिक राज्यपाल ने उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) मूलचंद चौहान को खनन विभाग का अतिरिक्त प्रभार सौंपा है, जबकि समाज कल्याण मंत्री रामगोविन्द चौधरी को पंचायती राज विभाग की अतिरिक्त जिम्मेदारी दी है। राजकिशोर सिंह के पास रहे लघु सिंचाई एवं पशुधन विभाग को मुख्यमंत्री के हवाले किया गया है।

मालूम हो कि प्रजापति पर अवैध खनन को बढ़ावा देने और भ्रष्टाचार के आरोप अर्से से लगते रहे हैं। इसके अलावा सिंह पर भी ऐसे इल्जाम लगाये गये थे।

इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने प्रदेश में जगह-जगह बड़े पैमाने पर जारी अवैध खनन को गम्भीरता से लेते हुए गत 28 जुलाई को प्रदेश में हुए अवैध खनन और इसमें शामिल सरकारी अधिकारियों की भूमिका की जांच सीबीआई से कराकर छह महीने के अंदर रिपोर्ट देने के निर्देश दिये थे।

राज्य सरकार ने उच्च न्यायालय के इस फैसले को वापस लेने के लिये अर्जी दी थी, मगर न्यायालय ने गत नौ सितम्बर को उसे खारिज कर दिया था। जुलाई 2013 में प्रजापति को स्वतंत्र प्रभार का राज्यमंत्री बनाया गया था और जनवरी 2014 में उन्हें कैबिनेट मंत्री बना दिया गया था।

इसके अलावा वर्ष 2012 में बस्ती जिले की र्हैया सीट से विधायक चुने गये राजकिशोर पर भ्रष्टाचार और जमीन हड़पने के आरोप लगे थे। वह सपा की पिछली सरकार में भी मंत्री रह चुके हैं।

भाजपा के प्रान्तीय महासचिव विजय बहादुर पाठक ने मंत्रियों की बर्खास्तगी पर कहा कि मुख्यमंत्री अखिलेश यादव दिखावटी कार्रवाई के बजाय भ्रष्टाचार के मूल तत्वों और विषयों को सार्वजनिक करके कार्रवाई करें।

उन्होंने कहा कि राज्य की पूर्ववर्ती बसपा सरकार ने भी अपने कार्यकाल के अंतिम दौर में इसी तरह से कार्रवाई करके अपना दामन बचाने की कोशिश की थी, लेकिन नतीजे क्या रहे, यह हम सब जानते हैं। अब अखिलेश अपने मंत्रियों पर कार्रवाई करके संदेश देने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन जनता जानती है कि जो भ्रष्टाचार हुआ, उसे किसका संरक्षण प्राप्त था। संरक्षण देने वालों को चिहिनत कर कार्रवाई होनी चाहिये।

पाठक ने खनन मंत्री की बख्रास्तगी को महज दिखावा करार देते हुए कहा कि उच्च न्यायालय के हंटर से डरे मुख्यमंत्री ने मजबूरन यह कदम उठाया है।

भाजपा महासचिव ने कहा कि मुख्यमंत्री अखिलेश यादव पिछले साढ़े चार साल तक प्रजापति के भ्रष्टाचार के मूकदर्शक रहे। उच्च न्यायालय ने जब प्रजापति द्वारा प्रोत्साहित किये गये अवैध खनन की सीबीआई जांच के आदेश को वापस लेने की सरकार की अर्जी खारिज कर दी, तब मुख्यमंत्री के पास प्रजापति को बख्रास्त करने के सिवाय कोई चारा नहीं था।

इस बीच, कांग्रेस के राज्यसभा सदस्य पी. एल. पुनिया ने मुख्यमंत्री द्वारा दो मंत्रियों की बख्रास्तगी को लीपापोती की नाकाम कोशिश करार दिया है।

उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री ने प्रदेश में हुए अवैध खनन की सीबीआई जांच के आदेश के बाद बचाव में लीपापोती की कोशिश के तहत उन्हें बर्खास्त कर दिया, ताकि कहा जा सके कि उन्होंने तो पहले ही कार्रवाई कर दी है। हालांकि यह तो जगजाहिर है कि भ्रष्टाचार को किसका संरक्षण प्राप्त था।

 

Trending news